Kurnool Top Tourist Places: कुरनूल आकर वाइल्ड लाइफ की सैर के साथ भारत के इतिहास से जुड़े साक्ष्यों को देखने का उठाएं भरपूर लुत्फ
Kurnool History Wikipedia in Hindi: कुर्नूल पौराणिक काल के श्री यागंती स्वामी के अद्भुत मंदिर के लिए काफी प्रसिद्ध है। यह एक ऐसा शिव मंदिर है जो 5 वीं और 6 वीं शताब्दी से लोगों के बीच आस्था का केंद्र बना हुआ है।
Kurnool History Wikipedia in Hindi: विंटर डेस्टिनेशन के लिए कुरनूल एक बेहतरीन विकल्प साबित होता है। ये एक प्राचीन शहर है, जो 2,000 से अधिक वर्षों से अपने महत्व के चलते अस्तित्व में है। इसका नाम ’कंदनवोलु’ शब्द से लिया गया है जिसका अर्थ है ’ग्रीस का शहर’। ऐसा कहा जाता है कि 11वीं शताब्दी के दौरान, पत्थरों को गाड़ियों में आलमपुर ले जाया जाता था, और कुर्नूल एक प्रमुख पड़ाव के रूप में कार्य करता था। आज भी आप उन चित्रों को देख सकते हैं जो पुरापाषाण काल के हैं।आंध्र प्रदेश में स्थित कुरनूल अपनी ऐतिहासिक धरोहर और प्राकृतिक सुंदरता के लिए जाना जाता है। यह शहर तुंगभद्रा नदी के किनारे बसा हुआ है।
यहां कई प्राचीन मंदिर, किले और प्राकृतिक स्थल हैं। कुरनूल की यात्रा करने वाले पर्यटकों को यहां की संस्कृति और इतिहास से रूबरू होने का अवसर मिलता है।1 अक्टूबर 1953 से 1 नवंबर 1956 तक आंध्र प्रदेश की राजधानी के रूप में भी कार्य करने वाले कुर्नूल में ना केवल आपको घूमने की कई बेहतरीन जगहें मिलेंगी, बल्कि यहां पर आकर आंध्र प्रदेश की ऐतिहासिक समृद्धता का भी अहसास होगा। इस शहर को अक्सर “ रायलसीमा का प्रवेश द्वार“ भी कहा जाता है। कुरनूल हीरे के शिकार के लिए भी प्रसिद्ध है क्योंकि मानसून की बारिश से मिट्टी की ऊपरी परतें बह जाने के बाद कुरनूल की बंजर भूमि में हीरे पाए जा सकते हैं। आंध्र प्रदेश में यूं तो घूमने की कई जगह हैं, लेकिन अगर आपको इतिहास में दिलचस्पी है तो ऐसे में आपको कुर्नूल शहर की ट्रिप जरूर प्लान करनी चाहिए। आइए जानते हैं कुरनूल में घूमने योग्य पर्यटन स्थलों के बारे में-
यागंती मंदिर
कुर्नूल पौराणिक काल के श्री यागंती स्वामी के अद्भुत मंदिर के लिए काफी प्रसिद्ध है। यह एक ऐसा शिव मंदिर है जो 5 वीं और 6 वीं शताब्दी से लोगों के बीच आस्था का केंद्र बना हुआ है। इस मंदिर की मुख्य मूर्ति अर्धनारीश्वर है। इस प्रकार यहां पर लोगों को शिव और पार्वती जी को एक साथ अर्धनारीश्वर स्वरूप में देखने का सौभाग्य प्राप्त होता है। अर्धनारीश्वर की मूर्ति को एक ही पत्थर से उकेरा गया है। यह कुर्नूल के सबसे खूबसूरत मंदिरों में से एक है।
मंदिर में साल भर लोग आते हैं। आप महा शिव रात्रि के दौरान यहां पर घूमने का प्लॉन बना सकते हैं। यागंती मंदिर भगवान शिव को समर्पित एक प्राचीन मंदिर है, जो पहाड़ियों के बीच स्थित है। इस मंदिर की विशेषता यह है कि यहां नंदी की मूर्ति हर साल बढ़ती है। इसके अलावा यहां एक प्राकृतिक झरना भी बहता रहता है, जिसे पोटुलुरी वीरब्रह्मेंद्र स्वामी ने खोजा था।
रोलापडु वाइल्डलाइफ सैन्चुरी
614 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैले, रोलापाडु वाइल्डलाइफ सैन्चुरी की स्थापना वर्ष 1988 में हुई थी। इस वाइल्डलाइफ सैन्चुरी की खास बात यह है कि यह ग्रेट इंडियन बस्टर्ड और लेसर फ्लोरिकन जैसी कुछ दुर्लभ और लुप्तप्राय प्रजातियों का घर है।रोलापाडु पक्षी अभयारण्य
प्रकृति प्रेमियों के लिए किसी खजाने से कम नहीं हैं। जहां कई दुर्लभ प्रजातियों के खूबसूरत पक्षी देखे जा सकते हैं।
यहां आने वाले पर्यटक पक्षियों की विभिन्न प्रजातियों को देखने और उनकी तस्वीरें खींचने का आनंद लेते हैं। इसके अलावा पक्षियों के कलरव के बीच यहां का शांतिपूर्ण वातावरण और लहलहाती हरियाली भी पर्यटकों को आकर्षित करती है, जो इसे एक बेहतरीन पर्यटन स्थल बनाती है।
बेल्लम गुफाएं
कुर्नूल भारत की सबसे बड़ी और सबसे लंबी केव सिस्टम का घर माना जाता है। ये गुफाएं लगभग 3.2 किलोमीटर लंबी हैं। इसके अलावा यहां आपको खूबसूरत चूना पत्थर से निर्मित अजूबी संरचनाएं देखने को मिलती हैं,जो पर्यटकों को आकर्षित करती हैं।
बेल्लम गुफाओं तक पहुंचने के लिए आपको थोड़ी पैदल जरूर चलना पड़ता है, लेकिन यह यात्रा निश्चित ही आपको एक रोमांचक अनुभव प्रदान करेगी।
अगर आप कुर्नूल में एक अलग व अद्भुत एक्सपीरियंस करना चाहते हैं तो आपको बेलम गुफाओं को देखने के लिए अवश्य जाना चाहिए।
ओरावकल्लु रॉक गार्डन
अगर आप अपनी फैमिली के साथ कुर्नूल घूमने का प्लॉन बना रहे हैं तो ऐसे में आपको ओरावकल्लु रॉक गार्डन अवश्य जाना चाहिए। मुख्य शहर से लगभग 20 किलोमीटर की दूरी पर स्थित, यह एक बेहतरीन पिकनिक स्पॉट के रूप में फेमस है। यह कुर्नूल के प्रमुख आकर्षणों में से एक है और यहां पर आप अपने परिवार व बच्चों के साथ अच्छा वक्त बिता सकते हैं। इस रॉक गार्डन में आप बोटिंग से लेकर केव म्यूजियम भी देख सकते हैं।
ओरावाकल रॉक गार्डन अपने अनोखे चट्टानों के निर्माणों के लिए मशहूर जगहों में से एक माना जाता है। यहां पर आपको विशाल पत्थरों द्वारा निर्मित सुंदर आकृतियां देखने को मिलेंगी।
कुरनूल अपने विविध स्थानों और गतिविधियों द्वारा हर किसी पर्यटक के लिए कंप्लीट डेस्टिनेशन पैकेज है।
कुर्नूल किला
कुरनूल किले का इतिहास काफी दिलचस्प है, क्योंकि यह इस क्षेत्र की कहानी बयां करता है, इसके अशांत अतीत को उजागर करता है। कर्नाटक के मांड्या जिले में स्थित इस किले का निर्माण 16वीं शताब्दी में विजयनगर साम्राज्य द्वारा किले के रूप में किया गया था। अगले वर्षों में, सत्ता परिवर्तन या शासक वंश के संदर्भ में किले में कई बदलाव हुए। बहुत बाद में, सोलहवीं शताब्दी के उत्तरार्ध में, कुतुब शाही राजवंश ने कार्यभार संभाला, स्मारक को और मजबूत किया, जहां उस कालखंड में अधिक कलात्मक और स्थापत्य सुविधाएँ उपलब्ध थीं, जिन्हें आज भी देखा जा सकता है। कुरनूल किले के प्रत्येक स्तंभ और नक्काशी में योद्धाओं के साहस और सामरिक श्रेष्ठता की कहानी छिपी है, जो इतिहास प्रेमियों के लिए यहां आना अनिवार्य बनाती है।
कुर्नूल किला इस क्षेत्र का एक प्रमुख ऐतिहासिक स्थल है, जिसे विजयनगर साम्राज्य ने बनवाया था। इस किले से पूरे शहर का शानदार दृश्य देखा जा सकता है। किले के अंदर कई पुराने महल, दरबार हॉल और अन्य संरचनाएं मौजूद हैं, जो इतिहास प्रेमियों को आकर्षित करती हैं।इस ऐतिहासिक किले का नाम कोंडा रेड्डी के नाम पर रखा गया है, जो इसके निर्माण से जुड़े लोक नायक थे। यह किले के कुछ डिज़ाइन पहलुओं पर नज़र डालता है, जिसने किले को एक रक्षात्मक संरचना बना दिया।
घेराबंदी के समय आवागमन के लिए उपयोग की जाने वाली कुछ भागने की सुरंगों और अन्य सुरंगों को देखने का मौका आपको यहां आकर मिलेगा।
इसके अतिरिक किले का भव्य प्रवेश द्वार के फ्रेम पर जटिल डिजाइन उकेरे गए हैं, जो उस समय के बिल्डरों की वास्तुकला कौशल के बारे में बहुत कुछ बताते हैं।यहां की वास्तुकला और ऐतिहासिक महत्व पर्यटकों के लिए बहुत दिलचस्प है।
किले की दीवारों पर की गई नक्काशी और चित्रकारी भी देखने लायक हैं।
कुरनूल किला आंध्र प्रदेश के कुरनूल शहर के केंद्र में स्थित है। यह कुरनूल रेलवे स्टेशन से लगभग 2 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है, और कोई भी इसे ऑटोरिक्शा, टैक्सी या छोटी ड्राइव द्वारा आसानी से ढूँढ सकता है। अगर आप कार से आ रहे हैं, तो आस-पास बहुत सारी पार्किंग जगहें हैं। ये किल्स घूमने के लिए पूरे सप्ताह सुबह 9ः00 बजे से शाम 5ः00 बजे तक खुला रहता है। सुबह जल्दी आना उचित है क्योंकि यहाँ भीड़ नहीं होती और दिन के अन्य हिस्सों की तुलना में अपेक्षाकृत अधिक आरामदायक होता है। कुरनूल की यात्रा के लिए वर्ष के किसी भी समय पहुँचा जा सकता है।