Lahsuniya Chola Samosa: गोरखपुर-देवरिया रोड पर यहाँ के लहसुनिया छोले-समोसे का नहीं है कोई जवाब, शानदार होता है स्वाद
Lahsuniya Chola Samosa: आज हम इस आर्टिकल में आपको इन जगहों से अलग एक ऐसे व्यंजन के बारे में बताएँगे जिसका स्वाद एक बार आप भी जरूर लेना चाहेंगे। हम बात कर रहें हैं लहसुन वाले छोले-समोसे की। यह डिश देवरिया के गौरी बाजार की बहुत प्रसिद्ध डिश है। आइये जानतें हैं इसके बारे में।
Lahsuniya Chola Samosa: गोरखपुर तो खाने पीने के चीज़ों खास कर मिठाई के लिए बहुत प्रसिद्ध है। इसके आस-पास के भी कुछ शहर ऐसे हैं जहाँ के कुछ जायके की महक दूर-दूर से लोगों को खींच लाती है। चाहे कुशीनगर के पनियहवा की भुजा-मछली हो या देवरिया का लिट्टी-चोखा या फिर सलेमपुर का लौंगलत्ता। स्थानीय स्तर पर ये सभी व्यंजन बहुत प्रसिद्ध हैं। यहाँ आने-जाने वाले लोग भी इनका स्वाद लेना नहीं भूलते।
आज हम इस आर्टिकल में आपको इन जगहों से अलग एक ऐसे व्यंजन के बारे में बताएँगे जिसका स्वाद एक बार आप भी जरूर लेना चाहेंगे। हम बात कर रहें हैं लहसुन वाले छोले-समोसे की। यह डिश देवरिया के गौरी बाजार की बहुत प्रसिद्ध डिश है। आइये जानतें हैं इसके बारे में।
कहाँ मिलते हैं गौरी बाजार के लहसुनिया छोले समोसे
देवरिया से गोरखपुर आते समय बीच में एक क़स्बा पड़ता है जिसका नाम है गौरी बाजार। इस कस्बे से बहार निकलने पर देवरिया-गोरखपुर रोड पर ही एक साथ लाइन से आपको लहसुन वाले समोसे-छोले बेचते कई दुकानें मिल जाएँगी। आज से तक़रीबन 20 साल पहले यहाँ एक ही दुकान लहसुन वाले छोले-समोसे बेचती थी, लेकिन आज आपको लाइन से कई दुकानें मिल जाएँगी। ऐसे में आपके लिए असली दुकान को पहचानना थोड़ा मुश्किल हो सकता है। हालांकि जिस दुकान पर आपको सबसे ज्यादा भीड़ दिख जाये समझ जाइये की वही असली दुकान है।
रामचरण प्रजापति की दुकान बेच रही है 20 साल से लहसुनिया छोले-समोसे
यहाँ पंहुचने पर आपको बड़ा-बड़ा रामचरण प्रजापति की लहसुन वाले छोले-समोसे की दुकान लिखा हुआ मिल जायेगा। ये पिछले 20 साल से यहाँ लोगों का समोसा और छोला खिला रहे हैं। एक प्लेट में दो समोसे-छोले और सतह में एक से दो खड़े लहसुन मिल जायेंगे। इसका नाम कहसुन वाले छोले-समोसे इसलिए पड़ा क्योंकि यहाँ छोले में साबुत लहसुन दाल कर पकाया जाता है। मटन और चिकेन के शौक़ीन लोग भी करी में साबुत लहसुन दाल कर पकाते हैं। लेकिन यहाँ आपको छोले में साबुत लहसुन पका कर दिया जाता है। छोले में इतना लहसुन डाला जाता है कि आस-पास का इलाका लहसुन की महक से दमक जाता है। लोग बड़े चाव से छोले में मिले हुए लहसुन को चूस कर खाते हैं। दुकान के पास जाने पर आपको ढेर सारे चूसे हुए लहसुन फेंके हुए मिल जायेंगे। चोला यहाँ चने का नहीं बल्कि सफ़ेद मटर का बनाया जाता है, जिसका स्वाद दिल्ली, लखनऊ में मिलने छोले से बिलकुल अलग होता है। यह आमतौर पर वैसे होता है जैसा पूर्वी उत्तर प्रदेश के घरों में छोला बनाया जाता है।
क्या होती है कीमत
यहाँ पर एक प्लेट लहसुन वाले छोले-समोसे की कीमत 35 रुपये होती है। हालांकि यहाँ पर आप केवल समोसा या छोला भी खा सकते हैं। एक पीस समोसे की कीमत 10 रुपये होती है। वहीँ आप यदि एक प्लेट केवल छोले खाना पसंद करते हैं तो उसके लिए आपको 25 रुपये खर्च करने पड़ेंगे।