Lucknow Rumi Darwaza: ध्यान दें सारे लखनऊ वाले, अब तांगा ही चलेगा रूमी दरवाजे के सामने
Lucknow Rumi Darwaza: लखनऊ का रूमी दरवाजा एक प्रसिद्ध हेरिटेज साइट है जहां पर बड़ी संख्या में लोग घूमने पहुंचते हैं। वाहनों की आवाजाही की वजह से पर्यटकों को यहां घूमने में परेशानी आती है। जिसके लिए अब नई गाइडलाइन जारी की गई है।
Lucknow Rumi Darwaza : उत्तर प्रदेश भारत का एक प्रसिद्ध राज्य है और लखनऊ यहां के सबसे प्रसिद्ध शहरों में से एक है। लखनऊ को नवाबों का शहर कहा जाता है और यहां के पर्यटक स्थलों से लेकर बोली, खान-पान, रहन-सहन सभी में नवाबी अंदाज की झलक देखने को मिलती है। जब आप लखनऊ जाएंगे तो आपके यहां कई सारे ऐतिहासिक स्थलों का दीदार करने का मौका मिलेगा। रूमी दरवाजा लखनऊ का एक प्रसिद्ध स्थान है। जहां पर बड़ी संख्या में लोग घूमने के लिए पहुंचते हैं। अब लखनऊ में कैसरबाग चौराहा और रूमी दरवाजे को लेकर कुछ नियम जारी किए गए हैं। जिसके चलते जो लोग रूमी दरवाजा घूमने जाना चाहते हैं उन्हें अब गाड़ियां नहीं बल्कि इक्का तांगा का सहारा लेना होगा। वैसे यह बात बुरी भी नहीं है क्योंकि ऐतिहासिक जगह का पुरानी तरह से दीदार करना अपने आप में खास होगा।
अब रूमी दरवाजा पर चलेगा इक्का तांगा और ई रिक्शा
लखनऊ के हेरिटेज कॉरिडोर में फसाद कंट्रोल गाइडलाइन लागू की जाने वाली है जिसके लिए कमेटी तैयार की जा चुकी है। रूमी दरवाजे के पास सभी प्रकार के वाहनों की आवाज चाहिए की वजह से ट्रैफिक काफी ज्यादा हो जाता है। जिससे हेरिटेज जोन घूमने वाले पर्यटकों को दिक्कत होती है। इसको देखते हुए रूम ही दरवाजे के पास कॉबल स्टोन ट्रैक पर इक्का तांगा और ई रिक्शा को ही संचालन करने दिया जाएगा। ऑटो टेंपो स्टैंड निश्चित दूरी पर दूसरे स्थान पर शिफ्ट किया जाएगा।
रूमी दरवाजा का दिलचस्प इतिहास (Interesting History of Rumi Darwaza)
रूमी गेट को लखनऊ के चौथे नवाब आसफउद्दौला ने सन 1784 में करवाया था। इस रूमी गेट को तुर्की गेट भी कहा जाता है, जिसे बनाने में दो साल लग गए थे। बता दें कि यह इस्तांबुल में बाब-ए-हुमायूं नामक एक पुराने गेट के समान है। आज यह इमारत काफी प्रसिद्ध है, जो लखनऊ की नर्म मिट्टी में ढली यह इमारत अपनी अनूठी वास्तुकला के कारण शहर की अन्य इमारतों को टक्कर देती है।
रूमी दरवाजा की वास्तुकला (Architecture of Rumi Darwaza)
रूमी दरवाजा, जो साठ फीट लंबा है, इस्तांबुल में सब्लाइम पोर्टे (बाब-ए-हुमायूं) के बाद (1784) बनाया गया था। असफी इमामबाड़ा के पास है, यहां से रात का नजारा काफी अच्छा लगता है। यह अवधी वास्तुकला का प्रतीक है। रूमी दरवाजा का आर्काइव खूबसूरती से नक्काशीदार फूलों की कलियों और डिजाइनों से सजाया गया है। कुल मिलाकर यह दरवाजा इतना खूबसूरत है कि इसको नवाबों की दुनिया का प्रवेश द्वार भी कहा जाता है।