Lucknow The Moti Mahal History: लखनऊ का सबसे खूबसूरत मोती महल, जहां का इतिहास है बेहद ही शानदार
Lucknow The Moti Mahal History: इस जगह को ऐसे ही मोती महल नहीं कहा जाता है। दरअसल, 18वीं सदी में नवाब सआदत अली खान ने गोमती के दाहिने किनारे पर एक आलीशान महल बनवाया था।
Lucknow The Moti Mahal History: लखनऊ के राणा प्रताप मार्ग पर स्थित यह मोती महल प्रेम और युद्ध की निशानी है। इस जगह को ऐसे ही मोती महल नहीं कहा जाता है। दरअसल, 18वीं सदी में नवाब सआदत अली खान ने गोमती के दाहिने किनारे पर एक आलीशान महल बनवाया था। जिसके गुंबद का रूप और चमक मोती के समान थी, इसलिए इसे मोती महल कहा जाता था। इस जगह से एक कहानी और जुड़ी हुई है, जिसके मुताबिक उसकी पत्नी मोती बेगम उसमें रहती थी। मोती महल की नींव आसफुद्दौला द्वारा बनवाए गए शीशमहल के मुकाबले में रखी गई थी।
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मोती महल से जुड़ा इतिहास (Lucknow Moti Mahal Ka Itihas)
गदर के बाद हुई तबाही
गदर के बाद मोती महल में तबाही का मंजर देखा जाने लगा। उस तबाही के बाद से ही इस इमारत की खूबसूरती गायब हो गई थी। यह महाराजा बलरामपुर की संपत्ति बन गई थी। जिसके बाद इस महल की बनावट में भी कई तरह के बदलाव किए गए थे। हालांकि महल की दीवारों में किसी तरह की बदलाव नहीं हुआ है।
मोती महल के पीछे था पुल
उन दिनों मोती महल के पीछे गोमती नदी पर नाव का पुल था। पुल के उस पार एक अंग्रेज ब्रिगेडियर का बंगला था। मोती महल के पश्चिम की ओर शाह मंजिल का निर्माण किया गया था, जिसके प्रांगण में छोटे-छोटे जानवरों की लड़ाई किया करते थे। सम्राट शाह इस लड़ाई को अपने मित्रों के साथ मंजिल की छत से देखा करते थे।
मोती महल के घाट प्रसिद्ध थे
साल 1866 में मोती महल का निर्माण किया गया था, जिसे अब ध्वस्त कर दिया गया है। इस पुल के किनारे सभी घाट मोती महल घाट के नाम से जाने जाते हैं। श्री जैक्सन इन घाटों के पहले एक महल की मरम्मत करवाकर बैरिस्टर हुआ करते थे। अब उस महल को किंग ऑयल ने अपने कब्जे में ले लिया है। इसके सामने का मैदान मोती महल मैदान के रूप जाना था जहां अब स्टेडियम बन गया है।
काफी बदल गया है मोती महल
अब मोती महल की जगह लाल नेहरू मेमोरियल सोसायटी, भारत सेवा संस्थान, शिक्षा समिति और उप बाल कल्याण परिषद आदि के कार्यालय खुल गए हैं। स्वतंत्रता सेनानी और पूर्व चंद्रभानु गुप्त की समाधि भी इसी जगह पर बनी हुई है।