Maa Tulja Bhavani Mandir: मां तुलजा भवानी के इस मंदिर में है चमत्कारी पत्थर, ये बताता है लोगों का भविष्य
Maa Tulja Bhavani Temple History: महाराष्ट्र में तुलजा भवानी माता का एक चमत्कारी मंदिर मौजूद है। इस मंदिर में एक चमत्कारी पत्थर रखा हुआ है जो व्यक्ति को उसका भविष्य बताता है।
Maa Tulja Bhavani Temple History: महाराष्ट्र के धाराशिव जिले में स्थित है तुलजापुर। एक ऐसा स्थान जहाँ छत्रपति शिवाजी महाराज की कुलदेवी माँ तुलजा भवानी स्थापित हैं, जो आज भी महाराष्ट्र व अन्य राज्यों के कई निवासियों की कुलदेवी के रूप में प्रचलित हैं। तुलजा भवानी महाराष्ट्र के प्रमुख साढ़े तीन शक्तिपीठों में से एक है तथा भारत के प्रमुख इक्यावन शक्तिपीठ में से भी एक मानी जाती है। मान्यता है कि छत्रपती शिवाजी महाराज को खुद देवी माँ ने तलवार प्रदान की थी। अभी यह तलवार लंदन के संग्रहालय में रखी हुई है।
कहां है मंदिर
यह मंदिर महाराष्ट्र के प्राचीन दंडकारण्य वनक्षेत्र में स्थित यमुनांचल पर्वत पर स्थित है। ऐसी जनश्रुति है कि इसमें स्थित तुलजा भवानी माता की मूर्ति स्वयंभू है। इस मूर्ति की एक और खास बात यह है कि यह मंदिर में स्थायी रूप से स्थापित न होकर ‘चलायमान’ है। साल में तीन बार इस प्रतिमा के साथ प्रभु महादेव, श्रीयंत्र तथा खंडरदेव की भी प्रदक्षिणापथ पर परिक्रमा करवाई जाती है।
यहां है चमत्कारी पत्थर
इस मंदिर से जुड़ी एक जनश्रुति यह भी है कि यहाँ पर एक ऐसा चमत्कारिक (चिंतामणि नामक) पत्थर विद्यमान है, जिसके विषय में यह माना जाता है कि यह आपके सभी प्रश्नों का उत्तर सांकेतिक रूप में ‘हाँ’ या ‘नहीं’ में देता है। यदि आपके प्रश्न का उत्तर ‘हाँ’ है तो यह आपके दाहिनी ओर मुड़ जाता है और अगर ‘नहीं’ है तो यह बायीं दिशा में मुड़ जाता है। माना जाता है कि छत्रपति शिवाजी महाराज किसी भी युद्ध से पहले चिंतामणि के पास अपने प्रश्नों के समाधान करने आते थे।
ऐसी है मूर्ति
शालीग्राम पत्थर से निर्मित यह मूर्ति वस्तुतः स्वयंभू मूर्ति मानी जाती है। इस मूर्ति के आठ हाथ हैं, जिनमें से एक हाथ से उन्होंने दैत्य के बाल पकड़े हैं तथा दूसरे हाथों से वे दैत्य पर त्रिशूल से वार कर रही हैं। ऐसा प्रतीत होता है कि माता महिषासुर राक्षस का वध कर रही हैं। माता की दाहिनी ओर उनका वाहन सिंह स्थापित है। इस प्रतिमा के समीप ऋषि मार्कंडेय की प्रतिमा स्थापित है, जो पुराण पढ़ने की मुद्रा में है। माता के आठों हाथों में चक्र, गदा, त्रिशूल, अंकुश, धनुष व पाश आदि शस्त्र सुसज्जित हैं।
तुलजापुर तक आने के लिए सभी प्रकार के यातायात के साधन उपलब्ध हैं।
सड़क मार्ग
दक्षिण से आनेवाले यात्री नालदुर्ग तक आसानी से सड़क मार्ग द्वारा आ सकते हैं। उत्तरी व पश्चिमी राज्यों से आने वाले तीर्थयात्री सोलापुर के रास्ते तुलजापुर आ सकते हैं। जबकि पूर्वी राज्यों से आने वाले यात्री नागपुर, नांदेड़ या लातूर के रास्ते यहाँ आ सकते हैं।
रेलमार्ग
तीर्थयात्री सोलापुर तक रेल से आ सकते हैं जो कि तुलजापुर से केवल 44 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
वायुमार्ग
तुलजापुर तक आने के लिए यहाँ से सबसे करीबी हवाई अड्डा नांदेड़ व हैदराबाद हैं, जहाँ से बस या निजी वाहन द्वारा इस स्थान तक पहुँचा जा सकता है।