महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग: कालिदास व विक्रमादित्य की नगरी , कुंभ क्षेत्र

Mahakaleshwar Jyotirling: 12 ज्योतिर्लिंगों से एक सबसे प्रसिद्ध महाकालेश्वर का ज्योतिर्लिंग भी यहीं है। उज्जैन के रुद्र सागर झील के किनारे स्थित श्री महाकालेश्वर मंदिर हिंदुओं के लिए आस्था और सांस्कृतिक धरोहर है। इस मंदिर के अंदर विशाल दीवारों से घिरा एक विशाल प्रांगण है।

Written By :  Sarojini Sriharsha
Update:2023-02-07 21:44 IST

Mahakaleshwar Jyotirling City (Social Media)

Mahakaleshwar Jyotirling: भारत के मध्यप्रदेश राज्य में स्थित उज्जैन सबसे पवित्र शहरों में से एक माना जाता है। यह शहर इंदौर से 45किमी की दूरी पर स्थित है। शिप्रा नदी के तट पर स्थित यह शहर कभी अवंती साम्राज्य का राजधानी हुआ करता था। यह शहर कालिदास और विक्रमादित्य की नगरी थी। हर बारह साल में यहां कुंभ मेले का आयोजन किया जाता है। कुंभ मेला देश के चार शहरों हरिद्वार, नासिक, इलाहाबाद और उज्जैन में आयोजित होता है। यह शहर सात मोक्ष प्रदान करने वाले शहरों में से एक माना जाता है।

12 ज्योतिर्लिंगों से एक सबसे प्रसिद्ध महाकालेश्वर का ज्योतिर्लिंग भी यहीं है। उज्जैन के रुद्र सागर झील के किनारे स्थित श्री महाकालेश्वर मंदिर हिंदुओं के लिए आस्था और सांस्कृतिक धरोहर है। इस मंदिर के अंदर विशाल दीवारों से घिरा एक विशाल प्रांगण है। इस मंदिर को पाँच भागों में बांटा गया है। जिनमें भगवान गणेश, ओंकारेश्वर शिव, माता पार्वती, कार्तिकेय और शिव का वाहन नंदी शामिल है।

12 ज्योतिर्लिंगों में से उज्जैन का महाकाल सर्वोत्तम शिवलिंग है। कहते हैं

'आकाशे तारकं लिंगं पाताले हाटकेश्वरम्। भूलोके च महाकालो लिंड्गत्रय नमोस्तु ते।।' अर्थात आकाश में तारक शिवलिंग, पाताल में हाटकेश्वर शिवलिंग तथा पृथ्वी पर महाकालेश्वर ही सबसे उत्तम शिवलिंग है।

इस मंदिर में सुबह 4 बजे की भस्म आरती बहुत मशहूर है । इस आरती के लिए श्मशान से ताजा भस्म लाया जाता है। इस आरती में शामिल होने के लिए पहले से टिकट बुक कराना होता है। इस आरती को देखने के लिए भक्तों को कुछ नियम पालन करने होते हैं। यह सेवा ऑनलाइन भी उपलब्ध है। यह मंदिर सुबह 4 बजे से रात 11 बजे तक भक्तों के दर्शन के लिए खुला रहता है।

महाकालेश्वर मंदिर के अलावा यहां अन्य कई दर्शनीय स्थल हैं जहां घूमा जा सकता है। ये स्थल हैं:

काल भैरव मंदिर -

काल भैरव को भगवान शिव का ही एक रूप माना जाता है। इस मंदिर में यह मान्यता है की भक्तगण सच्चे मन से जो इच्छा करते हैं वह प्राप्त होता है। महाशिवरात्रि के दौरान मंदिर में विशाल मेले का आयोजन होता है।

राम मंदिर घाट :

हर 12 साल में आयोजन होने वाले कुंभ मेले में इसी घाट पर लाखों की संख्या में लोग डुबकी लगाते हैं। इस घाट से लोग सूर्यास्त का आनंद लेते हैं।

जंतर मंतर:

17वीं शताब्दी में महाराजा जय सिंह ने इसका निर्माण करवाया था। इस जगह पर आपको खगोलीय पिंडो और समय के ज्ञान की विधि आज के तकनीकी युग पर सोचने को मजबूर कर देगी।

गोमती कुंड:

यह कुंड एक तालाब के रूप में संदीपनी आश्रम के बीच स्थित है और कहा जाता है कि दुनिया के सभी पवित्र जल इसमें डाले गए है। ऐसी कहावत है की भगवान कृष्ण ने इस गोमती कुंड का निर्माण अपने गुरु संदीपनी के लिए कराया था। उसमें सभी नदियों का जल लाकर डाला था ताकि उनके गुरु को ज्यादा दूर की यात्रा न करनी पड़े।

शनि मंदिर:

उज्जैन में स्थित यह शनि मंदिर भारत का पहला नवग्रह मंदिर है और दुनिया का एकमात्र शनि मंदिर जहां शनिदेव को भगवान शिव के रूप में पूजा जाता है। यह मंदिर करीब 2000 साल पुराना है।

विक्रम कीर्ति मंदिर संग्रहालय:

यह म्यूज़ियम राजा विक्रमादित्य की याद में बनाया गया है और इसमें नर्मदा घाटी सभ्यता के प्राचीन सिक्के, पांडुलिपी, जीवाश्म आदि संग्रहित हैं।

उपरोक्त स्थानों के अलावा उज्जैन में कई और घूमने की जगह हैं जिनमें कलियादेह पैलेस , भर्तृहरि गुफाएं ,चौबीस खंबा मंदिर,चिंतामन गणेश मंदिर, बडे गणेशजी के मंदिर, गदकालिका मंदिर ,सांदीपनि आश्रम, इस्कॉन मंदिर आदि

कैसे पहुंचे?

यह धार्मिक नगरी पर्यटकों के लिए हवाई, रेल और सड़क मार्ग से आसानी से जुड़ी हुई है। निकटतम हवाई अड्डा इंदौर का अहिल्याबाई होलकर हवाई अड्डा है, जो देश के सभी प्रमुख शहरों से जुड़ा है। उज्जैन जंक्शन रेलवे स्टेशन भी एक प्रमुख रेलवे स्टेशन में आता है जहां देश के सभी स्टेशनों से ट्रेन आती है। इंदौर से सड़क मार्ग द्वारा उज्जैन के लिए टैक्सी या बस सेवा बहुत आसानी से मिल जाती है।

यहां ठहरने के लिए होटल और धर्मशाला की अच्छी व्यवस्था है। आप चाहें तो यहां आकर या ऑनलाइन भी ठहरने के लिए कमरा बुक कर सकते हैं।

महाशिवरात्रि के दौरान पूरा नगर शिवमय हो जाता है । ऐसा लगता है जैसे भोलेनाथ स्वयं पृथ्वी पर आ गए हों। ऐसी मान्यता है कि यहां आकर दर्शन करने से सारे पाप उतर जाते हैं और इंसान मोक्ष को प्राप्त होता है। वैसे श्रावण महीने के कावड़ियों की पदयात्रा भी देखते बनती है।

अक्टूबर से मार्च तक का मौसम यहां घूमने के लिए सुहावना रहता है। अभी उज्जैन महाकाल का मंदिर भव्य तरीके से कॉरिडोर बनाकर दर्शकों के देखने लायक बन गया है। जीवन में एक बार इस तीर्थ में आकर महाकाल के दर्शन का पुण्य अवश्य लेना चाहिए।

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