Duniya Ke Famous Shiv Mandir: वैश्विक स्वीकृति के प्रमाण के रूप में मौजूद हैं ये विदेशों में मौजूद शिव मंदिर

Duniya Ke Famous Shiva Mandir: नेपाल से लेकर साउथ अफ्रीका, अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया, थाईलैंड तक ऐसे शिव मंदिर हैं जहां हर हर महादेव की गूंज के साथ दर्शन करने के लिए हजारों भक्तों की भीड़ एकत्रित होती हैं।;

Written By :  Jyotsna Singh
Update:2025-02-16 16:48 IST

Duniya Ke Famous Shiv Mandir (फोटो साभार- सोशल मीडिया)

Duniya Ke Famous Shiv Mandir: कण-कण में शिव की मौजूदगी का जीता जागता साक्ष्य प्रस्तुत करते हैं विदेशी धरती पर मौजूद शिव मंदिर (Shiv Temple)। जहां सारे धर्म सिमट कर शिवमय होकर रह जाते हैं। क्या आपको इस बारे में जानकारी है कि भगवान शिव के मंदिर सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि धरती के हर कोने-कोने में हैं। नेपाल से लेकर साउथ अफ्रीका, अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया, थाईलैंड तक ऐसे शिव मंदिर हैं जहां हर हर महादेव की गूंज के साथ दर्शन करने के लिए हजारों भक्तों की भीड़ एकत्रित होती हैं। ऐसे कई देशों में शिव मंदिर स्थापित हैं, जहां भक्त उनकी पूजा-अर्चना करते हैं। कुछ प्रमुख शिव मंदिर निम्नलिखित हैंः-

1. प्रंबानन मंदिर (इंडोनेशिया)

(फोटो साभार- सोशल मीडिया)

इंडोनेशिया का यह मंदिर शिव को समर्पित सबसे बड़ा हिंदू मंदिरों में से एक है। इसे 9वीं शताब्दी में बनाया गया था और यह यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल भी है। प्रंबानन मंदिर न केवल इंडोनेशिया बल्कि पूरे दक्षिण-पूर्व एशिया में हिंदू धर्म की एक महान धरोहर है। इसकी भव्यता, शिल्पकला और ऐतिहासिक महत्व इसे एक अद्वितीय तीर्थस्थल बनाते हैं।

प्रंबानन मंदिर का निर्माण माताराम साम्राज्य के शासनकाल में किया गया था।

इसे रकई पिकतन नामक राजा ने बनवाया था।

यह मंदिर हिंदू धर्म के शैव परंपरा से जुड़ा है। इस मंदिर की वास्तुकला की भव्यता भी अनोखी है। मंदिर की ऊँचाई 47 मीटर (154 फीट) है, जिससे यह इंडोनेशिया का सबसे ऊँचा हिंदू मंदिर बनता है। इसकी संरचना भारतीय नागर शैली से प्रभावित है। इसमें मुख्य रूप से तीन बड़े मंदिर हैं, जो त्रिमूर्ति (ब्रह्मा, विष्णु और महेश) को समर्पित हैं।

शिव मंदिर के साथ-साथ पार्वती, गणेश, नंदी, गरुड़ और हंस के मंदिर भी यहाँ मौजूद है। यहां अद्भुत मूर्तिकला और शिल्पकारी की भी मिसाल देखने को मिलती है। मंदिर के दीवारों पर रामायण और महाभारत की कथा को उकेरा गया है।

यहाँ की मूर्तियों में बारीकी से की गई नक्काशी भारतीय मंदिरों की भव्यता की याद दिलाती है।

मुख्य शिव मंदिर में भगवान शिव की 3 मीटर ऊँची मूर्ति स्थित है।

प्राकृतिक सौंदर्य से सुसज्जित यह मंदिर जोगजाकार्ता शहर के पास स्थित है और हरे-भरे उद्यानों से घिरा हुआ है।

मंदिर समूह में लगभग 240 छोटे-बड़े मंदिर हैं।

रात में इसकी रोशनी से सजी हुई छवि इसे और भी भव्य बना देती है। यहाँ हर साल “रामायण बैले“ का आयोजन होता है, जिसमें रामायण की कथा को नृत्य और नाटक के माध्यम से प्रस्तुत किया जाता है। इंडोनेशिया में इस्लाम के आने से पहले हिंदू धर्म प्रमुख धर्म था, और यह मंदिर उस गौरवशाली अतीत की निशानी है। आज भी यहाँ हिंदू त्योहार, विशेषकर महाशिवरात्रि को धूमधाम से मनाया जाता है। यूनेस्को द्वारा संरक्षण यह मंदिर 1991 में यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल घोषित हुआ।

2006 के जोगजाकार्ता भूकंप के दौरान इसे काफी क्षति पहुँची, लेकिन बाद में इसे फिर से बहाल किया गया। प्रंबानन मंदिर के पास ही प्रसिद्ध बोरोबुदुर बौद्ध स्तूप स्थित है, जिससे यह क्षेत्र हिंदू-बौद्ध संस्कृति के संगम का प्रतीक बनता है।

2. मुनेश्वरनाथ मंदिर (मॉरीशस)

मुनेश्वरनाथ मंदिर मॉरीशस में हिंदू संस्कृति और परंपराओं का एक महत्वपूर्ण केंद्र है। इसकी भव्यता, धार्मिक महत्व और सामाजिक योगदान इसे मॉरीशस के सबसे प्रतिष्ठित मंदिरों में से एक बनाते हैं। विशेष रूप से महाशिवरात्रि और गंगा तालाब से इसकी निकटता इसे और भी पवित्र और महत्वपूर्ण बनाती है।मॉरीशस में बड़ी संख्या में भारतीय प्रवासी रहते हैं, जिन्होंने शिव भक्ति को कायम रखा है। यहाँ का ग्रैंड बेसिन (गंगा तालाब) एक प्रसिद्ध तीर्थस्थल है, जहाँ भगवान शिव की 108 फीट ऊँची प्रतिमा स्थित है।

मंदिर की वास्तुकला पारंपरिक द्रविड़ और नागर शैली से प्रभावित है। इसमें सुंदर नक्काशी और जीवंत रंगों से सजी हुई मूर्तियाँ हैं।

शिवलिंग के साथ-साथ मंदिर में गणेश, पार्वती, हनुमान, विष्णु और अन्य देवी-देवताओं की मूर्तियाँ भी स्थापित हैं।

यह मंदिर भारतीय मूल के मॉरीशस निवासियों के लिए एक धार्मिक और सांस्कृतिक केंद्र है।

मंदिर में योग, संस्कृत कक्षाएँ और धार्मिक शिक्षा का आयोजन किया जाता है। मॉरीशस सरकार और हिंदू संगठनों द्वारा इस मंदिर का संरक्षण किया जाता

कई विदेशी पर्यटक, विशेष रूप से भारत, यूरोप और अफ्रीका से आने वाले श्रद्धालु यहां दर्शन के लिए आते हैं।

3. पशुपतिनाथ मंदिर (नेपाल)

(फोटो साभार- सोशल मीडिया)

पशुपतिनाथ मंदिर न केवल नेपाल बल्कि पूरे विश्व के हिंदू धर्मावलंबियों के लिए अत्यंत पवित्र तीर्थस्थल है। इसकी प्राचीनता, भव्य वास्तुकला, धार्मिक महत्व और बागमती नदी का आध्यात्मिक संबंध इसे अद्वितीय बनाता है। यहाँ हर साल लाखों श्रद्धालु आते हैं और भगवान शिव की आराधना करते हैं, जिससे यह हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण केंद्र बना हुआ है। यह काठमांडू में स्थित एक प्राचीन और महत्वपूर्ण शिव मंदिर है। पशुपतिनाथ मंदिर को 1979 में यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर स्थल घोषित किया गया था।

विशेष नियम और आचार-संहिता के तहत यहां केवल हिंदू श्रद्धालुओं को ही मंदिर के मुख्य गर्भगृह में प्रवेश की अनुमति है।

मंदिर में चमड़े की वस्तुएँ, कैमरा और जूते ले जाना मना है।

मंदिर परिसर में अल्पाहार और दान-पुण्य की विशेष व्यवस्था है।

मंदिर में संन्यासियों और साधुओं की एक बड़ी संख्या रहती है, जो यहाँ भक्ति और साधना में लीन रहते हैं।

यहाँ अनेक हिंदू ग्रंथों और वेदों का अध्ययन किया जाता है।

पशुपतिनाथ मंदिर नेपाल के राष्ट्रीय गौरव का भी प्रतीक है और यह नेपाल की राजधानी काठमांडू का आधिकारिक धरोहर स्थल है।

4. नटराज मंदिर (चिदंबरम, तमिलनाडु की तर्ज पर- अमेरिका)

अमेरिका का नटराज मंदिर न केवल शिव भक्ति का केंद्र है बल्कि यह भारतीय संस्कृति और परंपरा का एक जीवंत उदाहरण भी है। इसकी वास्तुकला, धार्मिक अनुष्ठान, और सांस्कृतिक गतिविधियाँ इसे न केवल भारतीय समुदाय के लिए बल्कि पूरी दुनिया के हिंदू अनुयायियों के लिए एक महत्वपूर्ण स्थल बनाती हैं।

अमेरिका के ह्यूस्टन में मौजूद भव्य नटराज मंदिर में भगवान शिव को नटराज रूप में पूजा जाता है।यह तांबे और पीतल से बनी हुई है और शिव के तांडव नृत्य को दर्शाती है।

चिदंबर रहस्य दृ चिदंबरम मंदिर की तरह यहाँ भी आकाश तत्व को दर्शाने वाली पूजा की जाती है। मंदिर में नियमित रूप से शास्त्रीय संगीत और नृत्य कार्यक्रम होते हैं। यहां न केवल भारतीय बल्कि अमेरिकी और अन्य विदेशी श्रद्धालु भी यहाँ आते हैं और शिव की आराधना करते हैं।

5. शिव शक्ति मंदिर (त्रिनिदाद और टोबैगो)

यहाँ भारतीय प्रवासियों ने हिंदू संस्कृति और भक्ति परंपरा को संजोए रखा है। यह मंदिर शिव और पार्वती को समर्पित है। शिव शक्ति मंदिर स्थानीय और विदेशी पर्यटकों के लिए एक प्रमुख आकर्षण है। त्रिनिदाद में हिंदू धर्म के अन्य प्रमुख स्थलों जैसे हनुमान मूर्ति मंदिर और वाटरफ्रंट शिव मंदिर के साथ यह मंदिर भी भक्तों के लिए एक विशेष स्थान रखता है।

त्रिनिदाद और टोबैगो में लगभग 22 फीसदी आबादी हिंदू धर्म का पालन करती है। भारतीय संस्कृति और धार्मिक परंपराओं को बनाए रखने में इस मंदिर की महत्वपूर्ण भूमिका है। मंदिर में नियमित रूप से भारतीय संगीत, नृत्य, योग और ध्यान शिविर का आयोजन किया जाता है। शिव शक्ति मंदिर न केवल एक धार्मिक स्थल है बल्कि यह भारतीय संस्कृति और हिंदू धर्म का त्रिनिदाद और टोबैगो में प्रमुख केंद्र भी है। इसकी शिव और पार्वती की भव्य मूर्तियाँ, हिंदू रीति-रिवाजों के अनुसार होने वाले धार्मिक अनुष्ठान और सामाजिक योगदान इसे इस क्षेत्र में हिंदू समुदाय के लिए एक महत्वपूर्ण स्थल बनाते हैं।

6. इंग्लैंड और कनाडा के शिव मंदिर

हिंदू धर्म की लोकप्रियता और प्रवासियों की धार्मिक आस्था के कारण इंग्लैंड और कनाडा में कई भव्य शिव मंदिर स्थापित किए गए हैं। ये मंदिर धार्मिक, सांस्कृतिक और सामाजिक केंद्रों के रूप में कार्य करते हैं और हिंदू समुदाय की आस्था का प्रमुख केंद्र हैं। लंदन और टोरंटो में कई शिव मंदिर हैं, जहाँ बड़ी संख्या में भक्त महाशिवरात्रि और अन्य पर्वों पर पूजा करते हैं।

7. श्री काशी विश्वनाथ मंदिर (लंदन)

यह मंदिर वाराणसी के काशी विश्वनाथ मंदिर की तर्ज पर बना है। यहाँ भव्य शिवलिंग स्थापित है, जहाँ विशेष रूप से महाशिवरात्रि, सावन सोमवार और कार्तिक मास में बड़ी संख्या में भक्त दर्शन करने आते हैं।

मंदिर में संस्कृत पाठशाला, ध्यान कक्ष और वेदांत अध्ययन केंद्र भी संचालित होते हैं। श्री मुरुगन मंदिर (लंदन ) मुख्य रूप से भगवान कार्तिकेय (मुरुगन) को समर्पित है, लेकिन यहाँ भगवान शिव, पार्वती, गणेश और अन्य देवी-देवताओं की भी पूजा होती है। यह इंग्लैंड में तमिल हिंदू समुदाय के लिए विशेष धार्मिक महत्व रखता है।

मंदिर में द्रविड़ शैली की वास्तुकला और नक्काशीदार गोपुरम (प्रवेश द्वार) बना हुआ है। शिवालय मंदिर बर्मिंघम में स्थित मंदिर हिंदू समुदाय के लिए आध्यात्मिक केंद्र के रूप में कार्य करता है। यहाँ विशेष रूप से रुद्राभिषेक, हवन, और गीता प्रवचन आयोजित किए जाते हैं।

मंदिर में योग और ध्यान केंद्र भी हैं, जहाँ नियमित रूप से आध्यात्मिक कार्यशालाएँ होती हैं। कनाडा के शिव मंदिरों में रिचमंड हिल हिंदू मंदिर (टोरंटो, ओंटारियो) कनाडा के सबसे बड़े हिंदू मंदिरों में से एक है और भगवान शिव सहित कई देवी-देवताओं को समर्पित है।

मंदिर की वास्तुकला दक्षिण भारतीय शैली में बनी हुई है।

यहाँ महाशिवरात्रि, श्रावण सोमवार, और कार्तिक पूर्णिमा जैसे पर्व बड़े उत्साह से मनाए जाते हैं। श्री शिव विष्णु मंदिर (मिसिसॉगा, ओंटारियो) मंदिर शिव और विष्णु दोनों को समर्पित है और कनाडा में तमिल और भारतीय प्रवासियों के लिए एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल है।

मंदिर में हवन, भजन-कीर्तन, और भगवद गीता प्रवचन होते हैं। इसमें शिवलिंग का अभिषेक और विशेष रूप से रुद्राभिषेक अनुष्ठान प्रतिदिन किए जाते हैं।

श्री पशुपतिनाथ मंदिर (मॉन्ट्रियल, क्यूबेक) नेपाल के पशुपतिनाथ मंदिर की तर्ज पर बना है और यहाँ चारमुखी शिवलिंग स्थापित है। ये मंदिर नेपाली और भारतीय हिंदू समुदाय के लिए धार्मिक आस्था का प्रमुख केंद्र है।

यहाँ नियमित रूप से संस्कृत शिक्षण कक्षाएँ, वेद अध्ययन और ध्यान शिविर आयोजित किए जाते हैं। इन मंदिरों में पारंपरिक भारतीय और नेपाली शैली के भव्य शिवलिंग और मूर्तियाँ स्थापित हैं। ये मंदिर महाशिवरात्रि, श्रावण मास, और दीपावली जैसे प्रमुख हिंदू त्योहारों को भव्य रूप से मनाते हैं। मंदिरों में योग कक्षाएँ, ध्यान केंद्र, और गीता व वेद अध्ययन की सुविधाएँ उपलब्ध हैं। इन मंदिरों में भारतीय संस्कृति, संगीत, नृत्य, और भाषा (संस्कृत, हिंदी, तमिल) की कक्षाएँ आयोजित होती हैं। मंदिरों में गरीबों के लिए भोजन वितरण, रक्तदान शिविर, और आपदा राहत कार्य जैसे सेवा कार्य किए जाते हैं।

7. बैलूर और हैलेबिडु के मंदिर (कंबोडिया और थाईलैंड)

बेलूर और हलेबिडु के मंदिरों की अद्भुत वास्तुकला और कला का प्रभाव कंबोडिया और थाईलैंड के खमेर और थाई मंदिरों में स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है। ये मंदिर दक्षिण भारत की होयसला शैली से प्रेरित होकर बने और हिंदू धर्म के वैश्विक प्रभाव को दर्शाते हैं। उनकी मूर्तिकला, धार्मिक कथाएँ, और स्थापत्य शैली भारतीय शिल्पकला की महानता को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर स्थापित करती हैं। अंगकोर वाट (कंबोडिया) का निर्माण शिव और विष्णु को समर्पित था। थाईलैंड में भी शिव को पूजने वाले कई मंदिर हैं। यहां मौजूद मंदिर वट फ्रा केव एमराल्ड बुद्धा का घर है और इसका स्थापत्य शैली हिंदू मंदिरों से प्रभावित है।

यहाँ के स्तंभ, छत की नक्काशी, और मूर्तियाँ बेलूर और हलेबिडु की होयसला कला के प्रभाव को दर्शाती हैं। इसके अलावा वट अरुण (बैंकॉक) मंदिर थाईलैंड की सबसे प्रसिद्ध संरचनाओं में से एक है। इसका पिरामिडनुमा ढाँचा अंगकोर वाट और होयसला मंदिरों से प्रेरित लगता है।

मंदिर की सजावट में भारतीय शैली की मूर्तियाँ, शिवलिंग के प्रतीक, और जटिल नक्काशी का प्रभाव स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है। मंदिर में विष्णु और शिव की प्रतिमाएँ भी हैं, जो होयसला राजाओं की उपासना परंपरा को दर्शाती हैं। कंबोडिया और थाईलैंड के मंदिरों में होयसला मंदिरों की तरह भारतीय महाकाव्यों को उकेरा गया है। यहाँ की संरचना और पत्थरों पर उकेरी गई कहानियाँ भारतीय हिंदू कला और बेलूर-हलेबिडु की मूर्तिकला से प्रभावित हैं।

यहां बेलूर की तरह, कंबोडिया और थाईलैंड में भी मंदिरों में नृत्यरत देवियाँ और अप्सराएँ दिखाई देती हैं। हलेबिडु की तरह, इन देशों के मंदिरों में भी शिल्पकारों ने बेहद सूक्ष्म और जीवंत चित्रण किया है। इन देशों के कई मंदिरों में शिवलिंग, विष्णु और देवी पार्वती की मूर्तियाँ मिलती हैं। थाईलैंड में मौजूद फिमई मंदिर खमेर साम्राज्य के समय का है और इसका डिज़ाइन अंगकोर वाट से मेल खाता है।

यहाँ की संरचना और पत्थरों पर उकेरी गई कहानियाँ भारतीय हिंदू कला और बेलूर-हलेबिडु की मूर्तिकला से प्रभावित हैं। विदेशों में शिव भक्ति का विस्तार भारतीय संस्कृति के प्रभाव और हिंदू धर्म की वैश्विक स्वीकृति का प्रमाण के रूप में मौजूद हैं ये मंदिर।

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