Ramayana Real Places: रामायण में वर्णित मुख्य स्थान, आप नहीं जानते होंगे इनके बारे में
Main places mentioned in Ramayana: रामायण का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है। रामायण में सात अध्याय हैं। इन अध्याय को काण्ड के नाम से भी जाना जाता है।
Main places mentioned in Ramayana: रामायण जोकि हिंदू धर्म का एक पवित्र ग्रंथ है। रामायण का हिंदी अर्थ राम की जीवन यात्रा है। वाल्मीकि द्वारा रचित रामायण एक महाकाव्य भी है। पवित्र रामायण में भगवान राम के जीवन की पूरी गाथा का मार्मिक वर्णन है। रामायण का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है। रामायण में सात अध्याय हैं। इन अध्याय को काण्ड के नाम से भी जाना जाता है। इन अध्यायों में भगवान राम के जीवन के हर पहलू को सविस्तार से बताया गया है। ऐसे में आइए आपको रामायण से जुड़ी कुछ प्रमुख रोचक जगहों की सैर कराते हैं जिन जगहों का पवित्र ग्रंथ रामायण में उल्लेख मिलता है।
रामायण की प्रमुख जगहें
तमसा नदी
तमसा नदी उत्तर प्रदेश के अयोध्या से 20 किमी दूर स्थित है। यहां पर भगवान राम ने नाव से नदी पार की थी।
श्रृंगवेरपुर तीर्थ
यूपी के प्रयागराज से करीबन 20-22 किलोमीटर दूर श्रृंगवेरपुर में भगवान राम पहुंचे थे। जोकि निषादराज गुह का राज्य था। इसी जगह गंगा नदी के तट पर भगवान राम ने केवट से गंगा पार करने को कहा था। वहीं अब श्रृंगवेरपुर को सिंगरौर के नाम से जाना जाता है।
कुरई गांव
प्रयागराज से 20-22 किलोमीटर दूर सिंगरौर नाम की जगह में गंगा नदी पार करके भगवान श्रीराम कुरई में ठहरे थे।
प्रयाग
प्रयागराज के कुरई से आगे चलकर भगवान श्रीराम अपने भाई लक्ष्मण और पत्नी सीता के साथ प्रयाग नामक जगह पर पहुचे। इस जगह को इलाहाबाद के नाम से जाना जाता था।
चित्रकूट
अब भगवान श्रीराम ने प्रयाग संगम के पास यमुना नदी को पार करने के बाद चित्रकूट पहुंच गए। बता दें, चित्रकूट वही जगह है जहां पर भगवान श्री राम को मनाने के लिए उनके भाई भरत अपनी सेना के साथ पहुचे थे। उस समय तक भगवान राम के पिता दशरथ का देहांत हो जाता है। तो भरत यहां भगवान राम से मिलकर उनकी चरण पादुका ले जाते हैं और उन्हें राजगद्दी पर रखकर राज्य संभालते हैं।
सतना
सतना चित्रकूट के पास ही है। जोकि अत्रि ऋषि का आश्रम था। लेकिन अनुसूइया पति महर्षि अत्रि चित्रकूट के तपोवन में रहते थे। यहीं सतना में 'रामवन' नामक जगह पर भी भगवान श्रीराम रुके थे, जहां ऋषि अत्रि का एक तरफ आश्रम था।
दंडकारण्य
उत्तर प्रदेश के चित्रकूट से निकलकर भगवान राम घने जगलों में पहुंचते हैं। यहीं उनका वनवास होता है। इस समय इस जगंल को दंडकारण्य कहा जाता था। बता दें, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र के कुछ क्षेत्रों को मिलाकर दंडकाराण्य जगह बनी थी।
ऐसी धार्मिक मान्यता है कि दंडकारण्य वहीं जगह है जहां के आकाश में ही रावण और जटायु का युद्ध हुआ था। तभी युद्ध के दौरान जटायु के कुछ अंग दंडकारण्य में आ गिरे थे। पूरी दुनिया में जटायू का यही एकमात्र मंदिर है।
पंचवटी नासिक
पंचवटी नासिक वो जगह है जहां पर भगवान राम दण्डकारण्य में मुनियों के आश्रमों में रहने के बाद पहुंचे थे। यहां पर भगवान राम अगस्त्य मुनि के आश्रम में गए थे। ये आश्रम नासिक के पंचवटी इलाके में है जोकि गोदावरी नदी के किनारे बसा है। इसी जगह पर लक्ष्मण ने शूर्पणखा की नाक काटी थी।
सर्वतीर्थ
शूर्पणखा की नाक काटने वाली नासिक जगह में मारीच और खर व दूषण के वध के बाद ही रावण ने माता सीता का हरण किया था। सर्वतीर्थ नासिक से 56 किमी दूर ताकेड गांव में आज भी है।
पर्णशाला
रामायण में उल्लेखित जगह पर्णशाला आंध्रप्रदेश में खम्माम जिले के भद्राचलम में है। बता दें, पर्णशाला को 'पनशाला' या 'पनसाला' भी कहते हैं। जोकि गोदावरी नदी के तट पर स्थित है। ऐसा बताया जाता है कि इसी जगह से माता सीता का हरण हुआ था। लेकिन कुछ लोगों का मानना है कि इस जगह पर रावण ने अपना विमान उतारा था।
तुंगभद्रा
भगवान राम और लक्ष्मण माता सीता को खोजते हुए तुंगभद्रा तथा कावेरी नदी के आस-पास के इलाके में पहुचे थे।
शबरी का आश्रम
माता सीता की खोज में तुंगभद्रा और कावेरी नदी को पार करते हुए भगवान राम और लक्ष्मण ऋष्यमूक पर्वत पहुंचे। यहां से वे पम्पा नदी के नजदीक शबरी आश्रम गए। जो इन दिन केरल में है। शास्त्रों में बताया गया है कि शबरी जाति से भीलनी थीं और उनका नाम श्रमणा था।
बता दें, इसी 'पम्पा' नदी तुंगभद्रा नदी का पुराना नाम है। इस नदी के किनारे हम्पी बसा हुआ है। 'रामायण' में हम्पी को वानर राज्य किष्किंधा की राजधानी के रूप में उल्लेख किया गया है। अब केरल का प्रसिद्ध 'सबरिमलय मंदिर' तीर्थ इसी नदी के किनारे पर स्थित है।
ऋष्यमूक पर्वत
बढ़ते-बढ़ते भगवान राम मलय पर्वत और चंदन वनों को पार करते हुए वे ऋष्यमूक पर्वत की तरफ बढ़े। यहां पर भगवान राम ने हनुमान और सुग्रीव से मिलाकात की। यहां भगवान राम ने माता सीता के आभूषणों को देखा और बाली का वध किया।
कोडीकरई
भगवान राम ने कोडीकरई समुद्र तट में अपने सेना एकत्र की। कोडीकरई वेलांकनी के दक्षिण में स्थित है। यहां भगवान राम की सेना ने पड़ाव डाला और भगवान राम ने अपनी सेना को कोडीकरई में एकत्र किया था।
रामेश्वरम
रामेश्वरम हिंदूओं का पवित्र तीर्थ स्थल है। रामायण में उल्लेखित है कि भगवान राम ने लंका पर चढ़ाई करने के पहले यहां समुद्र तट के किनारे भगवान शिव की पूजा की थी। यहीं पर भगवान राम द्वारा शिवलिंग की स्थापना की गई।
धनुषकोडी
रामायण के मुताबिक, भगवान राम ने रामेश्वरम के आगे समुद्र में एक ऐसी जगह ढूंढ़ निकाली, जहां से बहुत आसानी से श्रीलंका तक पहुंचा जा सकता था। इस जगह का नाम धनुषकोडी था।
'नुवारा एलिया' पर्वत श्रृंखला
वाल्मीकि रचित रामायण के मुताबिक, श्रीलंका के बीच में रावण का महल था। यहां से 'नुवारा एलिया' पहाड़ियों पड़ती हैं। इन नुआरा एलिया पहाड़ियों के आसपास रावण फॉल, रावण गुफाएं, अशोक वाटिका, खंडहर हो चुके विभीषण के महल समेत कई जगहें हैं जिनसे रामायण काल होने की पुष्टि होती है।