Mankameshwar Temple: मनकामेश्वर मंदिर में होगी हर मनोकामना पूरी, रामायणकाल में ही बना है ये मंदिर
Mankameshwar mandir lucknow ki history: रामायण काल में बना लखनऊ के डालीगंज में गोमती नदी के तट पर स्थित मनकामेश्वर मंदिर लोगों की आस्था का आज भी बड़ा केंद्र बना हुआ है। यहां शिव भक्त अपनी मनोकामना लेकर शिव के दरबार में आते हैं।
Mankameshwar mandir lucknow ki history: क्या आप लखनपुर नामक जगह से परिचित हैं ? क्या हुआ ? कुछ समझ नहीं आ रहा ? या कुछ याद नहीं आ रहा है ? तो चलिए आज हम आपको लखनपुर का दूसरा प्रचलित नाम बताते हैं। लखनऊ , जी हाँ लखनऊ नाम से तो हर कोई परिचित ही होगा। नवाबों का शहर कहलाने वाले लखनऊ प्राचीन काल में कोसल राज्य का हिस्सा था। जो भगवान राम की ही विरासत थी। और जिसे उन्होंने अपने छोटे भाई भाई लक्ष्मण को समर्पित कर दिया था। जिस कारण इसे लक्ष्मणावती, लक्ष्मणपुर या लखनपुर के नाम से भी जाना जाता था। जिसे बाद में बदल कर लखनऊ कर दिया गया। बता दें कि यहां से रामजन्म भूमि अयोध्या भी मात्र 80 मील दूरी पर ही स्थित है।
रामायणकाल में बना डालीगंज में गोमती नदी के तट पर स्थित महादेव मंदिर
खैर वैसे तो लखनऊ की पहचान नवाबों के शहर के रूप में ज्यादा प्रचलित हो चुकी है। यहाँ के खान-पान, रहन-सहन, बातों के नजाकत और इमारतों में आपको नवाबों की ही पहचान दिखेगी। यहां पर्यटन के दृष्टिकोण से काफी खूबसूरत और प्राचीन इमारतें भी हैं। इसके अलावा रामायणकाल में बना लखनऊ के डालीगंज में गोमती नदी के तट पर स्थित महादेव मंदिर लोगों की आस्था का आज भी बड़ा केंद्र बना हुआ है। इसे मनकामेश्वर मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। यहां शिव भक्त अपनी मनोकामना लेकर शिव के दरबार में आते हैं और इस श्रृद्धा के साथ अपनी मनोकामना कहते हैं। मान्यता है कि इस मंदिर में जो भी भक्त सच्चे और साफ़ मन से अपनी मनोकामना भगवान शंकर के आगे मांगता है। उसकी मनोकामना जरूर पूरी होती है। यहाँ आने वाले सभी भक्त महादेव का अलौकिक दर्शन करते हैं। भक्तों की यह दृढ़ श्रद्धा है कि मनकामेश्वर मंदिर में उनकी सभी इच्छाओं की पूर्ति भगवान् भोले शंकर जरूर करते हैं। महादेव का यह मंदिर मनकामेश्वर नाम से बेहद प्रसिद्ध है। गोमती नदी के बाएं तट पर शिव-पार्वती का यह अद्भुत मंदिर बहुत सिद्ध माना जाता है। मंदिर में सुबह- शाम भव्य आरती होती है, जिसकी छटा भक्तों को मंत्र -मुग्ध कर देती है।
लक्ष्मण ने की थी शिवलिंग की आराधना
पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक मंदिर में शिवलिंग की आराधना लक्ष्मण जी ने की थी। मंदिर के पुजारियों के अनुसार माता सीता को वनवास छोड़ने के बाद लखनपुर के राजा लक्ष्मण ने यहीं रुककर भगवान शिव की अराधना की थी, जिससे उनके मन को अपार शांति मिली थी। उसके बाद कालांतर में मनकामेश्वर मंदिर की स्थापना की गई थी।
बता दें कि सावन मास के मौके पर मंदिर में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ देखने को मिलती है। यहां पर सुबह व शाम होने वाली अलौकिक आरती का विशेष महत्व माना जाता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार यहां जो आरती में शामिल होकर मन में जो भी कामना की जाती है वो अवश्य पूरी होती है। इस मंदिर में भोलेनाथ का फूल, बेलपत्र और गंगा जल से मनभावक अभिषेक किया जाता है। मंदिर में सुबह और शाम को होने वाली भव्य आरती में काफी संख्या में भक्त मौजूद होते हैं। मनकामेश्वर मंदिर के फर्श पर लगे चांदी के सिक्के इस पवित्र जगह को और अलौकिकता और सुंदरता प्रदान करते हैं।
मनकामेश्वर मंदिर भक्तों की श्रद्धा के बड़ा केंद्र
रामायणकाल से गोमती नदी के तट पर बसा यह मनकामेश्वर मंदिर भक्तों की श्रद्धा के एक बहुत बड़ा केंद्र है। यहाँ आने वाले सभी भक्त अपने अंदर एक दिव्यशक्ति और चिर आनंद के साथ आंतरिक शांति का अनुभव करते हैं। भक्त यहाँ भोले बाबा से अपनी मनोकामना लेकर आते हैं। विवाह और संतानप्राप्ति की मनोकामना के साथ महादेव का बेलपत्र, गंगाजल और दूध आदि से श्रद्धापूर्वक अभिषेक करते हैं। इस जगह की अलौकिक सुंदरता को शब्दों में बयान कर पाना मुश्किल है। इसकी अनभूति के लिए आप स्वयं यहाँ आएं।
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