Mirzapur Religious Places: मिर्जापुर : धार्मिक, ऐतिहासिक और प्राकृतिक स्थली

Mirzapur Religious Places:पहाड़ों पर हरे-भरे घास और प्राकृतिक झरनों से माहौल मंत्रमुग्ध करने वाला रहता है।यहां घूमने के लिए कई स्थल हैं जिनका आनंद लिया जा सकता है। इनमें प्रमुख है

Update: 2024-07-13 16:14 GMT

Mirzapur Religious Places ( Social- Media- Photo)

Mirzapur Religious Places: भारत देश के उत्तर प्रदेश का मिर्जापुर जिला अपने ऐतिहासिक , धार्मिक और प्राकृतिक पर्यटक स्थलों के लिए देश भर में मशहूर है। यहां के वाटर फॉल्स का आनंद लेने दूर दूर से लोग आते हैं।मिर्जापुर शहर गंगा नदी के किनारे और विंध्याचल की पहाड़ियां पर बसा है। पर्यटकों के लिए बरसात के मौसम में मिर्जापुर की सुंदरता देखते ही बनती है। पहाड़ों पर हरे-भरे घास और प्राकृतिक झरनों से माहौल मंत्रमुग्ध करने वाला रहता है।यहां घूमने के लिए कई स्थल हैं जिनका आनंद लिया जा सकता है। इनमें प्रमुख हैं:

चुनार का किला :


मिर्जापुर से लगभग 30 किमी दूर चुनार स्थित चुनारगढ़ का किला बहुत ही मशहूर जगह है। गंगा नदी के तट पर स्थित इस खूबसूरत किले का इतिहास बहुत पुराना है। यह जगह चीनी मिट्टी की मूर्तियों के लिए भी जाना जाता है। यह एक ऐतिहासिक स्थल भी है। ऐसा कहा जाता है कि इस किले का निर्माण 56 ईसा पूर्व उज्जैन के राजा विक्रमादित्य ने अपने भाई राजा भरथरी के लिए करवाया था। इस किले में कई राज छुपे हुए हैं जैसे इस किले में बना हुआ सोनवा रानी का मंडप जहां किसी की भी शादी नहीं हो पाई और यह मंडप आज तक कुंवारा ही रह गया। किसी जमाने में देखा जाने वाला टीवी सीरियल चंद्रकांता की कहानी का संबंध भी इसी किले से है।

लखनिया और चूना दरी :


मिर्जापुर के अहरौरा स्थित लखनिया दरी का जलप्रपात पर्यटकों के लिए खास आकर्षण का केंद्र रहता है। इसकी प्राकृतिक सुंदरता पर्यटकों को खासकर प्रकृति प्रेमियों को बरसात के दिनों में काफी लुभाता है। सावन के महीने में यहां वाराणसी, भदोही, सोनभद्र, इलाहाबाद आदि जगहों से सैलानियों का जमावड़ा लगा रहता है। पिकनिक के तौर पर यहां कई व्यंजनों का आनंद भी उठा सकते हैं।
चुनार शहर से करीब 22 किमी दूर पहाड़ों से गिरते इस झरना के बीच बने गुफाओं में प्राचीन काल की चित्रकारी भी देखते बनती है। पहाड़ों पर बने इन घोड़े और पालकी के चित्रों को कोहबर या गुहा चित्र या भिती चित्र के नाम से भी जानते हैं।

टांडा जलप्रपात :


मिर्जापुर से लगभग 14 किमी की दूरी पर स्थित टांडा जलप्रपात यहां का एक आकर्षक पर्यटन स्थल है। मानसून के दिनों में इस जगह की ख़ूबसूरती और बढ़ जाती है। ज्यादातर लोग अपने परिवार और दोस्तों के साथ इस जगह पर पिकनिक मनाने के लिए आते हैं।

मां विंध्यवासिनी मंदिर :


मिर्जापुर जिले में आस्था के प्रमुख केंद्र विंध्याचल धाम में मां विंध्यवासिनी का इतिहास आदिकाल से है। इस जगह से होकर गंगा नदी निकलती है। मां के दर्शन के लिए रोजाना हजारों की संख्या में श्रद्धालु यहां आते हैं। दक्षिण भारत और वाममार्गी साधकों के लिए यह जगह प्राचीन काल से ही भक्ति का केंद्र रहा है।यह स्थान एक शक्ति पीठ मंदिर के रूप में भी पूजा जाता है। पौराणिक कथा के अनुसार मार्कंडेय पुराण में वर्णित है कि मां विंध्यवासिनी ने महिषासुर का वध करने के लिए अवतार लिया था। ऐसी मान्यता है कि इस स्थान पर तप से मनुष्य सिद्धियों को प्राप्त कर सकता है।यहां श्रद्धालु मां विंध्यवासिनी देवी के साथ अष्टभुजी देवी मंदिर और कालीखोह मंदिर दर्शन करके त्रिकोण परिक्रमा पूरा कर सकता है। विंध्यवासिनी देवी मंदिर मां दुर्गा को समर्पित है वहीं कालीखोह मंदिर प्राचीन गुफा के रूप में देवी महाकाली को समर्पित है। यह कालीखोह मंदिर विंध्यवासिनी मंदिर से करीब 6 किमी की दूरी पर स्थित है। नवरात्र के दौरान इस प्राचीन मंदिर में भारी तादाद में श्रद्धालु आते हैं।

अष्टभुजी मंदिर :


मां सरस्वती को समर्पित यह मंदिर एक पहाड़ी पर स्थित है। पौराणिक कथाओं के अनुसार अष्टभुजी भगवान श्री कृष्ण की बहन थी जो जेल में राक्षस कंस के वध से अपने को बचाकर यहां पर आई थी। अष्टभुजी माता को यशोदा माता की पुत्री भी कहा जाता है। विंध्याचल पर्वत पर स्थित यह मंदिर मिर्ज़ापुर के प्रमुख दर्शनीय स्थलों में से एक है। देश के कोने कोने से श्रद्धालु यहां मां के दर्शन के लिए आते हैं। ऊंची पहाड़ी पर स्थित इस मंदिर में जाने के लिए पर्यटक सीढ़ियां और रोप वे दोनों का सहारा ले सकते हैं।

काली खोह मंदिर :



मिर्जापुर जिले में स्थित इस मंदिर में माता काली की पूजा होती है । विंध्याचल की पहाड़ियों पर स्थित यह मंदिर आस्था का बहुत बड़ा केंद्र है। इस पहाड़ी से प्राकृतिक दृश्य भी देखने योग्य रहता है।

मां दुर्गा मंदिर :


जिस प्रकार मां विंध्यवासिनी का दर्शन त्रिकोणी यात्रा के बाद ही पूर्ण माना जाता है, उसी तरह माता दुर्गा का यह मंदिर भी त्रिकोणी यात्रा के लिए प्रसिद्ध है। यह मंदिर चुनार रेलवे स्टेशन से करीब ही है।

दुर्गा मंदिर के बगल में त्रिकोण यात्रा की काली माता का मंदिर स्थित है। यहीं भैरव नाथ जी का मंदिर भी है। इस दुर्गा माता मंदिर में कई धार्मिक कार्य जैसे मुंडन संस्कार या विवाह का आयोजन किया जाता है।

लाल भैरव मंदिर :


मिर्जापुर के कंटित रोड पर स्थित इस ख़ास मंदिर में लोग बाबा भैरव के दर्शन के लिए आते हैं। पौराणिक मान्यता के अनुसार माता विंध्यवासिनी के दर्शन के बाद जब तक श्रद्धालु इस मंदिर में दर्शन नहीं लेंगे तब तक उनके माता का दर्शन सम्पूर्ण नहीं माना जाएगा।

पिपरी बांध :


पिपरी बांध मिर्जापुर की ख़ास जगहों में गिना जाता है, यहां से आप इस बांध और इसके प्राकृतिक वातावरण का आनंद ले सकते हैं। बेलन नदी पर बना यह बांध काफी बड़ा और विस्तार में फैला हुआ है।

सिरसी बांध :

मिर्जापुर शहर से करीब 45 किमी की दूरी पर बेलन नदी पर बना यह सिरसी बांध एक ख़ूबसूरत जगह है। इस जगह से थोड़ी दूरी पर एक जलप्रपात भी है जहां बरसात में लोग पिकनिक और प्राकृतिक वातावरण का मज़ा लेने आते हैं।


विन्धम झरना :



मिर्जापुर में पथरीले रास्तों से बहने वाला यह झरना सैलानियों को अपनी ओर आकर्षित करता है। हरे भरे वादियों के बीच स्थित इस झरने के पास इस शहर के लोग ज्यादातर परिवार या दोस्त के साथ पिकनिक मनाने आते हैं। यहां बच्चों के लिए पार्क और चिड़िया घर भी है जो मनोरंजन के लिए एक साधन है।

कोटरनाथ शिव मंदिर :


भगवान शिव को समर्पित कोटरनाथ शिव मंदिर मिर्ज़ापुर के धार्मिक स्थलों में एक है। बेलन नदी के बीचो बीच बना यह मंदिर भगवान के दर्शन के साथ नदी के खूबसूरती का नज़ारा भी दिखाता है। श्रावण महीने में भक्तों की भीड़ देखी जाती है।

अलोपी दरी :



मिर्ज़ापुर के झरने दरी के नाम से भी जाने जाते हैं। अलोपी दरी घने जंगल में स्थित होने की वजह से पैदल चलकर पार करना पड़ता है। इसकी प्राकृतिक छटा के कारण देश भर से सैलानी खासकर बरसात के मौसम में आते हैं।

सिद्धनाथ की दरी :


मिर्जापुर का खूबसूरत पर्यटन स्थल सिद्धनाथ की दरी प्रकृति प्रेमियों के लिए स्वर्ग का एहसास कराती है।मिर्जापुर के अडगडानंद परमहंस आश्रम मार्ग पर स्थित इस जगह पर शांति और सकून का अनुभव कर सकते हैं।

इफ्तिखार का मकबरा :


मिर्ज़ापुर स्थित इस ख़ास मकबरे को देखने देश के कोने कोने से लोग आते हैं। कहते हैं मुगल शासक जहांगीर के पदाधिकारी इफ्तिखार खान जो बंगाल युद्ध के दौरान अपनी वीरता का परिचय देते हुए वीर गति को प्राप्त हुए थे, के स्मृति में यह मकबरा बनाया गया था।

अंबेडकर पार्क :


यह पार्क मिर्जापुर के स्थानीय लोगों का पसंदीदा जगह है। इस जगह पर हर उम्र के लोग आकर अपना समय बिताना पसंद करते हैं। यहां पार्क में फूलों का बगीचा, चलने के लिए वाकिंग ट्रेक जैसे सुविधा पर्यटकों को सुखद एहसास दिलाता है।

कैसे पहुंचें ?

हवाई मार्ग से मिर्जापुर पहुंचने का सबसे नजदीकी हवाई अड्डा वाराणसी का लाल बहादुर शास्त्री अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा है,जो मिर्जापुर से करीब 50 किमी की दूरी पर स्थित है।

रेल मार्ग से निकटतम रेलवे स्टेशन मिर्जापुर है। ट्रेन के जरिये इस जगह आसानी से पहुंच सकते हैं। यहां पहुंच कर स्थानीय वाहन या टैक्सी के माध्यम से घूम सकते हैं।

सड़क मार्ग से मिर्जापुर आसपास के शहरों से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है।

मिर्जापुर रेलवे स्टेशन से मां विंध्यवासिनी देवी मंदिर की दूरी लगभग 7 से 8 किलोमीटर है । दिल्ली और पंडित दीनदयाल उपाध्याय रेलवे मार्ग पर स्थित विंध्याचल रेलवे स्टेशन पर बहुत सारी गाड़ियां रूकती है।

मिर्जापुर घूमने साल के हर महीने और हर दिन जा सकते हैं, लेकिन यहां घूमने का असली आनंद बरसात और सर्दियों के मौसम में आता है।

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