Mirzapur: इतिहास और प्राकृतिक नजारों से है लगाव, तो जरूर जाइए मिर्जापुर के इन जगहों पर

Best Place in Mirzapur : यूपी का मिर्जापुर जिला कई ऐतिहासिक और सांस्कृतिक जगहों तथा इमारतों का एक केंद्र है। अगर आप इतिहास में रुचि रखते हैं तो यहां आकर आप इन जगहों का अच्छा अनुभव ले सकते हैं।

Written By :  Bishwajeet Kumar
Update:2022-07-25 14:09 IST

Visit Place In Mirzapur (Image Credit : Social Media) 

Mirzapur Famous Place : उत्तर प्रदेश का मिर्जापुर (Mirzaapur Tourist Place) जनपद वाराणसी जनपद से करीब 70 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। मिर्जापुर कई ऐतिहासिक इमारतों प्राचीन जलप्रपात, तालाबों से घिरा हुआ एक जिला है, यहां कुछ बहुत प्रसिद्ध त्यौहार मनाए जाते और मेलें लगते हैं। यहां आप एक बेहतरीन प्राकृतिक परिवेश और हरे-भरे जीव-जंतु यात्रा को एक समृद्ध अनुभव कर सकते हैं। आइए जानते हैं मिर्जापुर के कुछ बहु प्रसिद्ध स्थानों तथा जलप्रपात के बारे में-

टांडा जलप्रपात (Tanda Falls Mirzapur)

टांडा वाटर फॉल्स मिर्जापुर के कुछ सबसे प्रसिद्ध पर्यटन स्थलों में से एक है। यहां देश के अलग-अलग होने से लोग वाटरफॉल का नजारा देखने आते हैं। यह मिर्जापुर के मुख्य शहर से लगभग 14 किमी दक्षिण में स्थित है और आप सड़क मार्ग से आसानी से पहुँच सकते हैं। बरसात के मौसम में प्राकृतिक वनस्पति और जीव अपने चरम पर होते हैं। प्राकृतिक जलधारा और जलाशय अपने शांतिपूर्ण वातावरण और प्रचुर सुंदरता के कारण प्रमुख पर्यटक आकर्षण हैं।

मेजा बांध (Meja Dam Mirzapur)

मिर्जापुर में मेजा बांध अपने समृद्ध जीवों के लिए प्रसिद्ध है। यह बांध मिर्जापुर मेन सिटी से करीब 50 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है यहां आपको कई तरह के प्रवासी और आवासीय पक्षियों का नजारा देखने को मिलेगा हर वीकेंड पर यहां प्रदेश के अलग-अलग हिस्सों से लोग घूमने के लिए आते हैं।

पक्का घाट (Pakka Ghat Mirzapur)

मिर्जापुर में पक्का घाट एक बहुत प्रसिद्ध पर्यटन स्थल है यहां बलुआ पत्थरों पर नक्काशी का नायाब कला देखने को मिलता है। इस घाट पर मौजूद मंदिर कई रहस्यवादी गुणों से जुड़े हुए हैं। यहां हर रोज मिर्जापुर तथा उससे सटे आसपास के जनपदों में भारी संख्या में लोग पूजा करने और घूमने के लिए आते हैं।

सिरसी बांध (Sirsi Dam Mirzapur)

मिर्जापुर मुख्य शहर से करीब 45 किलोमीटर की दूरी पर स्थित सिरसी वाटरफॉल या सिरसी बांध टांडा वॉटरफॉल्स के करीब स्थित है। प्राकृतिक परिवेश और हरे-भरे पेड़ पौधों तथा जीव जंतु का नजारा यहां आप बड़े ही आसानी से देख सकते हैं यही कारण है कि यहां भी हर रोज भारी संख्या में लोग घूमने के लिए आते हैं।

काल भैरव मंदिर (Kaal Bhairav ​​Mandir Mirzapur)

मिर्जापुर की दक्षिण पश्चिमी छोर पर स्थित यहां का काल भैरव मंदिर क्षेत्र के कुछ सबसे प्राचीन मंदिरों में से एक है। सभी धार्मिक त्योहारों पर यहां भक्तों का भारी हुजूम देखने को मिलता है बता दें काल भैरव को समर्पित इस मंदिर से जुड़ी कई प्राचीनतम कहानियां भी हैं। मंदिर के बगल में स्थित भैरव कुंड या तालाब को पवित्र माना जाता है। यह भी माना जाता है कि पानी में औषधीय गुण होते हैं और प्राकृतिक उपचारों में विश्वास करने वाले आगंतुकों द्वारा इसकी बहुत मांग की जाती है।

नरघाट (Narghat Mirzapur)

मिर्जापुर शहर के तट पर स्थित नरघाट का उपयोग मालवाहक नौकाओं के लिए घाट के रूप में किया जाता था, जिस पर आस-पास के शहरों के लिए विभिन्न उत्पादों को लोड किया जाता था। अभी भी इसके पुराने पत्थर के खंभों पर अंग्रेजी, फारसी और हिंदी में पुराने शिलालेख और मूल्य हैं।

चुनार का किला (Chunar Fort Mirzapur)

मिर्जापुर जनपद में कई प्राचीनतम इमारतें मौजूद है उनमें से एक चुनार का किला जिसका निर्माण 16वीं शताब्दी के दौरान उज्जैन के राजा महाराजा विक्रमादित्य ने करवाया था। इतिहासकारों के मुताबिक महाराजा विक्रमादित्य के भाई राजा भरथरी की मृत्यु के बाद उन्होंने इसी किले में समाधि ली। किला एक ठोस संरचना है जो चट्टान पर खड़ा है वहीं खड़ी ढलान के कारण, चट्टानी किला व्यावहारिक रूप से अभेद्य है। बता दें मुगल काल के दौरान, भारत में मुगल वंश के संस्थापक बाबर ने इसका दौरा किया। वहीं कुछ वक़्त बाद इस किले पर ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी द्वारा कब्जा कर लिया गया और उन्होंने किले को हथियारों और गोला-बारूद के डिपो के रूप में इस्तेमाल किया।

कजरी महोत्सव (Kajari Festival Mirzapur)

कजरी महोत्सव मिर्जापुर के सबसे प्रसिद्ध त्योहारों में से एक है। त्योहार राजा कांतित की बेटी काजली को श्रद्धांजलि देता है, जो अपने पति को समर्पित सुंदर गीत गाती थी, जो वह अपने जीवन के दौरान कभी नहीं मिल सकती थी।

सिद्धनाथ बाबा (Siddhanath Baba Mirzapur)

मिर्जापुर में मौजूद एक प्राकृतिक झरने का नाम सिद्धनाथ बाबा है। प्राचीन रॉक साइट और जलप्रपात अनादि काल से अस्तित्व में हैं। झरने के पार सिद्धनाथ बाबा की समाधि है। आज भी लोग यहां पुराने रॉक पेंटिंग और नक्काशियों का अध्ययन करने के लिए आते हैं। यह स्थान स्थानीय लोगों और पर्यटकों के लिए एक लोकप्रिय स्थल है।

कांटित मेला (Kantit Mela Mirzapur)

मिर्जापुर का कांटित मेला सार्वभौमिक भाईचारे का प्रतीक है जिसे हमेशा स्थानीय लोगों और पर्यटकों द्वारा मनाया जाता है। मेला में जीवन के सभी क्षेत्रों से लोग खुशी और खुशी की भावना का जश्न मनाने आते हैं।

लोहंडी मेला (Lohandi Mela Mirzapur)

लोहंडी मेला कार्तिक पूर्णिमा के दौरान और सावन के महीने में सभी शनिवारों के दौरान आयोजित किया जाता है। इस दिन स्थानीय लोग और भक्त शहर से 2 किमी दक्षिण में एक पुराने हनुमान मंदिर में जाते हैं और मंदिर को रोशनी या दीयों से खूबसूरती से सजाया जाता है। मेले में विभिन्न प्रकार के खाने, कपड़े और धार्मिक स्मृति चिन्ह बेचे जाते हैं।

ओझाला मेला (Ojala Mela मिर्जापुर)

ओझाला नदी के नाम पर रखा गया ओझाला मेला मिर्जापुर में आयोजित एक प्रसिद्ध मेले का नाम है। मेला हर साल आयोजित किया जाता है और इस मेले में बड़ी संख्या में स्थानीय लोग और पर्यटक शामिल होते हैं।

झूलाोत्सव (Jhulaotsav Mirzapur)

मिर्जापुर का झूलाोत्सव हिंदू देवताओं को समर्पित है और इस क्षेत्र के तीन मुख्य मंदिरों, श्री द्वारकाधीश मंदिर, गंगा जमुना सरस्वती मंदिर और कुंज भुवन में मनाया जाता है। इस दौरान इन तीन मंदिरों के स्थल पर कई उपासक आते हैं।

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