Panch Kedar Temples: उत्तराखंड में भगवान शिव को समर्पित ये हैं पंच केदार मंदिर, यहां दर्शन करने से पूरे कुल और पूर्वजों का हो जाता है तरण

Panch Kedar Temples: हिंदू धार्मिक ग्रंथों में वर्णन किया गया है कि पंच केदार के जो भी भक्त जीवन में एक बार ही दर्शन कर लेता है कि उसके पूरे कुल और पूर्वजों का तरण हो जाता है।

Report :  Vidushi Mishra
Update: 2023-02-15 07:59 GMT

Panch Kedar Temples (Photo - Social Media)

Panch Kedar Temples: देवभूमि उत्तराखंड भारत की आन-मान-शान है। धार्मिक और साधना स्थल के लिए मशहूर उत्तराखंड के कण-कण में देवों के देव महादेव का वास है। ऊंचे-ऊंचे पहाड़ों और देवदार के वृक्षों से घिरे हुए उत्तराखंड के गढ़वाल हिमालय क्षेत्र में स्थित ‘पंच-केदार’ भगवान शिव को समर्पित पाँच पवित्र धार्मिक स्थल हैं। पंच केदार के बारे में ऐसी मान्यता है कि ये मंदिर भगवान शिव के पौराणिक मंदिर है। जो भगवान शिव के पांच अंगों से निर्मित हुए है। 

हिंदू धार्मिक ग्रंथों में वर्णन किया गया है कि पंच केदार के जो भी भक्त जीवन में एक बार ही दर्शन कर लेता है कि उसके पूरे कुल और पूर्वजों का तरण हो जाता है। पंच केदार तीर्थ स्थलों में केदारनाथ मंदिर (3,583 मीटर ऊँचा) तुंगनाथ मंदिर (3,680 मीटर ऊँचा), रूद्रनाथ  मंदिर (2,286 मीटर ऊँचा), मध्यमहेश्वर मंदिर (3,490 मीटर ऊँचा) और कल्पेश्वर मंदिर (2,200 मीटर ऊँचा) है।

ऐसी मान्यता है कि महाभारत के युद्ध के बाद पांडव हिमालय क्षेत्र में भगवान शिव से अपने पापों का प्रायश्चित करने के लिए निकले, तो स्वगोत्र हत्या के दोषी पांडवों को भगवान शिव दर्शन नहीं देना चाहते थे।

इसलिए पांडल जब भगवान शिव को ढूंढ़ते हुए केदारनाथ पहुंचते हैं तो महादेव भैंसे का रूप धारण करके धरती में समा रहे थे। तभी भीम ने महादेव को पहचान लिया। लेकिन तब तक जमीन में समाने से पीठ का सिर्फ ऊपरी हिस्सा ही बचा था, और भीम ने उसे पकड़ लिया।

ये देखकर भगवान शिव ने उनको दर्शन दिए और पापों से मुक्त कर दिया। 

तभी से भैंस की पीठ की आकृति पिंड के रूप में देवों के देव महादेव केदारनाथ धाम में पूजे जाते हैं। 

भगवान शिव के अन्य भाग पूरे गढ़वाल क्षेत्र में विभिन्न जगहों पर स्थापित हैं। इसी तरह पंच केदार के बाकी पवित्र स्थल भी पांडवों को अलग-अलग रूपों में दिखाई दिए। इसके बाद पांडवों को भगवान शिव के साक्षात् दर्शन हुए, जिसके बाद पांडवों की स्वर्गारोहण की यात्रा पूरी हुई। 

पंच केदार भगवान शिव के इन अंगों से निर्मित हुए 

केदारनाथ धाम में कूबर

तुंगनाथ मंदिर में हाथ (बाहू)

रूद्रनाथ मंदिर में चेहरा (मुख)

मध्यमहेश्वर मंदिर में नाभि (नाभि)

कल्पेश्वर में बाल (जटा)

आइए बताते हैं पंच केदार मंदिरों के बारे में-

केदारनाथ महादेव मंदिर
Kedarnath

(Image Credit- Social Media)

केदारनाथ धाम भगवान शिव के पंच केदार मंदिरों में सबसे पहले आता है। केदारनाथ धाम बाराह ज्योतिर्लिंगों में से है। इस मंदिर को आठवीं और नौवीं शताब्दी के मध्य आदि जगतगुरु शंकराचार्य ने जीर्णोद्धार कराया था।

धार्मिक मान्यता है कि केदारनाथ धाम में चारधामों में से एक है। यहां भगवान शिव का कूबड़ प्रकट हुआ था। साल के सिर्फ 6 महीने के लिए केदारनाथ धाम के कपाट खुलते हैं। 

तुंगनाथ महादेव मंदिर
Tungnath

(Image Credit- Social Media)

तुंगनाथ मंदिर उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में है। ये मंदिर पंच केदार में से एक है। तुंगनाथ महादेव का मंदिर विश्व में भगवान शिव के सबसे ऊंचे शिव मंदिरों में से एक है। 

रुद्रनाथ महादेव मंदिर
Rudranath Mahadev Temple

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रुद्रनाथ महादेव मंदिर हिमालय की चोटियों पर उत्तराखंड के चमोली जिले में है। रुद्रनाथ महादेव पंच केदार में से भगवान शिव का तीसरा मंदिर है। यहां भगवान शिव के एकानन यानी मुख की पूजा होती है। इस मंदिर के बारे में ऐसी मान्यता है कि इस क्षेत्र की रक्षा वन देवी करती हैं। इस वजह से रुद्रनाथ महादेव की पूजा से पहले वन देवी की पूजा की जाती है।

मध्यमहेश्वर मंदिर
Shree Madhyamaheswar Temple

(Image Credit- Social Media)

मध्यमहेश्वर महादेव मंदिर रुद्रप्रयाग में गौंडर नामक गांव में है। पंच केदार में से चौथा मंदिर मध्यमहेश्वर मंदिर है। भगवान शिव के इस मंदिर में महादेव की नाभि की पूजा की जाती है।

कल्पेश्वर महादेव मंदिर
Kalpeshwar Mahadev Temple

(Image Credit- Social Media)

पंच केदारों में से महादेव का पांचवा मंदिर कल्पेश्वर महादेव का मंदिर है। ये मंदिर उत्तराखंड के गढ़वाल में है। इस मंदिर में भगवान शिव को जटाधर के रूप में पूजा जाता है। पंच केदार में से ऊपर बताए गए चारों मंदिर ठंड के मौसम में बर्फ से ढके रहते हैं। लेकिन कल्पेश्व महादेव मंदिर में सालभर महादेव की पूजा-अर्चना होती है।



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