Panchmukhi Hill Sonbhadra: पंचमुखी पहाड़ियों में मौजूद है 16 साल पुराने भित्ति चित्र, जानें इनका इतिहास
Panchmukhi Hill Sonbhadra: सोनभद्र उत्तर प्रदेश का एक प्रसिद्ध जिला है और यहां से कुछ किलोमीटर दूर पंचमुखी पहाड़ियां है। इन पहाड़ियों में मौजूद गुफा में हजारों साल पुराने भित्ति चित्र देखने को मिलते हैं।
Panchmukhi Hill Sonbhadra: उत्तर प्रदेश का सोनभद्र एक बहुत ही प्रसिद्ध जिला है यहां की पहाड़ियां मौजूद है। यहां पर बहुत पुरानी रॉक पेंटिंग हैं जो सुरक्षा संरक्षण के अभाव में लगातार मस्त होती चली जा रही है। संगीत पहाड़ी पर दर्ज मासी गुफाएं मौजूद आदिमानव काल की कई गुफाएं। हैं, जिनमें रॉक पेंट मौजूद है। सोनभद्र से लगभग 8 किलोमीटर दूर पंचमुखी महादेव स्थित यहां के पहाड़ों की चट्टानों व गुफाओं में प्राचीन भित्ति चित्र आज भी मौजूद हैं। भित्ति चित्र (रॉक पेंटिंग) कितने प्राचीन हैं, इसका पता लगाने के लिए जानकारों व विषय विशेषज्ञों की मदद ली जानी चाहिए ताकि यहां के दुर्लभ प्राचीन भित्ति चित्रों का संरक्षण हो सके।
पेंटिंग में पूजा पाठ (Puja in Painting)
इन रॉक पेंटिंग में गो चारण, पूजा पाठ, पशुपालन, शिकार, बिजली के खंभे की पेंटिंग दिखाई देती है। इन प्राचीन गुफाओं में पर्यटकों द्वारा बिना रोक टोक के आने जाने और पिकनिक मनाने की वजह से पेंटिंग्स पर काफी प्रभाव पड़ गया है। वैसे तो पुरातत्व विभाग में इनकी नंबरिंग की है लेकिन खुला होने की वजह से यह चित्र फीके पड़ रहे हैं।
पहाड़ियों पर है प्राचीन गुफाएं (Ancient Caves On The Hills)
पंचमुखी की पहाड़ियों पर प्राचीन गुफाएं मौजूद है। शिव मंदिर के पीछे ऐसे तमाम गुफाएं हैं जहां पर भित्ति चित्र देखने को मिलते हैं। लोग यहां पर पिकनिक मनाने के लिए पहुंचते हैं और आए दिन होने वाले धुएं की वजह से भित्ति चित्र खराब हो रहे हैं।
कई साल पुरानी पेंटिंग (Many Years Old Painting)
यहां पर जो पेंटिंग है उसमें कई प्रकार के जानवर और मानव सभ्यताओं को देखा जा सकता है। कई हजार 100 वर्ष पुराने होने के बावजूद भी ये ऐसी की ऐसी है लेकिन लोग अब इन्हें खराब कर रहे हैं। इन गुफाओं में कुछ ऐसी पेंटिंग भी है जो 16000 साल पुरानी है।
पंचमुखी मन्दिर के भित्त चित्रों का गहरे रंग का रहस्य (The Secret of The Paintings of Panchmukhi Temple)
पांच हजार साल पुराने शैलचित्रों के रंग इतने गहरे कैसे हैं। प्रदूषण और पर्यावरण परिवर्तन के दुष्परिणाम झेलने के बाद भी अब तक इतने आकर्षक व चटक क्यों हैं। इनका रहस्य उजागर करने की तैयारी है। सोनभद्र की पंचमुखी पहाड़ी के दो किलोमीटर क्षेत्र में 23 शैलाश्रय मिले हैं, इन पर इस्तेमाल हुए रंगों का अध्ययन शुरू हुआ है। चित्रों का रासायनिक विश्लेषण भी हो रहा है। सेटेलाइट की मदद से पहली बार शैलाश्रयों का सूक्ष्म दस्तावेजीकरण करने में सफलता मिली है। रमन स्पेक्ट्रोस्कोपी उपकरण से पांच सैंपल संग्रहित किए हैं। आइआइटी में डी-स्ट्रेच साफ्टवेयर द्वारा रंगों का परीक्षण हो रहा है। अगर शैलचित्रों में जैविक तत्व मिलते हैं तो तिथि निर्धारण की प्रक्रिया शुरू की जाएगी। वैसे नमूनों में मिले रंगों का अध्ययन शुरू हो गया है। इसे पूरा करने में काफी समय लग सकता है। हालाँकि अभी तक रंगो के बारे में कोई वैज्ञानिक तथ्य नहीं मिल पाएं हैं।