मध्य प्रदेश में है भोलेनाथ का अद्भुत मंदिर, यहां अष्टमुखी स्वरूप में विराजित हैं महादेव

Lord Shivas Ashtamukhi Shivling : मध्य प्रदेश के मंदसौर में अष्टमुखी भोलेनाथ विराजित हैं। यह विश्व की एकमात्र इस तरह की अनोखी मूर्ति है।

Written By :  Richa Singh
Update: 2024-04-23 16:45 GMT

Lord Shivas Ashtamukhi Shivling (Photos - Social Media)

Lord Shivas Ashtamukhi Shivling : भगवान शिव कई भक्तों के आराध्य हैं और उन्हें भोले भंडारी के नाम से पहचाना जाता है। भोलेनाथ अपने भक्तों की हर मनोकामना बहुत ही जल्द पूरी कर देते हैं। दुनिया भर में भगवान शिव के अनेक मंदिर मौजूद है जहां वह अलग-अलग रूपों में विराजमान हैं। भोलेनाथ के अति प्रिय रुद्राक्ष के बारे में तो हम सभी ने सुना ही है जो एक मुखी चार मुखी पांच मुखी और 10 मुखी भी होता है। लेकिन क्या आप ऐसे शिवलिंग के बारे में जानते हैं जो अष्टमुखी है। अगर नहीं तो आज हम आपको अष्ट मुखी शिवलिंग पशुपतिनाथ महादेव के बारे में बताते हैं।

पशुपतिनाथ के करें दर्शन

पशुपतिनाथ मन्दिर भारत देश के मध्य प्रदेश राज्य के मन्दसौर जिले में स्थित एक प्राचीन मन्दिर है। यह मन्दसौर नगर में शिवना नदी के किनारे स्थित है। पशुपतिनाथ की मूर्ति पूरे विश्व में अद्वितीय प्रतिमा है ये प्रतिमा इस संसार की एक मात्र प्रतिमा है जिसके आठ मुख है और जो अलग-अलग मुद्रा में दिखाई देते है इस प्रतिमा की भी अपनी कहानी है ।

Lord Shivas Ashtamukhi Shivling


ऐसी है कहानी

मंदसौर के ही एक उदा नाम के धोबी द्वारा जिस पत्थर पर कपड़े धोये जाते थे, वही पत्थर भगवान पशुपतिनाथ की मूर्ति थी। बताया जाता है कि एक दिन वह गहरी नींद में सो रहा था तो उसे स्वयं भगवान शंकर सपने में आये और उसे बोले कि तू जिस पत्थर पर अपने व लोगो के मेले कपड़े धोता है वही मेरा एक अष्ट रूप है। यह सुनकर उस धोबी ने सुबह अपने दोस्तों को यह बात बताई और सब ने मिलकर उस मूर्ति को नदी के गर्भ से बाहर निकाला। मूर्ति इतनी विशालकाय ओर भारी थी कि 16 बेलों की जोड़ी भी उसे खीचने में असमर्थ हो रही थी, पर लोगो की मदद से मूर्ति को निकाला गया। मूर्ति को नदी के उस कोने से इस कोने पर जब लाया जा रहा था तब एक चमत्कार हुआ मूर्ति उस कोने से इस कोने आ तो गई परन्तु मूर्ति को नदी से दूर एक उचित स्थान पर स्थापित करने बेलो की सहायता से ले जाया जा रहा था तो वह जैसे नदी से दूर जाना नही चाह रही थी जिस जगह आज मूर्ति स्थापित है वही जगह जहां से मूर्ति हिली ही नही। आज उस जगह पर भगवान पशुपतिनाथ का विशालकाय मंदिर स्थापित है। मूर्ति को निकालने के वक्त से लगभग 18 सालो तक मूर्ति की स्थापना नही हो पाई थी क्योंकि उस वक्त संसाधनों का बहुत अभाव हुआ करता था। कहा जाता है वहां के एक सज्जन पुरुष श्री शिवदर्शन अग्रवाल द्वारा मूर्ति को अपने बगीचे में संभालकर रखा गया था। भागवताचार्य श्री श्री 1008 स्वामी प्रत्यक्षानंद जी द्वारा मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा की गई थी व बाद में ग्वालियर स्टेट की राज माता श्री विजयाराजे सिंधिया द्वारा एक विशाल मंदिर का निर्माण करवाया गया एवं मंदिर शिखर पर स्वर्ण कलश को स्थापित किया गया। महादेव श्री पशुपतिनाथ की मूर्ति को एक ही पत्थर पर बहुत ही आकर्षक तरीके से बनाया गया है।

Lord Shivas Ashtamukhi Shivling


दुनिया का अनोखा शिवलिंग

मंदसौर के पशुपतिनाथ महादेव मंदिर का शिवलिंग विश्व में एकमात्र ऐसा है जो अष्ट मुखी है। यह शिमला नदी के तट पर मौजूद है और यह शिवलिंग 7.5 फीट ऊंचा है। इसकी सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसमें भगवान शिव के बाल्यावस्था से वृद्धावस्था तक की झलक दिखाई देती है।

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