Radha Raman Temple History: जाने राधा रमण 500 साल पुराने मंदिर का रहस्य और कथा।

Radha Raman Temple History: वृन्दावन एक ऐसे मंदिर का रहस्य जहां साक्षात भगवान समाहित हैं।

Update:2024-03-04 11:23 IST

Radha Raman Temple (Photos - Social Media)

Radha Raman Temple History: वृन्दावन जिसे बृज के नाम से भी पहचाना जाता है। कहा जाता है की यहां के कण कण में श्री कृष्ण समाहित हैं। यहां अनगिनत भगवान कृष्ण जी के मंदिर हैं। जिनकी अलग अलग मान्यता और अपनी अलग रहस्य की कहानी हैं। आज हम आपको 500 साल पुराने मंदिर के बारे में बताएंगे जहां प्रभु की लीला साक्षात नजर आती है। राधा रमण मंदिर एक प्रसिद्ध हिन्दू मंदिर है जो भारत के वृंदावन शहर में स्थित है। यह मंदिर कृष्ण भगवान को अवतारित करने वाले राधा रमण देवी के परम प्रेमी के रूप में विख्यात है। मंदिर का निर्माण 1542 ईसा पूर्व में हुआ था, और इसे ज्योतिर्मय गोस्वामी द्वारा स्थापित किया गया था।

राधा रमण मंदिर का इतिहास (Radha Raman Mandir Ka Itihas)

राधा रमण मंदिर वृंदावन, उत्तर प्रदेश, भारत में स्थित है और यह एक प्रमुख हिंदू मंदिर है जो श्री राधा रमण देव को समर्पित है। इस मंदिर का इतिहास गहन और प्राचीन है। राधा रमण मंदिर का निर्माण 1542 ईसा पूर्व में गोस्वामी गोविन्द लाल जी द्वारा किया गया था। इस मंदिर में भगवान कृष्ण के भक्तों का आदर्श स्थल है। मंदिर का नाम "राधा रमण" भगवान कृष्ण के विशेष नामों में से एक है, जो उनके राधा रानी के साथ के भावुक सम्बंध को दर्शाता है। यह मंदिर भक्ति और साधना के लिए प्रसिद्ध है। यहाँ पर भगवान की पूजा-अर्चना, भजन-कीर्तन और साधना के अवसर प्राप्त होते हैं।

Radha Raman Temple

राधा रमण मंदिर से जुड़े रहस्य (Radha Raman Mandir Ka Rahasya)

माना जाता है कि मंदिर के रसोई घर में 500 साल से भी ज़्यादा समय से लगातार आग जल रही है. यह वही आग है जो मंदिर के निर्माण के समय जलाया गया था.

मंदिर में लगने वाले भोग को ऐसी आग में पकाया जाता है.

मंदिर में लगातार जलती रहने वाली ज्योति को कभी बुझाया नहीं जाता. माना जाता है कि यह 475 सालों से लगातार जल रही है.

इस ज्योति को माचिस या किसी अन्य आधुनिक साधन से नहीं जलाया जाता. बल्कि यह मंत्रों द्वारा प्रज्वलित की जाती है.

माना जाता है कि राधा रमण जी के मंदिर में 500 सालों से अग्नि स्वतः ही प्रज्वलित है.

पौराणिक कथा के अनुसार, चैतन्य महाप्रभु के शिष्य गोपाल भट्ट गोस्वामी ने अपनी भक्ति के बल पर राधा रमण जी के विग्रह रूप को प्रकट किया था.

नृसिंह चतुर्दशी के दिन सालिगराम शिला के पास गोपाल भट्ट की नज़र एक सांप पर पड़ी. उन्होंने जब उसे हटाना चाहा तो वह शिला राधारमण के रूप में प्रकट हुई.

इसी साल वैशाख पूर्णिमा के दिन मंदिर में इसकी स्थापना की गई. उस दौरान गोपाल भट्ट ने मंत्रों के मध्य अग्नि प्रविष्ट की थी.

राधा रमण मंदिर में भगवान कृष्ण की जो मूर्ति है, वह स्वयं प्रकट हुई थी.

राधा रमण के मूर्ति की पीठ पीछे से शालिग्राम जैसे दिखाती है. अर्थात पीछे से देखने पर शालिग्राम के दर्शन होते हैं

Radha Raman Temple

मंदिर की विशेषताएं 

मंदिर का स्थान: राधा रमण मंदिर का स्थान वृंदावन के नाथद्वारा गोलोक वृंदावन में है, जिसे काफी धार्मिक महत्व माना जाता है। इस स्थान पर कई पुरानी कथाएं और मान्यताएं हैं जो इसे अद्वितीय बनाती हैं।

श्री राधा रमण देवी के साथ कृष्ण: मंदिर में श्री राधा रमण देवी के साथ श्री कृष्ण की आत्मीय मूर्ति है, जो उनकी अद्वितीय प्रेम कथाओं को साकार करती है। यह मंदिर प्रेम और समर्पण के प्रतीक के रूप में माना जाता है।

आर्किटेक्चरल विशेषता: मंदिर का आर्किटेक्चरल डिजाइन भी अद्वितीय है, जिसमें परंपरागत भारतीय स्थापत्यकला के प्रणालियों का प्रयोग किया गया है। इसकी दीवारों और स्तम्भों पर उकेरे गए नक्काशी और मोतीलालित काम भी देखने लायक हैं।

प्रतिदिन की पूजा-अर्चना: मंदिर में रोज भक्तों द्वारा पूजा-अर्चना की जाती है और विशेष धार्मिक आयोजन आयोजित किए जाते हैं। यहां भक्तों का आत्मीय वातावरण होता है जो उन्हें आत्मा की शांति और सुख का अनुभव करने में सहायक होता है।

Radha Raman Temple


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