Rajasthan Chhapi Village: कौरवों को हराने के लिए पांडवों ने इस गांव में किया था यज्ञ, यहां आज भी जल रही है धूनी

Rajasthan Chhapi Village History : महाभारत की कहानी से सभी लोग रूबरू हैं। चलिए आज हम आपको उस गांव के बारे में बताते हैं जहां पांडवों को ने यज्ञ किया था।

Update: 2024-08-09 12:00 GMT

Rajasthan Chhapi Village History (Photos - Social Media)

Rajasthan Chhapi Village History : महाभारत की कहानी से हम सभी रूबरू हैं। हम यह जानते हैं की कौरव और पांडवों के बीच 64 के खेल में पांडवों की जो हर हुई थी उसकी वजह से उन्होंने 12 साल का बनवास और 1 साल का अज्ञातवास काटा था। अपनी सेनातवास के दौरान पांडव राजस्थान के डूंगरपुर जिले के छपी गांव भी गए थे। वनवास के समय युधिष्ठिर, भीम, अर्जुन, नकुल और सहदेव ने छापी गांव में कुछ दिनों के लिए निवास किया था. उस समय उन्होंने कौरवों से जीतने के लिए अपने हाथो से हवन कुंड, शिव लिंग और नंदी बनाया, आज भी यहां उस समय का शिवलिंग और यज्ञ कुंड यहां है. इसे देखने बाहर से कई श्रद्धालु यहां आते हैं.

यहां पांडवों ने किया था यज्ञ 

पांडवों ने छापी गांव में वनवास के समय रुक कर कौरवों को हराने के लिए भगवान शिव को खुश करने के लिए महायज्ञ का आयोजन किया था। इस महायज्ञ के अवशेष आज भी मिलते हैं जिसे पांडवों की ध्वनि के नाम से पहचाना जाता है।

Rajasthan Chhapi Village History

शिवजी को खुश करने के लिए यज्ञ 

वनवास के समय युधिष्ठिर भीम अर्जुन नकुल और सहदेव छपी गांव में कुछ दिन के लिए रुके थे। उसे समय कौरवों से जीतने के लिए उन्होंने हाथों से हवन कुंड शिवलिंग और नंदी का निर्माण किया था। भोलेनाथ को प्रसन्न करने के लिए यह सब किया गया था। यह सारे अवशेष पांडवों की धूनी कहलाए जाते हैं।

हजारों साल पुराने अवशेष 

यहां पर दुनिया अभी भी प्रज्वलित हो रही है और कहा जाता है कि यज्ञ करने के बाद ही पांडवों को कौरवो पर विजय मिली थी। यज्ञ के बनाए गए हवन कुंड दो शिवलिंग एक नदी और मूर्तियों के अवशेष बरगद के पेड़ के नीचे मौजूद है। इन्हें देखने पर ही हजारों साल पुराने प्रतीतहोते हैं।

Rajasthan Chhapi Village History

अभी भी हैं पांडवों की धुनि

यहां पर जो लोग रहते हैं वह पांडवों की धुनि का रख रखाव करते हैं। गांव के लोग बताते हैं कि आज भी पांडवों की ध्वनि वैसी ही है जैसी उस दौरान हुआ करती थी। समय के साथ खंडित हुए कुछ भागों को ठीक भी किया गया था।

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