Rajasthan Famous Mata Mandir: राजस्थान के इस मंदिर में होता है लकवे का इलाज, माता का चमत्कारिक मंदिर

Rajasthan Famous Mata Mandir: राजस्थान में एक ऐसा मंदिर है जहां पर लकवे से ग्रसित रोगी का इलाज मां की दैवीय शक्तियों से होता है,चलिए जानते है इस विशेष मंदिर के बारे में...

Update: 2024-08-31 03:15 GMT
Rajasthan Famous Mata Mandir (Pic Credit-Social Media)

Rajasthan Famous Temple: राजस्थान के बालाजी मंदिर में आपने बाहरी शक्तियों से परेशान लोगों को ठीक होते देखा होगा। लेकिन क्या आपको पता है राजस्थान के एक जिले में ऐसा मंदिर है, जहां मां के दर्शन करने से लेकर ग्रसित रोगी को बीमारी से निजात मिल जाती है। हम बात कर रहे है, टोंक जिले में स्थित माता बिजासन मंदिर की। यहां दर्शन करने दूर दूर से लोग आते है।

राजस्थान का प्रमुख मंदिर

राजस्थान के टोंक जिले (Tonk)के देवली शहर (Devali Shahar)के पास कुंचलवाड़ा नामक गांव में माता का मंदिर है। जिसे बिजासन माता मंदिर (Bijasan Mata Temple) के नाम से भक्तों के बीच जाना जाता है। यहां पर भक्तों का तांता लगा रहता है। लकवा जैसे गम्भीर रोग से ग्रस्त मरीज, जो एक बार जीने की आस छोड़ देते हैं, तब उनके जीवन में देवली के कुंचलवाड़ा गांव स्थित बिजासन माता आशा की किरण लेकर आती है। की वो ठीक हो सकते है, और अपने पैरों पर खड़े हो सकते है।

कैसे पहुंचे यहां?

यह पौराणिक स्थल राष्ट्रीय राजमार्ग जयपुर कोटा (Jaipur-Kota) पर स्थित देवली उपखंड से 4 किलोमीटर दूर स्थित है। यहां से राज्य के ओर अन्य राज्यों के हजारों लोगों की श्रद्धा जुड़ी हुई है।



मंदिर की मान्यता चमत्कार से कम नहीं

वर्तमान में आधुनिक चिकित्सा प्रणाली भी लकवा रोग के सामने लाचार साबित हुई है। लेकिन ऐसे लाइलाज रोग के इलाज करने के लिए दूर-दूर से भक्त बिजासन माता के द्वार में आते है। जहां मान्यता है कि, माता की कृपा से कई लकवा ग्रस्त रोगियों का इलाज होता है। यह मान्यता श्रद्धा और आस्था का ही एक चमत्कार माना जाता है। यहां आने वाले लकवा ग्रस्त रोगियों की संख्या प्रतिवर्ष बढ़ती जा रही है। 



भक्तों पर दिखता है मां की श्रद्धा का प्रभाव

 मंदिर के बारे में पुजारी का कहना है कि, लगभग 200 साल पहले कुम्हार जाति के ईशोधा नामक व्यक्ति को माता ने सपने में दर्शन देकर स्थान पर गोबर से लिपकर धूप लगाने और पूजा करने के लिए कहा था। उसी स्थान पर इस चमत्कारी प्रतिमा भी प्रकार हुई थी। पुजारी ने बताया कि रोगियों के यहां आने से उन्हें सकारात्मक लाभ मिलता है। दूर-दूर से लोग लकवा रोग के इलाज के लिए यहां आते हैं और मां की कृपा से लाभ पाते है।



कैसे होता है लकवा रोगियों का इलाज

मंदिर में रोगियों को माता जी की भभूत खिलाई जाती है और रोग ग्रस्त अंगों पर माता का धागा बांधा मंत्रों के साथ बंधा जाता है। इस दौरान रोगियों को तेल अभिमंत्रित करके दिया जाता है, जिसको रोग प्रभावित शरीर के भाग पर मालिश की जाती है। जिससे वह अंग से फिर से काम करने लग जाता है। मां कि श्रद्धा के चलते यहां लोग कई तरह की मनोकामनाएं रखते हैं। दूर दराज से आने वाले रोगियों और उनके परिवारजन को रहने और प्रसादी के लिए यहां धर्मशाला भी बनाई गई है। साथ हीं, गांव के व्यक्तियों ने बताया कि माताजी के दरबार आने के बाद कोई भी रोगी निराश नहीं लौटा है। साथ हीं, माता रानी की कृपा से लोगों की मनोकामनाएं भी पूर्ण होती है।

नवरात्र में होती है भक्तों की भीड़

नवरात्रि (Navratri) के दिनों में रोगियों से माता का मंदिर का भरा रहता है। माता के दर्शन के लिए दूर-दूर से आने वाले श्रद्धालुओं का विशाल जमावड़ा लगता है। माताजी के कई श्रद्धालु चैत्र और कुंवार दोनों ही नवरात्रि में दर्शन करने के लिए आते हैं। आरती में नियमित रूप से भाग लेने पर लकवा रोगी धीरे-धीरे उठकर चलने की स्थिति में आ जाता है और कुछ दिन में पूर्ण रूप से स्वस्थ हो जाता है।

नोट: यह आर्टिकल स्थानीय लोग और मंदिर के पुजारी के कथन व मान्यता के अनुसार लिखित है।

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