Ramdan In Varanasi: बनारस में भी खास है रमदान, मस्जिद से लेकर जाने रमदान स्पेशल डिश

Varanasi Ramdan Celebration: भारत भर में कुछ गलियां और सड़कें हैं जहां आप विशेष रमज़ान खाद्य पदार्थों का स्वाद ले सकते हैं। बनारस की गलियों में भी रमजान का रौनक देखने को मिलता है।

Written By :  Yachana Jaiswal
Update:2024-03-19 11:33 IST

Ramdan in Varanasi (Pic Credit-Social Media)

Varanasi Ramdan Celebrationi: यदि आप खाने के शौकीन हैं तो रमज़ान के दौरान भारत भर में मनोरम सड़कों और गलियों को कवर करने के लिए आपको लंबी पैदल यात्रा करनी पड़ेगी। आप यहां के खाने के व्यंजनों को कभी भी नकार नहीं पाएंगे। रमदान के इफ्तार पार्टी में भारत की सड़कों पर लगे स्वादिष्ट व्यंजनों से सजकर जान डाल देती हैं। रसदार कबाब से लेकर मसालेदार हलीम तक और अनूठे शाही टुकड़े से लेकर ताज़ा शर्बत तक, देश के लगभग हर कोने में स्वादिष्टता का इंतज़ार रहता है। यहां भारत भर में कुछ गलियां और सड़कें हैं जहां आप विशेष रमज़ान खाद्य पदार्थों का स्वाद ले सकते हैं। बनारस की गलियों में भी रमजान का रौनक देखने को मिलता है।

वाराणसी में रमजान का समय 

रमज़ान का महीना 11 मार्च, 2024 से भारत में शुरू हुआ। रमज़ान लगभग 30 दिनों तक चलता है, जो 9 अप्रैल 2024 को समाप्त होगा। इफ्तार का समय सूर्यास्त के साथ मेल खाता है, जबकि सहरी का समय सूर्योदय से पहले समाप्त होता है। इन दिशानिर्देशों का पालन करते हुए, वाराणसी में सहरी का समय सुबह 04:45 से 4:50 बजे के बीच रहता है, और इफ्तार का समय शाम 6:09 से 6:20 बजे के बीच है। 

रोजा और पांच वक्त का नमाज

रमज़ान के दौरान मुसलमान दो महत्वपूर्ण प्रथाओं का पालन करते हैं: सहरी और इफ्तार। सहरी रोजा शुरू होने से पहले खाया जाने वाला भोजन है, जबकि इफ्तार सूर्यास्त के समय रोजा खोलने का प्रतीक है। रमज़ान के दौरान, उपवास या रोज़ा सूर्योदय के साथ शुरू होता है और सूर्यास्त पर समाप्त होता है। इन समयों के बीच भोजन और पानी का सेवन पूरी तरह वर्जित होता है। दिन में पांच वक्त का नमाज़ पढ़ा जाता है: फज्र (भोर), ज़ुहर (दोपहर), अस्र (दोपहर), मगरिब (शाम), और ईशा (रात)।

रमजान के लिए खास 

रमजान के दौरान बनारस की गलियों में रौनक देखने को मिलती है। गली मोहल्ले शाम के वक्त खाने की चीजों से सजा जाता है। शाही टुकड़ा से लेकर बंगाली मिठाइयाँ, या जलेबी और गुलाब जामुन, लांगलता मिठाइयां बहुत ही स्वाद वाली होती है, लेकिन स्टालों पर मीठे व्यंजनों का स्वाद लेना भी सुनिश्चित करें। बनारस में कई अस्थायी फूड स्टालों से आने वाली मिश्रित सुगंध से आप खाने के लिए आकर्षित हो जायेंगे। यहां आकर गली में भटकते हुए पकौड़ी, चाट, समोसे और कटलेट जरूर खाए।



वाराणसी प्रसिद्ध मस्जिद

भारत के अधिकांश शहरों में मुगलों के शासन के बावजूद, वाराणसी इस्लाम की नैतिकता और पारंपरिक मूल्यों से अछूता नहीं रहा है।

वाराणसी में निम्नलिखित कुछ सबसे प्रमुख मस्जिदें हैं:

वाराणसी में ज्ञानवापी मस्जिद

लोकेशन: यह दशाश्वमेध घाट के उत्तर में , गंगा नदी के किनारे ललिता घाट के पास स्थित है।

ज्ञानवापी मस्जिद को अंतिम प्रमुख मुगल सम्राट औरंगजेब की है, और यह काशी विश्वनाथ मंदिर या वाराणसी के स्वर्ण मंदिर के निकट स्थित है। इसका निर्माण हिंदू धर्म पर इस्लाम की धार्मिक सर्वोच्चता को सुनिश्चित करने के लिए किया गया था क्योंकि औरंगजेब एक कट्टर शासक था जिसने मस्जिदों के निर्माण के लिए मंदिरों को नष्ट कर दिया था।



वाराणसी में आलमगीर मस्जिद

लोकेशन: पंच गंगा घाट से इस मस्जिद तक पहुँचने के लिए हमें कुछ सीढ़ियाँ चढ़नी पड़ती हैं। इस मस्जिद के सामने वेणी (बेनी) माधव मंदिर भी स्थित है। बेनी माधव का दरेरा के नाम से भी जानी जाने वाली आलमगीर मस्जिद एक और शानदार मस्जिद है, जो स्वर्गीय पंच गंगा घाट के साथ संरेखित है। मराठा सरदार बेनी मधुर राव सिंधिया द्वारा निर्मित हिंदू मंदिर को तब ध्वस्त कर दिया गया था जब सम्राट औरंगजेब ने बनारस पर कब्जा कर लिया था। मस्जिद शास्त्रीय वास्तुकला का एक आदर्श उदाहरण है। 



अढ़ाई कांगड़ा मस्जिद

लोकेशन: पुराना किला क्षेत्र, वाराणसी सिटी रेलवे स्टेशन के पश्चिम में।

अढ़ाई कांगड़ा मस्जिद शहर की एक प्रसिद्ध मस्जिद मानी जाती है। जब मुसलमान शक्तिशाली रूप से दक्षिण पूर्व एशियाई देशों पर कब्ज़ा करने का प्रयास कर रहे थे। मस्जिद का स्वरूप आकर्षक है।



गंजे शाहिदा मस्जिद

लोकेशन: पुराना किला क्षेत्र, काशी रेलवे स्टेशन के पश्चिम में।

मस्जिद भी बहुत पुरानी है और इसका इतिहास 13वीं शताब्दी का है, वह युग जब दिल्ली सल्तनत शक्तिशाली रूप से अपना प्रभाव फैलाने के प्रयास कर रही थी। 

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