सोमनाथ ज्योतिर्लिंग: धर्म व पर्यटन का अनोखा संगम
Somnath Temple: इतिहास के अनुसार सोमनाथ मंदिर पर आक्रमणकारियों ने 6 बार आक्रमण किया, इसके बावजूद इस मंदिर का अस्तित्व बरकरार है। इस मंदिर का पुनर्निर्माण अहिल्याबाई ने कराया था।
Somnath Temple: भारत के गुजरात राज्य में स्थित सोमनाथ का ज्योतिर्लिंग 12 ज्योतिर्लिंगों में से पहला ज्योतिर्लिंग माना जाता है। शिवपुराण के अनुसार इस मंदिर का निर्माण राजा दक्ष के दामाद सोमदेव या चन्द्रदेव ने दक्ष के श्राप से मुक्ति पाने के लिए भगवान शिव की आराधना करने के बाद ज्योतिर्लिंग में प्रकट होने के बाद किया था, जिसका विवरण ऋग्वेद में भी मिलता है। इन्हीं के नाम पर इस मंदिर का नाम सोमनाथ पड़ा।
इतिहास के अनुसार इस मंदिर पर आक्रमणकारियों ने 6 बार आक्रमण किया, इसके बावजूद इस मंदिर का अस्तित्व बरकरार है। इस मंदिर का पुनर्निर्माण अहिल्याबाई ने कराया था। अरब सागर के किनारे स्थित इस मंदिर के पास तीन पौराणिक नदियां सरस्वती, हिरण और कपिला आकार मिलती हैं। जिसे त्रिवेणी संगम भी कहा जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान श्री कृष्ण ने बहेलिया के तीर से घायल होकर अपना शरीर यहीं त्यागा था। मंदिर के 150 फुट ऊंचे शिखर पर करीब दस टन का कलश भी स्थापित है और उसपर 27 फुट का ध्वजा लहराता है।
इस मंदिर में तीन भाग हैं गर्भगृह, सभामंडप और नृत्यमंडप। मंदिर में लाइट एंड साउंड शो का भी आयोजन शाम को किया जाता है। इस मंदिर में भगवान शिव के दर्शन सुबह 6 बजे से रात 8 बजे तक कर सकते हैं।
नलसरोवर झील
यह झील प्रवासी पक्षियों के लिए मशहूर है और नवंबर से फरवरी तक लोग इन पक्षियों को देखने के लिए इस जगह अक्सर आते हैं। प्राकृतिक छटा भी देखने में बहुत मनोहर लगती है।
पंच पांडव गुफा
ऐसा मानना है कि पांचों पांडव कभी यहाँ रहते थे। इन्हीं की याद में यहां एक मंदिर बनवाया गया है। इस मंदिर को हिंगलाज माता का मंदिर नाम से भी जाना जाता है। यह जगह काफी शांत वातावरण में है।
गिर राष्ट्रीय उद्यान
गिर वन अपने शेरों के लिए प्रसिद्ध है। लगभग 1400 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैला यह उद्यान एशियाई शेरों के लिए एकमात्र प्राकृतिक आवास बचा है। इसके अलावा कई और लुप्त होते हुए प्राणी इस जंगल में मिल जायेंगे। इस उद्यान में आप जंगल सफारी का मजा ले सकते हैं।
त्रिवेणी घाट
यहां तीन नदियों हिरण, कपिला और सरस्वती का संगम है | इस घाट पर स्नान कर पुण्य और मोक्ष दोनों की प्राप्ति होती है।
भालका तीर्थ
लोगों का मानना है कि यह वही जगह है जहां जरा नामक शिकारी ने गलती से भगवान श्रीकृष्ण के चरणों में तीर मार दिया था और भगवान को अपना शरीर त्यागना पड़ा था। बाण अर्थात भाल इसलिए इस तीर्थ को भालका तीर्थ के नाम से जाना जाता है। इस मंदिर में भगवान श्रीकृष्ण की मूर्ति है।
प्रभास पाटन संग्रहालय
कला और पुरातत्व की वस्तुओं के लिए मशहूर इस म्यूजियम में पत्थर की मूर्तियां और शिलालेख की हजारों वस्तुएं मिल जायेंगी। सुबह 10.30 से शाम 5.30 तक आप इसमें घूम सकते हैं। बुधवार के दिन यह म्यूजियम बंद रहता है।
सोमनाथ बीच या समुद्र तट
यह समुद्र तट अपने साफ पानी और तेज लहरों के लिए मशहूर है। यहां पर पर्यटक सुबह सूर्योदय और शाम के सूर्यास्त का आनंद ले सकते हैं। लहरें तेज होने के कारण यहां तैरना मना रहता है।
कामनाथ महादेव मंदिर
यह मंदिर करीब 200 साल पहले राजा मयूरध्वज द्वारा बनवाया गया था। मंदिर परिसर में एक तालाब भी है । श्रद्धालु श्रावण महीने में आकर यहां लगने वाले मेले में शामिल होते हैं।
कैसे पहुंचें?
सोमनाथ पहुंचने के लिए हवाई, रेल और सड़क तीनों मार्ग हैं। राजकोट हवाई अड्डे से करीब 195 किमी की दूरी पर सोमनाथ मंदिर स्थित है। केशोड सोमनाथ का निकटतम हवाई अड्डा है । यहां से सोमनाथ मंदिर की दूरी 55 किमी है। दीव एयरपोर्ट से सोमनाथ की दूरी 82-84 किमी है। इस तरह सोमनाथ के लिए कई एयरपोर्ट के विकल्प हैं जिसे आप अपने सुविधानुसार बुक करा सकते हैं। एयरपोर्ट से टैक्सी या बस से यहां पहुंचा जा सकता है।
सोमनाथ से 7किमी दूर वेरावल यहां का निकटतम रेलवे स्टेशन है । जिधर गुजरात के अन्य भागों से रेल द्वारा पहुंच सकते हैं। सड़क मार्ग द्वारा यह स्थान देश के नेशनल हाईवे से अच्छी तरह जुड़ा है।अक्टूबर से मार्च तक का समय घूमने के लिए अच्छा रहता है।