Talbehat Fort: क्या है तालबेहट के किले में बनी महिलाओं की मूर्ति का राज, ऐसी है कहानी

Story Behind Of Talbehat Fort : बुंदेलखंड का इतिहास से गहरा नातारहा है। यहां के तालबेहट में किला मौजूद है और आज हम आपको इसकी सच्चाई बताते हैं।

Update:2024-08-13 17:50 IST

Story Behind Of Talbehat Fort : महिलाओं को वैसे तो देवी का दर्जा दिया गया है लेकिन इतिहास में कहीं अलग-अलग चीज देखने को मिली है जहां महिलाओं के साथ अलग-अलग व्यवहार हुआ है। देश की आजादी हो या फिर समझ में लड़कियों को महत्वपूर्ण स्थान देने की बात हमारे देश में कहीं ऐसी महिलाएं हुई है जिनका नाम स्वर्ण अक्षरों में दर्ज है। लेकिन जो महिलाएं इतिहास में मूर्ति बनाकर रह गई उनकी कहानियों के बारे में कोई भी नहीं जानता। उनकी मूर्तियों के पीछे की कहानी की असली सच्चाई क्या है यह केवल पुराने लोगों को पता है। बुंदेलखंड कैसी धरती है जी का इतिहास से गहरा कनेक्शन रहा है। आज भी अपने गौरवशाली इतिहास को लेकर यहां के लोगों का सीना गर्व से चौड़ा हो जाता है। जब आप बुंदेलखंड के इतिहास को देखते हैं तो यहां राजा महाराजाओं का राज रहा है। आज भी यहां पर कुछ ऐतिहासिक विरासत मौजूद है जो पुरातत्व विभाग के संरक्षण में आने के बावजूद भी खंडहर में बदल चुकी है। इन किलो में वीरता के साथ-साथ कुछ सच्ची कहानी भी दफन है।

तालबहेट में दफन है सच्ची कहानियां (True Stories Are Buried in Talbahet)

राजाओं की वीरता की कहानी तो आपने इतिहास के कई किताबों में पड़ी होगी। लेकिन जब इतिहास का साथ सामने आएगा तो कोई भी हैरान हो जाएगा। तालबेहट के किले की कहानियों की सच्चाई से आज हम आपको रूबरू करवाते हैं।

Story Behind Of Talbehat Fort


तालबहेट का इतिहास (History of Talbahet)

तालबेहट के इतिहास की बात करें तो राजा मर्दन सिंह के पिता प्रहलाद सिंह ने बहुत ही आहत कर देने वाली घटना को अंजाम दिया था। यही कारण रहा कि राजा मर्दन सिंह अपने पिता से राज छीन कर खुद गति संभाली। दरअसल 1857 में जब झांसी की रानी अंग्रेजों से लड़ रही थी तब मर्दन सिंह ने भी रानी लक्ष्मीबाई के साथ अंग्रेजों के साथ जंग की थी और लड़ते-लड़ते शहीद हो गए थे।

Story Behind Of Talbehat Fort


किले में महिलाओं की मूर्ति का राज (The Secret Of The Women's Statue in The Fort)

राज मर्दन सिंह के सदर टोपची दलेर खां का परिवार आज भी इस किले के बाहर बने हुए मोहल्ले में रहता है। गांव के बड़े बुजुर्गों के मुताबिक राजा मर्दन सिंह के पिता प्रहलाद सिंह ने लड़कियों का अपहरण कर दुष्कर्म किया था। उंस तो लड़कियों ने किले से कूद कर आत्महत्या कर ली थी। यही कारण है कि गेट की तरफ मुख्य द्वार पर उन सातों लड़कियों की मूर्ति बनवाई गई है। उसे समय मर्दन सिंह नाबालिक थे लेकिन जब वह बालक हुए तो उन्होंने अपनी सुना तैयार कर राज संभाला। जहां लड़कियों ने कूद कर आत्महत्या की थी उनके लिए सातों लड़कियों की मूर्ति बनवाई। बुंदेलखंड के इतिहास में यह एक शर्मनाक घटना थी। इस घटना की सच्चाई क्या है ये कह पाना मुश्किल है। लेकिन स्थानीय लोगों के मुताबिक क क्षेत्र दिया का दिन था जब सभी लोग पेट को सुखाकर चूड़ा बनाकर सुख शांति के लिए एक दूसरे को देते थे। कुछ लोग नेक भी लेते थे। ऐसे में गांव के साथ लड़कियां जो आपस में सहेली थी राजा मर्दन सिंह के पिता प्रहलाद सिंह के पास नेक मांगने पहुंची। उन लड़कियों को देखकर राजा प्रहलाद के नियत बिगड़ गई और उन्होंने सभी को बंदी बनाकर उनके साथ दुष्कर्म किया। अपने साथ में दुराचार से परेशान होकर लड़कियों ने केले के ऊपर से छलांग लगाकर अपनी जान दे दी। जब राजा के बेटे को यह पता चला तो उन्होंने अपने पिता से सब कुछ छोड़ने को कहा और गद्दी संभालने लगे। उसे दिन के बाद से ताल बहते में वह त्यौहार नहीं मनाया जाता।

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