Chardham Yatra: आपको पता है चार धाम से क्या लाना चाहिए प्रसाद में

Prasad In Chardham: चारधाम की यात्रा करने जा रहे है तो प्रत्येक धाम से कुछ न कुछ अपने घर प्रसाद के तौर पर जरूर लाइएगा क्या चलिए बताते है आपको...

Update: 2024-08-20 03:45 GMT

Things To Bring Home From Chardham Yatra (Pic Credit-Social Media)

Things To Bring Home From Chardham: जब संपूर्ण भारत के चारधाम यात्रा की बात की जाती है तो अध्यात्म और भक्ति भाव मन में स्वतः जागृत हो उठती है। चारधाम की यात्रा पर जाना सभी का सपना होता है। सनातन धर्म का अनुसरण करने वाला हर व्यक्ति चारधाम की यात्रा पर जाने की इच्छा रखता है। लेकिन क्या आपको पता है चारधाम की यात्रा से आप प्रसाद के रूप में अपने घर के लिए क्या ला सकते है। तो चलिए हम बताते है.

बद्रीनाथ धाम (Badrinath Dham)

तो पहले है सतयुग का प्रतीक बद्रीनाथ यहां से आपको लानी है वैजयंती माला या तुलसी। राजसी हिमालय के बीच एक गहन आध्यात्मिक यात्रा की तलाश करने वाले किसी भी व्यक्ति के लिए बद्रीनाथ धाम मंदिर अवश्य जाना चाहिए। इसका समृद्ध इतिहास, वास्तुशिल्प वैभव और इसके आसपास की शांत प्राकृतिक सुंदरता बद्रीनाथ के अनुभव को वास्तव में अविस्मरणीय बनाती है। चाहे आप तीर्थयात्री हों या शांति और प्रेरणा की तलाश करने वाले यात्री, बद्रीनाथ मंदिर एक गहन समृद्ध और यादगार यात्रा प्रदान करता है।

लोकेशन: बद्री से माता मूर्ति मार्ग, बद्रीनाथ, उत्तराखंड 



रामेश्वरम धाम (Rameshwaram Dham)

दूसरा धाम है त्रेता युग का प्रतीक रामेश्वरम वहां से आपको लेकर आना है वहां का पवित्र जल। यह धाम भगवान शिव को समर्पित है और भारत के बारह ज्योतिर्लिंग मंदिरों में से एक है। रामनाथस्वामी मंदिर अपनी भव्य संरचना, राजसी मीनारों, जटिल मूर्तिकला कार्यों और गलियारों के लिए जाना जाता है, जो इसे एक वास्तुशिल्प चमत्कार बनाते हैं। मंदिर में पूजे जाने वाले मुख्य देवता लिंगम के रूप में हैं।

लोकेशन: रामेश्वरम, तमिलनाडु 



द्वारकाधीश (DwarkaDhish Dham)

और तीसरा धाम है द्वापर युग का प्रतीक द्वारकाधीश वहां से लेकर आते हैं गोपीचंदन और मोर पंख। गुजरात के द्वारका में स्थित द्वारकाधीश मंदिर भगवान कृष्ण को समर्पित एक प्रमुख हिंदू तीर्थ स्थल है, ऐसा माना जाता है कि यह वह स्थान है जहाँ कृष्ण ने शासन किया था। यह चार धाम तीर्थ स्थलों में से एक है और प्राचीन भारतीय मंदिर वास्तुकला का एक महत्वपूर्ण उदाहरण है। मंदिर की उत्पत्ति कृष्ण के समय से मानी जाती है, जिसका सदियों से जीर्णोद्धार और पुनर्निर्माण किया जाता रहा है। यहाँ आने का अंतिम उद्देश्य अक्सर आशीर्वाद प्राप्त करना और कृष्ण की आध्यात्मिक विरासत में खुद को डुबोना होता है।

लोकेशन: गोमति घाट, 56, सीढ़ी स्वर्गद्वार, द्वारका गुजरात 



जगन्नाथ पुरी (Jagannath Puri)

चौथा है कलयुग का धाम जगन्नाथ पुरी और वहां से लाई जाती है नारियल की छड़ी। जगन्नाथ मंदिर एक हिंदू मंदिर है जो भगवान जगन्नाथ को समर्पित है। यह पुरी, ओडिशा, भारत में स्थित है। चार धाम तीर्थ स्थलों में से एक होने के नाते मंदिर एक गहरी आध्यात्मिक आभा बिखेरता है, मंदिर परिसर में प्रवेश करने पर शांति और भक्ति की एक मजबूत अनुभूति होती है। मंदिर का निर्माण 12वीं शताब्दी ईस्वी में हुआ था। यह मंदिर अद्भुत और आकर्षक है। जगन्नाथ मंदिर एक वास्तुशिल्प चमत्कार और आध्यात्मिक आश्रय है। इसे कलिंग (नागर) शैली में बनाया गया है। यहां आपको जो ऊर्जा और शांति महसूस होती है, वह अद्वितीय है।

लोकेशन: पुरी, उड़ीसा 



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