Tourist Places in Ladakh: सर्दियों में लद्दाख के इन 10 जगहों के रहते हैं खूब चर्चे, शानदार ट्रीप के लिए बेस्ट है ये प्लेस

Tourist places in Ladakh: लेह लद्दाख वह जगह जहां हर भारतीय जाना पसंद करता है। सर्दियों में लद्दाख ट्रीप करना हर कोई चाहता है। लद्दाख में घूमने के लिए कई जगहें हैं।

Report :  Anupma Raj
Update:2022-11-12 10:39 IST

Tourist places in ladakh (Image: Social Media)

Tourist Places in Ladakh: लेह लद्दाख वह जगह जहां हर भारतीय जाना पसंद करता है। सर्दियों में लद्दाख ट्रीप करना हर कोई चाहता है। जब 31 oct 2019 को लद्दाख को जम्मू और कश्मीर से अलग कर दिया गया तब इस जगह को देखने और यहां आने वाले पर्यटकों की संख्या बढ़ती गई। लद्दाख में घूमने के लिए कई जगहें हैं। तो आइए जानते हैं लद्दाख के 10 बेस्ट टूरिस्ट प्लेस के बारे में:

गुरु पाथर साहिब (Guru pathar sahib)

गुरु पाथर साहिब लद्दाख की फेमस प्लेस है। आपको बता दें कि गुरु नानक जी ने लोगों के बीच फैली अनेक बुराइयों और अंधविश्वासों को दूर करने के लिए जगह-जगह पर भ्रमण करते रहते थे और लोगों को बुराइयों और अंधविश्वासों से दूर रहने और उन्हें एकता और भाईचारे के महत्व का बोध कराते थे।

Guru pathar sahib

ऐसे ही एक बार जब वह भ्रमण करते हुए सुमेर पर्वत के नजदीक आये तब वहां के लोगों ने एक भयंकर दुरात्मा के बारे में उन्हें बताया। ऐसा कहा जाता है की इस सुमेरु पर्वत की हूबहू संरचना बोधगया में स्थित महाबोधि मंदिर के स्थापत्य कला में भी दिखती है। दरअसल इससे जुड़ी एक कहावत के अनुसार एक बार गुरु नानक साहब इसी स्थान पर ध्यान कर रहे थे लेकिन एक दुरात्मा ने उनके ध्यान में बाधा डालने के लिए एक बड़े से पत्थर के टुकड़े को उनके ऊपर फेंका। क्योंकि उसने सोचा की गुरु नानक अपने ध्यान से भटक जायेंगे और वह अपने उद्देश्य में सफल हो जायेगा। लेकिन कहते है ना की जाको राखो साइयाँ मार सके ना कोय। उस दुरात्मा द्वारा फेंका गया यह पत्थर गुरु नानक जी के ऊपर पड़ते ही मोम बन गया। हालांकि इस पत्थर के कारण गुरु नानक देव जी का ध्यान टूट गया लेकिन उन्होंने उसे माफ़ कर दिया। ऐसा कहा जाता है कि यह पत्थर आज भी यही पर स्थित है। इस पत्थर पर गुरु नानक जी के शरीर और उस दुरात्मा के पैरों का निशान भी साफ देखा जा सकता है। गुरु पाथर साहिब की सुरक्षा के लिए भारतीय सेना के जवान हमेशा यहां पर तैनात रहते हैं।

मैग्नेटिक हिल (Magnetic hill)

मैग्नेटिक हिल पर्यटकों द्वारा पसंद किया जाना वाला प्लेस है। दरअसल यह मैग्नेटिक पहाड़ी है इसे ग्रेविटी हिल के नाम से भी जाना जाता है क्यूंकि इस स्थान पर गाड़ियां गुरुत्वाकर्षण के कारण अपने आप ही पहाड़ी की तरफ बढ़ती चली जाती है।

Magnetic hill

यह लेह शहर से करीब 30 कम की दूरी और लेह-कारगिल-श्रीनगर राष्ट्रीय राजमार्ग पर स्थित है। बता दें मैग्नेटिक हिल के पूर्व में सिंधु नदी बहती है। यहां आने वाले पर्यटकों में अलग-अलग भ्रांतियां है कोई इसे चमत्कार कहता है तो कोई इसे एक रहस्य के रूप में देखता है क्योंकि यहाँ पर गाड़ियां लगभग 20 किमी प्रति घंटे की स्पीड से बिना इंजन के चालू हुए चलती जाती है, जो एक रहस्य से कम नहीं है। 

लेह पैलेस (Leh Palace)

लद्दाख में एक चीज़ जो पर्यटकों को सबसे ज्यादा ध्यान अपनी तरफ आकर्षित करती है वह है लेह पैलेस। लद्दाख का यह लेह पैलेस एक प्रमुख ऐतिहासिक स्थल है, लाचेन पालकर महल के नाम से भी जाना जाता है। दरअसल यह एक शाही महल है जो लेह, लद्दाख के शहर की कला और संस्कृति के बारे में बताता है। इसका निर्माण साल 1600 में सेंगगे नामग्याल द्वारा किया गया था। यह नौ मंजिला ऊँचा महल है जिसमें शाही परिवार और उनके जानवर रहते दें। अब इस पैलेस को एक संग्रहालय के रूप में संग्रहित और सुरक्षित रखा गया है। यहाँ पर लेह शाही राजपरिवार के आभूषण, उनकी पोशाकें और लेह राजा की मुकुट को भी पर्यटकों के लिए रखा गया है। साथ ही इस महल में तिब्बती थांगका या पेंटिंग, जिसके बारे में कहा जाता है की यह पेंटिंग 450 साल से अधिक पुरानी हैं, को सुरक्षित रखा गया है जिसे पर्यटक देख भी सकते हैं।

शांति स्तूप (Shanti Stupa)

Ladakh का यह शांति स्तूप सबसे प्राचीन और धार्मिक स्थल है। जिसे जापानी बौद्ध भिक्षु गोमयो द्वारा बनवाया गया था।

Shanti Stupa

बता दें इस स्तूप में गौतम बुद्धा के अवशेष रखें गए हैं। इस स्तूप तक पहुंचने का रास्ता थोड़ा कठिनहै क्यूंकि यहाँ पर पहुंचने के लिए आपको लगभग 500 सीढियाँ चढ़कर आनी होंगी जो शायद ज्यादातर लोगों के लिए मुश्किल होगा।

हेमिस मठ प्लेस (Hemis Monastery)

Darasal लेह शहर का सबसे चर्चित जगहों में से एक है हेमिस मठ। इसका निर्माण 17 सदी में किया गया। यह लद्दाख का सबसे बड़ा और सबसे धनी तिब्बती मठों में से एक माना जाता है। बता दें इस मठ में हर साल स्वामी पद्मसंभव के सम्मान में एक प्रसिद्ध उत्सव होता है।

पांगोंग त्सो झील (Pangong Tso lake)

पांगोंग त्सो झील लद्दाख से तिब्बत तक करीब 12 किमी तक फैली हुई है। यह जमीन से 3500 मीटर की ऊंचाई पर स्थित होने के कारण यहाँ पर साल भर बर्फीली हवाएं चलती रहती है।

Pangong Tso lake

जिस कारण से इस झील का पानी भी जम जाता है। बता दें यहाँ का औसतन तापमान -5 से 10 डिग्री सेल्सियस के बीच में रहता है। यह झील अपने अंदर खारे पानी को समेटे हुए है। यहां फिल्म थ्री इडियट की भी शूटिंग हुई है, जिसे फिल्म में दिखाया गया था। 

खूबसूरत लेह बाजार (Leh Market)

लेह बाजार की खूबसूरती देखते बनती है। यहाँ ज्यादातर दुकाने तिब्बती समुदाय की है। इस बाजार में आपको फेमस पश्मीना शाल, स्वेटर जैकेट्स दस्ताने रंग बिरंगी टोपियां आदि। ठण्ड के मौसम में यहां का ठंड में ज़रूरत पड़ने वाला सामान उत्तर भारत की और रुख करता है। 

स्टॉक पैलेस (Stock palace)

लेह-लद्दाख की सबसे फेमस जगहों में से एक स्टॉक पैलेस का भी नाम शुमार है। यह आपको पर्यटकों की अच्छी भीड़ देखने को मिलेंगे। दरअसल स्टॉक पैलेस अपनी आकर्षक वास्तुकला और खूबसूरत उद्यानों के लिए प्रसिद्ध है। यहां राजाओ के युद्ध के समय के कपडे उनके मुकुट और अन्य शाही सामानो को देखने का मौका मिलेगा।

कारगिल (Kargil)

कारगिल भले ही सभी भारतीय लोगों ने नहीं घुमा हो लेकिन इस नाम से हर भारतीय परिचित है। लेह-लद्दाख की यह सबसे खूबसूरत जगहों में से एक है। कारगिल, जहाँ साल 1999 भारत और पाकिस्तान की सेना ने एक दूसरे के विरुद्ध युद्ध में शामिल हुई थी।

Kargil

बता दें यह युद्ध तमाम भारतीयों के दिलों पर राज करने वाला वह ऐतिहासिक युद्ध है जिसने इतने वर्षों के बीत जाने के बाद भी हर भारतवासी के दिलो में अपनी जगह बनाये हुए है। हालांकि वैसे तो यह स्थान बौद्ध धर्म के अनुयायियों का स्थल रहा है लेकिन इस जगह पर कई सारे पर्वतारोही, इस पर्वत पर फ़तेह हासिल करने के उद्देश्य से हर साल यहाँ पर आते है और हाईकिंग का मजा लेते है। कारगिल समुद्र तल से 2676 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। जानकारी के लिए बता दें कि पाकिस्तान से सटा हुआ यहां एक इलाका है जिसे हम बाल्टिस्तान के नाम से जानते है, यह जगह कारगिल के बिलकुल नजदीक है।

फुगताल मठ (Phugtal Monastery)

फुगताल मठ यह मठ लद्दाख के जास्कर क्षेत्र में स्थित है। दरअसल यह मठ बौद्धा धर्म के अनुयायियों का है जिसमे बौद्ध भिक्षु और उनको मानने वाले निवास करते है। साथ ही यही पर उनकी शिक्षा का प्रबंध भी किया जाता है। फुकताल मठ काफी ऊंचाई पर स्थित है तो ऐसे में इस स्थान पर वाहनों की आवाजाही बंद ही रहती है और आप यहाँ पर घोड़े और खच्चर की मदद से आ सकते है। बता दें कि यह मठ एक निर्जन इलाके में स्थित है तो यहाँ पर आपको बिजली नहीं मिलेगी। लेकिन कुछ संगठनों द्वारा यहां पर बिजली की व्यवस्था की जा रही है।


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