Maa Saraswati Temple Ujjain: यहां स्याही चढ़ाने मात्र से परीक्षा में सफल हो जाते हैं छात्र, बहुत प्रसिद्ध है उज्जैन का ये मंदिर

Ujjain Famous Maa Saraswati Temple: उज्जैन में मां सरस्वती का एक बहुत ही खास मंदिर है। ये मंदिर छात्रों के बीच बहुत फेमस है।

Update: 2024-02-25 07:52 GMT

Maa Saraswati Temple Ujjain : उज्जैन को सबसे ज्यादा बाबा महाकाल के दरबार की वजह से पहचाना जाता है। 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक दक्षिण मुखी बाबा महाकाल का मंदिर यहां मौजूद है जो दुनिया भर में प्रसिद्ध है। महाकाल के मंदिर के अलावा उज्जैन नगरी अन्य धार्मिक स्थलों की वजह से भी पहचानी जाती है। आज हम आपके यहां मौजूद माता सरस्वती के 300 साल पुराने एक मंदिर के बारे में बताते हैं। विद्या की देवी सरस्वती का यह मंदिर बहुत ही खास है जो विद्यार्थियों के बीच काफी चर्चित है। कहा जाता है कि जो भी यहां दर्शन करता है वह अच्छी पढ़ाई करता है और अपने करियर में सफलता हासिल करता है। चलिए इस मंदिर के बारे में जानते हैं।

बहुत प्रसिद्ध है मंदिर

धार्मिक नगरी उज्जैन का ये सरस्वती मंदिर भक्तों के बीच काफी फेमस है। यहां आने वाले भक्त माता शारदा को स्याही चढ़ाकर जीवन में सफलता दिलाने की कामना करते हैं। परीक्षा के दिन विशेष तौर पर छात्र यहां आकर स्याही और पेन चढ़ाते हैं। मान्यता है कि ऐसा करने से विद्या की देवी मां सरस्वती का आशीर्वाद मिलता है।

मुगलकालीन है मंदिर

ये मंदिर उज्जैन के सिंहपुरी में मौजूद है और लगभग 300 साल पुराना है। ऐसा बताया जाता है कि यह मुगलों के तौर का है। यह बहुत ही बेशकीमती भाषण मूर्ति है जो एक छोटे से मंदिर में स्थित है। यह मंदिरों में मूर्ति दोनों ही बहुत छोटे हैं लेकिन इसके चमत्कार बड़े-बड़े हैं।

क्या है मान्यता

यह विश्व का एकमात्र ऐसा मंदिर है जहां पर बसंत पंचमी के अवसर पर छात्र स्याही और पेन चढ़ाने के लिए पहुंचते हैं। चौरसिया समाज की धर्मशाला के पास मौजूद इस मंदिर में छात्र परीक्षा से पहले भी मन्नत मांगते दिखाई देते हैं। यहां देवी को पीले पुष्प अर्पित कर पूजन की जाती है और उन्हें पेन और दवात भी चढ़ाई जाती है।

 Maa Saraswati Temple Ujjain

कब शुरू हुई परंपरा

यहां पर देवी को स्याही और पेन चढ़ाने की परंपरा कब शुरू हुई इस बारे में कोई जानकारी तो नहीं मिलती लेकिन पिछले 50 साल से इसका निर्वहन किया जा रहा है। जब बच्चों की मनोकामना पूरी हो जाती है और वह परीक्षा में पास हो जाते हैं तब भी यहां स्याही चढ़ाने पहुंचते हैं।

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