Astronomical Events: बिना टेलिस्कोप के देखें आसमान पर आतिशबाजी का नजारा, इन दिनों दिखेगी उल्का की बौछारें
खगोलीय घटना के लिए इस साल यानी 2024 का आखिरी महीना दिसंबर काफी खास साबित होने वाला है, क्योंकि 21 और 22 दिसंबर को अंतरिक्ष में उर्सिड उल्का बौछार अपनी चरम स्थिति पर होगी।
Astronomical Events: क्या आप एस्ट्रोनॉमी विषय में रुचि रखते हैं या फिर खुले आकाश में सितारों को देर तक निहारना आपका शौक है। यदि आप आकाश में होने वाली ऐसी कुछ हलचलों को देखना पसंद करते हैं तो आपको जल्द ही आकाश में प्रकृति द्वारा मनाई जाने वाली दिवाली का लुत्फ उठाने मौका मिलेगा। इस तरह की खगोलीय घटना के लिए इस साल यानी 2024 का आखिरी महीना दिसंबर काफी खास साबित होने वाला है, क्योंकि 21 और 22 दिसंबर को अंतरिक्ष में उर्सिड उल्का बौछार अपनी चरम स्थिति पर होगी। यह इस साल का अंतिम उल्कापात है। इस दौरान रात के समय हर घंटे 5 से 10 उल्कापिंड देखे जा सकते हैं, जो इस खूबसूरत नज़ारे देखने वालों को रोमांचक अनुभव प्रदान करेंगे। यह घटना साफ आकाश में आधी रात से लेकर सुबह तक देखी जा सकेगी।
उर्सिड्स के बाद, आकाशदर्शकों को एक और उल्का प्रदर्शन के लिए लंबा इंतजार नहीं करना पड़ेगा। क्वाड्रेंटिड उल्का वर्षा 2025 की शुरुआत करेगी, जो 2 जनवरी की रात से 3 जनवरी तक चरम पर होगी।
ऐसे देखें उर्सिड उल्का बौछार
उर्सिड उल्का बौछार का सबसे अच्छा दृश्य देखने के लिए, आधी रात से भोर के बीच आपको जगना होगा।जब रेडिएंट - वह बिंदु जहां उल्काएं उत्पन्न होती हैं और आकाश में वह सबसे ऊंचाई पर स्थित होता है। इस नज़ारे का आनंद उठाने के लिए प्रकाश प्रदूषण से बचने के लिए शहर की रोशनी से दूर एक स्थान चुनें, क्योंकि अंधेरा, खुला आसमान सबसे स्पष्ट दृश्यता प्रदान करता है।
टेलिस्कोप या दूरबीन जैसे किसी विशेष उपकरण की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि उल्का बौछार को नंगी आंखों से ही देखा जा सकता है। इसे देखने में रात के वक्त चंद्रमा का हल्का प्रकाश थोड़ी परेशानी डाल सकता है। लेकिन फिर भी प्रति घंटे 5-10 उल्काएं देखी जा सकती हैं। आंखों को अंधेरे में ढलने के लिए कम से कम 15-20 मिनट का समय दें। 22 दिसंबर को सुबह से पहले उल्काएं अपने चरम पर होगी, जो भारतीय समयानुसार रात 12.00 बजे से सुबह 05.00 बजे के बीच देखी जा सकती है।
उर्सिड उल्का बौछार के पीछे वजह
उर्सिड उल्का बौछार हर साल 17 से 26 दिसंबर के बीच होती है। इसका प्रमुख गतिविधि दौर 22 और 23 दिसंबर के आसपास होता है। यह बौछार पृथ्वी के पास शनि के धूल के बादलों से गुजरने के कारण होती है। शनि का कक्षीय पथ पृथ्वी के रास्ते में एक धुंआधार ट्रेल छोड़ता है, जिसमें धूल कण होते हैं। जब पृथ्वी इस ट्रेल से गुजरती है, तो धूल कण वायुमंडल में जलकर उल्काओं के रूप में चमकने लगते हैं।जो पृथ्वी से देखने में एक खूबसूरत नजारा प्रदान करते हैं।