Uttarakhand Ka Famous Village: महाभारत काल से नाता रखता है उत्तराखंड का यह अद्भुत गांव, जहां कर्ण की होती है पूजा, मनाते हैं कर्ण महाराज उत्सव

Uttarakhand Famous Kalap Village History: आज हम आपको एक ऐसे मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं जो महाभारत काल का है और यहाँ कर्ण की पूजा की जाती है।;

Written By :  Jyotsna Singh
Update:2025-01-08 12:25 IST

Uttarakhand Famous Kalap Village History (Image Credit-Social Media)

Uttarakhand Famous Kalap Village History: हिमालय की गोद में बसा एक छोटा- सा पहाड़ी सूबा उत्तराखंड इस धरती पर स्वर्ग के समान है। यहां चारों तरफ हरियाली और ऊंचे-ऊंचे पहाड़ों से घिरे इस क्षेत्र की चारों दिशाओं में चार धाम मौजूद हैं। जिसे चार धाम की यात्रा भी कहते हैं। उत्तराखंड आपको हिंदुओं के चार सबसे पवित्र स्थलों में: बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री तक ले जाता है। इसके अलावा सिखों का पवित्र स्थल गुरुद्वारा श्री हेमकुंड साहिब जिसे पांचवां धाम भी कहा जाता है, यहीं है। यहां के हर गांव में एक शिवालय और धूणी जरूर मौजूद मिलेगी। उत्तराखंड देश का एक प्रमुख पहाड़ी राज्य होने के साथ-साथ एक विश्व प्रसिद्ध पर्यटन केंद्र भी माना जाता है। साल 2000 में उत्तर प्रदेश से अलग होकर उत्तराखंड बना था। देवभूमि के नाम से मशहूर उत्तराखंड की धरती पर घनी आबादी से इतर ऐसी कई पौराणिक जगहें मौजूद हैं, जहां जाकर आप धरती पर स्वर्ग सी अनुभूति कर सकते हैं। इसी कड़ी में पहाड़ियों से घिरे इस इलाके में कलाप भी एक ऐसा खूबसूरत और अध्यात्म से जुड़ा गांव है, जिसका नाता महाभारत काल से माना जाता है। यहां महाभारत काल के बेहद महत्वपूर्ण चरित्र और वीर योद्धा कर्ण की पूजा की जाती है। उनकी याद में यहां उत्सव भी आयोजित किया जाता है। आइए जानते हैं उत्तराखंड के इस कलाप गांव से जुड़े इतिहास के बारे में ।

Mahabharat Kal Ka Mandir (Image Credit-Social Media)

ये हैं उत्तराखंड के कलाप की विशेषताएं

धरती पर स्वर्ग माने जाने वाले उत्तराखंड के एक खूबसूरत गांव कलाप की विशेषताओं के बारे जिक्र करें तो यह उत्तराखंड की टन्स घाटी में स्थित है। हिमालय की हसीन वादियों में मौजूद कलाप एक अद्भुत जगह है, जहां की खूबसूरती और सादगी सैलानियों को खूब आकर्षित करती है। गढ़वाल क्षेत्र के आखिर में स्थित कलाप को गांव और कलाप घाटी के नाम से भी जाना जाता है।यह उत्तराखंड की राजधानी देहरादून से करीब 250 किमी की दूरी पर स्थित है।कलाप दिल्ली से करीब 575 किमी दूर है। कलाप रूपिन नदी के किनारे करीब 7 हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित है। बादलों से ढका यह गांव प्रकृति प्रेमियों के लिए किसी हसीन जन्नत से कम नहीं है। यहां का शांत वातावरण, देवदार के बड़े-बड़े पेड़, घास के मैदान और झील-झरने खूबसूरती में चार चांद लगाने का काम करते हैं। यहां से हिमालय की अद्भुत खूबसूरती को निहारा जा सकता है। बर्फबारी के समय इस गांव की खूबसूरती का नज़ारा देखने लायक होता है।

Mahabharat Kal Ka Mandir (Image Credit-Social Media)

कलाप गांव में धूम धाम से मनाया जाता है कर्ण उत्सव

कई पौराणिक कहानियों से जुड़े इस गांव के बारे में कहा जाता है कि यहां के लोग महाभारत के पांडवों और कौरव भाइयों के वंशज हैं। कलाप गांव में कर्ण को समर्पित एक प्रसिद्ध और पवित्र मंदिर है। इस गांव में कर्ण महाराजा उत्सव नाम का एक त्योहार भी मनाया जाता है। कहा जाता है कि जनवरी में यहां पर पांडव नृत्य उत्सव भी होता है। उत्तराखंड को पांडवों की धरा भी कहा जाता है। यहां पांडव नृत्य का आयोजन नवंबर से फ़रवरी के बीच होता है। इस नृत्य में पांडव और द्रौपदी की पूजा की जाती है।

Mahabharat Kal Ka Mandir (Image Credit-Social Media)

रोमांचक गतिविधियों और प्रकृति प्रेमियों के लिए बेहतरीन जगह है कलाप

उत्तराखंड का कलाप गांव रोमांचक गतिविधियों के शौकीनों और प्रकृति प्रेमियों के लिए बेस्ट डेस्टिनेशन प्लेस माना जाता है। पूरी तरह से प्रदूषण मुक्त शुद्ध वातावरण, नीले-नीले आकाश, नदियों की तलछटी तक आर पार दिखने वाला साफ पानी और ताजगी भरी हवाएं इस स्थान को बेहद मनोरम बनाती हैं। रोमांचक गतिविधियों के शौकीन कलाप की खूबसूरती के बीच ट्रैकिंग से लेकर हाईकिंग और कैम्पिंग का भी लुत्फ उठा सकते हैं। इस गांव में कई खास स्थानीय पकवानों का लुत्फ उठाने के साथ ही हिमालयन संस्कृति को भी करीब से देखा जा सकता है।

Mahabharat Kal Ka Mandir (Image Credit-Social Media)

ट्रैवल डेस्टिनेशन के तौर पर विकसित किया जा रहा ये गांव

कई विकसित इलाकों और मूलभूत सुविधाओं से कटा हुआ ये गांव आज भी काफी हद तक प्रकृति जन्य सुविधाओं के साथ ही अपना जीवन यापन कर गुजर बसर करता आया है। यही वजह है कि यहां के स्थानीय लोगों की जिदंगी भी कई बड़ी चुनौतिया हैं। आबादी कम होने और बाकी इलाकों से दूर होने की वजह से यहां के निवासियों की आमदनी का मुख्य सहारा खेती है ।इसके अलावा वे भेड़-बकरी भी पालते हैं। इस गांव की अद्भुत खूबसूरती और रामायण व महाभारत से खास कनेक्शन के चलते इसे ट्रैवल डेस्टिनेशन के तौर पर विकसित किए जाने की भी तैयारियां जोरों पर हैं।

Mahabharat Kal Ka Mandir (Image Credit-Social Media)

कलाप कैसे पहुंचें

रेल मार्ग की बात करें तो उत्तराखंड स्थित कलाप गांव के सबसे पास में देहरादून रेलवे स्टेशन है, जो करीब से 210 किलोमीटर दूर है। देहरादून से लोकल बस या कैब लेकर कलाप पहुंच सकते हैं। इसके अलावा, जौली ग्रांट एयरपोर्ट सबसे पास में एयरपोर्ट है। यहां से किसी भी साधन से कलाप गांव तक पहुंच सकते हैं। अपने निजी वाहन से भी बिना किसी दिक्कत के यहां पहुंचा जा सकता है।

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