अनोखा मंदिर:पत्थर से पूरी होती है हर मुराद, जानिए यहां का प्रसाद

वनदेवी मंदिर में देवी मां को फूल, फल या चढ़ावा नहीं, बल्कि पत्थर का भोग लगाया जाता है, जो होता है खास।

Published By :  Suman Mishra | Astrologer
Update:2021-04-08 12:19 IST

बिलासपुर भारत में कई धर्मों के लोग रहते हैं ऐसे में हर धर्म के लोगों की अलग मान्यताएं और परंपराएं होती हैं। इनमें से एक हिंदू धर्मावलंबी भगवान को लोग फूल, फल और मीठे का भोग लगाते हैं। भगवान को फूलों की माला चढ़ाई जाती है। एक ऐसे मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं जहां माता को फूल या फल नहीं बल्कि कंकड़- पत्थर चढ़ाए जाते है।

आपने कई ऐसे मंदिरों के बारे में सुना होगा जहां भगवान को भारत में ऐसे कई मंदिर हैं जहां प्रसाद के रूप में देवी-देवताओं को अलग-अलग तरह की और कुछ अजीब चीजें भी चढ़ायी जाती हैं। कहीं मटन तो कही चाउमिन का प्रसाद चढ़ता है। कोलकाता में काली माता का एक मंदिर है जहां भोग के रूप में देवी को चाइनीज नूडल चढ़ाया जाता है तो वहीं तमिलनाडु के एक मंदिर में भगवान को डोसे का भोग लगाया जाता है और केरल के एक मंदिर में चॉकलेट का भोग लगता है।

अलग-अलग प्रसाद

कई ऐसी चीजें चढ़ाई जाती हैं जो सुनने में काफी अजीब लगती हैं। कई पर भगवान को शराब चढ़ाई जाती है तो कहीं समोसा। ऐसे ही एक मंदिर के बारे में हम आपको बताने जा रहे हैं जहां देवी मां को कंकड़ और पत्थर चढ़ाएं जाते हैं।

जिस मंदिर के बारे में बात कर रहे हैं वह छत्तीसगढ़ के बिलासपुर शहर के पास खमतकाई में स्थित है। इस मंदिर को वनदेवी मंदिर के नाम से जाना जाता है। यहां देवी मां को फूल, फल या चढ़ावा नहीं बल्कि पत्थर का भोग लगाया जाताहै। यह परंपरा सदियों से चली आ रही है। स्थानीय लोगों का मानना है कि देवी मां को खेतों में मिलने वाला गोटा पत्थर चढ़ाया जाता है। माना जाता है कि देवी मां को यह पत्थर काफी पसंद है। जो कोई भी यह पत्थर माता रानी को चढ़ाता है देवी मां उसकी हर मुराद को पूरा करती हैं।




वनदेवी का मंदिर कंकड़ पत्थर चढ़ाए जाते हैं

आज बात एक ऐसे ही मंदिर की जहां देवी मां को भोग और प्रसाद के रूप में नारियल या फल-फूल नहीं बल्कि कंकड़ और पत्थर का चढ़ावा चढ़ाया जाता है। सदियों से इस अनोखी परंपरा का पालन यहां पर किया जा रहा है। यह मंदिर छत्तीसगढ़ के बिलासपुर शहर से सटे खमतराई में है। इस मंदिर में वनदेवी की पूजा की जाती है। यहां के लोगों की ऐसी मान्यता है कि वनदेवी के दरबार में मन्नत पूरी होने पर चढ़ावे के रूप में पांच पत्थर देवी मां को अर्पित किए जाते हैं। 



साधारण पत्थर नहीं, गोटा पत्थर देवी मां की पसंद

श्रद्धालु इस मंदिर में फूल-माला या पूजन सामग्री लेकर नहीं, बल्कि पांच पत्थर लेकर आते हैं और देवी मां से अपनी मनोकामना कहते हैंऐसी मान्यता है कि वनदेवी के इस मंदिर में सच्चे मन से पांच पत्थर चढ़ाने वाले श्रद्धालु की मनोकामना जरूर पूरी होती है। मन्नत पूरी होने के बाद एक बार फिर श्रद्धालु मंदिर में पांच पत्थरों का चढ़ावा चढ़ाते हैं। यहां मंदिर में वन देवी को कोई भी साधारण पत्थर नहीं चढ़ाया जा सकता, बल्कि खेतों में मिलने वाला गोटा पत्थर ही चढ़ाया जाता है।

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