Varanasi Temple: वाराणसी के नए विश्वनाथ से जुड़ी ये खास बातें जो बनाती है इस मन्दिर को अलग

Varanasi BHU Temple Story: वाराणसी में स्थित काशी विश्वनाथ मंदिर प्रमुख ज्योतिर्लिंग की प्रतिकृति है। वीटी बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के हरे-भरे परिसर में स्थित पवित्र मंदिरों में से एक है।

Written By :  Yachana Jaiswal
Update: 2024-05-07 04:00 GMT

Kashi Vishwanath Mandir (Pic Credit-Social Media,)

Varanasi BHU Temple Mystery: नया विश्वनाथ मंदिर-बीएचयू जिसे "वीटी" के नाम से भी जाना जाता है। काशी/वाराणसी में स्थित काशी विश्वनाथ मंदिर प्रमुख ज्योतिर्लिंग की प्रतिकृति है। वीटी बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के हरे-भरे परिसर में स्थित पवित्र मंदिरों में से एक है। इसे बिड़ला मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। जो सफेद संगमरमर से निर्मित एक सुंदर वास्तुकला है। ऐसा माना जाता है कि इस स्थान की यात्रा करने से सभी इच्छाएं पूरी होती हैं।

क्या आपने इस मंदिर में दर्शन किए हैं?

श्री विश्वनाथ मंदिर को विश्वनाथ मंदिर (वीटी), न्यू विश्वनाथ मंदिर या बिड़ला मंदिर के नाम से भी जाना जाता है, जो पवित्र शहर वाराणसी में पर्यटकों के लिए सबसे प्रसिद्ध, महत्वपूर्ण और प्रमुख आकर्षणों में से एक है। यह मंदिर सबसे प्रसिद्ध विश्वविद्यालयों में से एक यानी बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के परिसर में स्थित है। यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है।



मंदिर में विराजित शिवलिंग भी है खास

नाम: बीएचयू नए विश्वनाथ धाम

लोकेशन: हिंदू विश्वविद्यालय, वाराणसी, उत्तर प्रदेश 

समय: सुबह 4 बजे से दोपहर 12 बजे तक उसके बाद दोपहर 1-9 बजे

यहां पर महादेव नर्मदेश्वर बाणलिंग के रूप में विराजते हैं। भारत की समस्त वास्तुशैलियों द्रविण, नागर और बेसर को समेटे हुए है बीएचयू स्थित काशी विश्वनाथ मंदिर। यह मंदिर दिल्ली के मुगल वास्तुकला का कुतुबमीनार से भी 13 फीट ऊंचा है। कुतुबमीनार की ऊंचाई 239 फीट है।



इतने बड़े एरिया में फैला है मंदिर

11 मार्च सन् 1931 को स्वामी कृष्णाम के हाथों मंदिर का शिलान्यास हुआ। इसके बाद मंदिर का निर्माण कार्य शुरू हुआ। मंदिर के शिखर पर सफेद संगमरमर लगाया गया और उनके ऊपर एक स्वर्ण कलश की स्थापना हुई। इस स्वर्णकलश की ऊंचाई 10 फिट है, तो वहीं मंदिर के शिखर की ऊंचाई 250 फिट है। यह मंदिर भारत का सबसे ऊंचा शिवमंदिर है। काशी हिन्दू विश्वविद्यालय परिसर के ठीक बीचो-बीच स्थित यह मंदिर 2,10,000 वर्ग मीटर क्षेत्रफल में स्थित है।



मन्दिर के निर्माण में लगा 35 साल का समय

1916 में बनारस हिंदू विश्वविद्यालय की स्थापना के बाद, पंडित मदन मोहन मालवीय ने 1930 में बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के परिसर में मंदिर की प्रतिकृति बनाने की योजना बनाई। बिड़ला परिवार ने मंदिर का निर्माण और नींव रखी और अंततः 1931 में, बुधवार यानी चैत्र कृष्ण अष्टमी को, मंदिर की नींव रखी गई। 17 फरवरी सन् 1958 को महाशिवरात्रि के दिन मंदिर के गर्भगृह में नर्मदेश्वर बाणलिग की प्रतिष्ठा हुई। भगवान विश्वनाथ की स्थापना इस मंदिर में हो गयी। मंदिर के शिखर का कार्य वर्ष 1966 में पूरा किया गया। मंदिर अंततः 1966 में बनकर तैयार हुआ। मंदिर के निर्माण में अंततः पैंतीस साल लग गए। 



मंदिर के अंदर कई देवी देवता है मौजूद

मंदिर का डिज़ाइन श्री काशी विश्वनाथ मंदिर से प्रेरित है और ज्यादातर संगमरमर से बना है। विश्वनाथ मंदिर के भीतर 9 मंदिर हैं और यह हर जाति, धर्म, विश्वास और रीति-रिवाज के लोगों के लिए खुला है। भगवान शिव का मंदिर भूतल में है जबकि दुर्गा और लक्ष्मी नारायण का मंदिर पहली मंजिल पर है। विश्वनाथ मंदिर के अंदर भगवान गणेश, माता पार्वती, हनुमान, सरस्वती, नंदी, नटराज और पंचमुखी महादेव के मंदिर भी हैं। मंदिर की दीवारों पर भगवत गीता और अन्य हिंदू धर्मग्रंथों के पाठ और उद्धरण अंकित हैं।

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