Varanasi Durga Bari History: 250 साल से ज्यादा पुरानी है यहाँ माँ की प्रतिमा, आज तक नहीं हुआ है विसर्जन

Varanasi Durga Bari History: वाराणसी के मदनपुरा मोहल्ले के दुर्गा बारी में दुर्गा माँ की प्रतिमा 256 साल पुरानी है। बताया जाता है कि इस प्रतिमा की स्थापना 1767 में एक व्यक्ति काली प्रसन्ना मुखोपाध्याय ने की थी।

Written By :  Preeti Mishra
Update:2023-10-23 06:30 IST

Varanasi Durga Bari (Image credit: social media)

Varanasi Durga Bari History: शिव की नगरी वाराणसी में दुर्गा पूजा भी बड़े धूमधाम से मनायी जाती है। पुरे शहर में जगह-जगह पांडाल लगाए जाते हैं। बाकी जगहों की तरह यहाँ भी नौ दिन माँ की खूब पूजा होती है और दसवें दिन दुर्गा माँ की मूर्ति विसर्जित कर दी जाती है। लेकिन एक जगह वाराणसी में ऐसा भी है जहाँ बीते 256 वर्षों से माँ की मूर्ति विसर्जित ही नहीं की गयी है। हम बात कर रहे हैं वाराणसी के दुर्गा बाड़ी की।

क्या है इस प्रतिमा की कहानी

वाराणसी के मदनपुरा मोहल्ले के दुर्गा बारी में दुर्गा माँ की प्रतिमा 256 साल पुरानी है। बताया जाता है कि इस प्रतिमा की स्थापना 1767 में एक व्यक्ति काली प्रसन्ना मुखोपाध्याय ने की थी। लोग बताते हैं कि 1767 में शारदीय नवरात्रि के नौ दिनों के बाद जब माँ की प्रतिमा को विसर्जित करने के लिए उठाने का प्रयास किया गया तो वह नहीं हुआ। काफी प्रयास के बाद भी जब माँ की प्रतिमा जरा भी नहीं हिली तो लोगों ने उसे माँ की इच्छा मान मूर्ति को वहीँ रहने दिया और बड़े आस्था से उसकी पूजा पाठ शुरू कर दी। लोगों का यह भी मानना है कि स्वयं माँ दुर्गा मूर्ति में निवास करती हैं।


किस चीज़ से बनी है प्रतिमा

यह दुर्गा प्रतिमा मिट्टी, बांस, स्ट्रॉ, और रस्सी से बनाया गया है। पांच फ़ीट ऊँची यह प्रतिमा आज भी वैसी ही है जैसे स्थापना के समय थी। स्थानीय लोग बताते हैं कि आज तक इस प्रतिमा का मरम्मत नहीं हुआ है। सबसे आश्चर्यजनक तथ्य यह है कि मिट्टी से बनी इस मूर्ति को क्षरण से बचाने के लिए किसी भी प्रकार का रासायनिक लेप नहीं लगाया गया है और यह आज भी वैसी ही है। इस अद्भुत शिल्प कौशल को देखने के लिए लोग दूर-दूर से आते हैं। लोगों का मानना है कि यहाँ जो भी माँ के दर्शन के लिए आता है उसकी इच्छा माँ जरूर पूरा करती हैं। आज भी मुखोपाध्याय परिवार के लोग इस प्रतिमा की पूजा करते हैं।

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