Weird Temple Video: भैया बिल्ली तो अपसगुन है, लेकिन यहां इसका भव्य मंदिर देख आपके होश उड़ जाएंगे

Weird Temple Video: भारत में पशुओं ,जीव जंतुओं को हमेशा देवी -देवताओं के रूप में देखा जाता है ।पर हिंदूँ धर्म में अक्सर ये सोच भी देखने को मिलती है कि हम बिल्ली को अपने घर में पालना नहीं चाहते हैं।

Update:2023-07-08 16:39 IST

Weird Temple Video: भारत में पशुओं ,जीव जंतुओं को हमेशा देवी -देवताओं के रूप में देखा जाता है ।पर हिंदूँ धर्म में अक्सर ये सोच भी देखने को मिलती है कि हम बिल्ली को अपने घर में पालना नहीं चाहते हैं। ऐसा कहते भी हैं कि यदि बिल्ली रास्ता काट दे तो थोड़ा देर रुक कर आगे बढ़ना चाहिए ,नहीं तो बुरा हो जाता है ।या फिर किसी शुभ काम में जा रहे हो तो बिल्ली दिखना भी शुभ होता है। बिल्ली का रात में रोना हिंदू संस्कृति में बुरा माना जाता है।

पर बिल्ली के अलावा हर पशुओं को सम्मान मिलता है। पर ऐसा नहीं है कि कोई भी बिल्ली नहीं पालता है या बिल्ली कोई रख नही सकता है। पर आपको यह सुन कर आश्चर्य होने वाला है कि भारत में एक ऐसी भी जगह है जहां बिल्लियों की पूजा की जाती है ।बिलकुल ठीक सुना आपने ।भारत के ही दक्षिण प्रांत में ऐसा होता है ।आज इसी जगह को विस्तार से जानने की कोशिश करेंगें।

यह मंदिर एक गाँव में स्तिथ है ।जो कर्नाटक राज्य के मांड्या जिले से 30 किलोमीटर दूर बेक्कालेले गाँव है ।यह बेक्कालेले शब्द ही बिल्ली से निकला है क्योंकि कन्नड़ के बेक्कू शब्द का अर्थ बिल्ली होता है।इस गाँव में यह प्रथा आज से नहीं बल्कि १००० साल से चली आ रही है ।यहाँ के लोगों का कहना है बिल्ली माता मनगम्मा का अवतार है ।इस गाँव के सभी लोग बिल्लियों को देवी का अवतार मानते है और इनकी पूजा अर्चना करते हैं।

प्राचीन मान्यताओं की माने तो ऐसा कहा जाता है। हजार साल पहले इस गाँव में बुरी आत्माओं का प्रवेश हो गया था जिसे दूर करने के लिए माता मनगम्मा ने बिल्ली का रूप धारण किया था और बुरी शक्ति को गाँव से निकाल फेंका था। तब देवी अपनी दैवीय शक्तियां दिखाने के बाद गायब हो गईं थीं।और उसी जगह पर बांबी (छाप)बन गयी थी । तब से गाँव वाले बिल्ली को माता मनगम्मा का स्वरूप मानकर पूजा करने लगे थे ।इस गाँव में बिल्लियों को सबसे बडी सकरात्मक ऊर्जा के रूप में माना जाता है ।

बेक्कालेले गांव में माता का मंदिर आज भी वैसा का वैसा है ।यहाँ पर सभी गाँव वालों की कुलदेवी बिल्ली यानी माता मंगम्मा ही है। यहाँ बिल्लियों को बहुत सहेज कर रखा जाता है। कोशिश की जाती है उनके पालन पोषण बहुत अच्छे से हो।ऐसे में कोई भी बिल्ली को नुक़सान पहुँचाने की कोशिश करता है तो उसे गाँव से निकाल दिया जाता है। साथ ही यदि बिल्ली की मौत हो जाये तो हिंदू रीति रिवाजों के अनुसार विधिवत रूप से संतिम संस्कार भी किया जाता है। ताकि बिल्ली की आत्मा को शांति मिल सके। साथ ही मौत के बाद भोज भी कराया जाता है। इसके अलावा हर साल गांव में देवी मनगम्मा का त्योहार धूमधाम से मनाया जाता है।

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