Varanasi Ghat Famous Things: खूबसूरत घाटों का शहर वाराणसी, जानें यहां क्या है फेमस
Varanasi Ghat Famous things: वाराणसी यानी भगवान भोलेनाथ की नगरी और घाटों का शहर। वाराणसी अपने खूबसूरत घाटों के कारण काफी मशहूर है। जिनकी सुंदरता आपके मन के मोह लेगी।
Varanasi Ghat Famous things: वाराणसी यानी भगवान भोलेनाथ की नगरी और घाटों का शहर। वाराणसी अपने खूबसूरत घाटों के कारण काफी मशहूर है। यहां कई ऐसे घाट हैं, जिनकी सुंदरता आपके मन के मोह लेगी। दरअसल वाराणसी में घाट गंगा नदी के किनारे जाने के लिए रिवरफ्रंट कदम हैं। वाराणसी शहर में 88 घाट हैं। जिनमें से कतर घाट स्नान और पूजा समारोह घाट हैं, जबकि दो घाटों को (मणिकर्णिका और हरिश्चंद्र) विशेष रूप से श्मशान स्थलों के रूप में उपयोग किया जाता है।
दरअसल उत्तर प्रदेश में स्थित वाराणसी गंगा नदी के किनारे एक बेहद ही खूबसूरत शहर है, जो हिन्दुओं के लिए एक बहुत ही खास तीर्थ स्थलों में जाना जाता है। बता दे वाराणसी अपने कई विशाल मंदिरों के अलावा घाटों और अन्य कई लोकप्रिय स्थानों के लिए मशहूर है, यहां हर साल आने वाले लाखों पर्यटक आते हैं और उन्हें वाराणसी घाट बेहद आकर्षित करता है। ये जगह सिर्फ भारतियों को ही नहीं बल्कि विदेशी पर्यटकों को भी काफी पसंद आती है। अगर आप अपने परिवार या दोस्तों के साथ वाराणसी जा रहें तो इन घाटों के फेमस चीज़ों के बारे में हैं जान लें:
अस्सी घाट (Assi Ghat)
अस्सी घाट वाराणस के प्रमुख घाटों ने से एक हैं। यहां आसानी से पहुँचा जा सकने वाला यह घाट अन्य घाटों की तरह भीड़भाड़ वाला नहीं है। हालाँकि, यह घाट हिंदुओं के लिए एक तीर्थ स्थान है, जो एक पीपल के पेड़ के नीचे एक विशाल लिंगम के रूप में भगवान शिव की पूजा करने से पहले वहां स्नान करते हैं। बता दे कि यहां कुछ ट्रेंडी बुटीक और कैफे हैं ( बड़े पास्ता के लिए वाटिका कैफे और बोनस आउटलुक के साथ पिज्जा), जो यात्रियों के लिए एक लोकप्रिय स्थान बनाता है। इस घाट पर गंगा आरती भी होती है। यह दशाश्वमेध घाट से उत्तर की ओर 30 मिनट की पैदल दूरी पर है।
दशाश्वमेध घाट ( Dashashwmedh Ghat)
वाराणास में दशाश्वमेध घाट फेमस घाट में से एक है और वाराणसी में यह पर्यटकों किए आकर्षण का केंद्र है। वाराणसी के सबसे पुराने और पवित्र घाटों में से एक यह घाट है, यह वह जगह है जहाँ हर शाम प्रसिद्ध गंगा आरती होती है। बता दे हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान ब्रह्मा ने भगवान शिव के स्वागत के लिए घाट का निर्माण किया था। ऐसा माना जाता है कि भगवान ब्रह्मा ने एक पवित्र अग्नि के सामने एक विशेष घोड़े की बलि का अनुष्ठान किया था। यहां सुबह से शाम तक तीर्थयात्रियों, हिंदू पुजारियों, फूल विक्रेताओं और भिखारियों आदि की भीड़ रहती है। यहां आप घंटों बैठ सकते हैं और बोर भी नहीं होंगे। बता एक कि घाट के आसपास चहल-पहल वाला बाजार भी है।
मान मंदिर घाट (Maan Mandir Ghat)
वाराणस के सबसे पुराने घाटों में से एक मान मंदिर घाट अपनी खुबसूरत राजपूत वास्तुकला के लिए फेमस है। दरअसल जयपुर के राजपूत राजा मान सिंह ने 1600 में वहां अपना महल बनवाया था। साथ ही यहां observatory, 1730 के दशक में सवाई जय सिंह द्वितीय द्वारा बनावा गया था। astronomical instruments अभी भी अच्छी स्थिति में हैं।
सिंधिया घाट (Sindhiya Ghat)
दरअसल सिंधिया घाट काफी शांतिपूर्ण जगह है, पास के मणिकर्णिका घाट है। यहां पानी के किनारे पर जलमग्न शिव मंदिर है। बता दे यह 1830 में घाट के निर्माण के दौरान डूब गया था। दरअसल इस घाट का प्रमुख आकर्षण है रत्नेश्वर महादेव मंदिर, जो छह माह तक गंगा के पानी में डूबा रहता है। खासकर बारिश के दिनों में यह आधे से ज्यादा पानी में डूब जाता है। बता दे इस क्षेत्र को सिद्ध क्षेत्र कहा जाता है और यह बहुत से तीर्थयात्रियों को आकर्षित करता है।
चेत सिंह घाट (Chet Singh Ghat)
दरअसल चेत सिंह घाट का काफी ऐतिहासिक महत्व है क्योंकि यह महाराजा चेत सिंह (जिन्होंने वाराणसी पर शासन किया था) और अंग्रेजों के बीच 18 वीं शताब्दी की लड़ाई का स्थल था। बता दे चेत सिंह ने घाट पर एक छोटा सा किला बनवाया था लेकिन दुर्भाग्य से अंग्रेजों ने उसे हरा दिया। अंग्रेजों ने किले पर कब्जा कर लिया और उसे उसमें कैद कर लिया। हालांकि ऐसा कहा जाता है कि वह पगड़ी से बनी रस्सी का उपयोग करके भागने में सफल रहें।