खाकी तेरे रंग अनेक: जान की परवाह किए बिना बच्ची की जान बचाने को केमिकल नाले में कूद गया पुलिसकर्मी
अमरोहा: लोगों ने उन्हें जब भी देखा होगा, तो लाचारों पर डंडे बरसाते देखा, पर जब उन्होंने सड़क के किनारे कई दिनों से भूखे गरीब को खाना खिलाया, तो किसी की नजर उधर नहीं गई। लोगों ने उन्हें पान की गुमटी के पीछे रिश्वत लेते ही देखा, लेकिन जब उन्होंने लोगों की रक्षा के लिए रिश्वत लेने से मना किया, तब किसी ने नहीं देखा। लोगों ने पुलिसवालों को पत्थर दिल कहा, पर किसी एक्सीडेंट में मरे हुए इंसान की लाश उठाते हुए उनकी आंखों में आंसुओं के सैलाब को किसी ने नहीं देखा।
जी हां, यह सारे वही पहलू हैं, जो कि हर इंसान एक पुलिस वाले में देखता है। लेकिन उसकी अच्छाई शायद ही कभी कोई देखा पाता है। कहते हैं कि हर सिक्के के दो पहलू होते हैं। वैसे ही अक्सर लोगों ने पुलिस वालों के कड़क और बुरे पहलू को देखा होगा, लेकिन महीनों घर से दूर रहने वाले पुलिस वालों के अंदर जज्बातों से भरे दिलों को शायद ही देखा होगा। हर खाकी वर्दी वाला दागी नहीं होता। वह भी जनता की परवाह के लिए कुछ भी कर गुजरने को तैयार होता है। चाहे इसके लिए उसे अपनी जान भी गंवानी पड़ जाए।
ऐसा ही एक नजारा सामने आया है अमरोहा में, जहां एक बच्ची की जान बचाने के लिए पुलिस वाला अपनी जान की परवाह किए बिना केमिकल नाले में कूद गया।
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हुआ दरअसल कुछ यूं कि अमरोहा में जिवाई चौकी क्षेत्र में सीएल गुप्ता फार्म के पास एक तेज रफ़्तार से आती सेंट्रो कार ने एक टेम्पो में इतनी तेज टक्कर मारी कि टेम्पो चार पांच पलटे खाते हुए एक नाले के पास जा रुका। राहगीरों की मदद से घायलों को निकाला गया इतने में चौकी इंचार्ज संजीव कुमार भी वहां आ गए। घायलों को तुरंत एम्बुलेंस से प्राइवेट अस्पताल में इलाज के लिए भेज दिया गया। लेकिन वहां मौके पर मौजूद किसी ने यह कह दिया के नाले में एक छह साल की बच्ची गिर गई है। बस फिर क्या चौकी इंचार्ज संजीव ने तुरंत अपने कपड़े उतारे और फैक्ट्री के केमिकल युक्त नाले में उतर गए और पंद्रह मिनट तक बच्ची को नाले खोजते रहे।
तभी किसी ने बताया कि बच्ची भी अस्पताल में है और अपने परिवार के साथ घर चली गई है। तब जा कर संजीव कुमार नाले से बाहर आए। मौके पर मौजूद सभी राहगीरों ने तालिया बजा कर संजीव की हौसला अफजाई की।
वहां के लोगों ने बताया कि केमिकल युक्त नाले का पानी इतना ख़राब है कि इसके अंदर जाने से चर्म रोग भी हो सकता है, लेकिन इसकी बिना परवाह किए बिना संजीव कुमार ने मानवता का परिचय दिया और नाले में उतर गए। डिडौली थाना प्रभारी निरीक्षक विवेक शर्मा ने ने भी संजीव की इस दरियादिली की तारीफ की।
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