करें छोटे उम्र के लोगों से दोस्ताना व्यवहार, उम्र रहेगी 55 की, पर दिल बच्चा रहेगा यार
जज्बात मिल जाए, तो उम्र पहेली नहीं रहती,
समझे जो कोई दिल से तुमको, तो जिंदगी अकेली नहीं रहती...
लखनऊ: हम अपनी पूरी जिंदगी अकेले नहीं जी सकते और खुशी से जीने के लिए किसी विश्वसनीय दोस्त की जरुरत होती है। दोस्ती एक अंतरंग रिश्ता होता है जिसपर हमेशा के लिए भरोसा किया जा सकता है। ये उम्र, लिंग और व्यक्ति के पद पर सीमित नहीं होता । मतलब ये कि किसी भी आयु वर्ग के पुरुष की पुरुष से, महिला की महिला से या इंसान की जानवर के बीच हो सकती है।
साधरणतया, ये किसी के बीच में बिना किसी लिंग और पद के भेदभाव के संभव है। दोस्ती एक या अलग जुनून, भावना या विचार के व्यक्तियों के साथ हो सकती है। दोस्ती प्यार का एक समर्पित एहसास है, जिससे अपने जीवन के बारे में हम कुछ भी शेयर कर सकते हैं और हमेशा एक-दूसरे का ध्यान रखते हैं।
इस रिश्ते की जो सबसे खास बात है, जिसका हम जिक्र रहे हैं वो है ‘दोस्ती में उम्र’। मतलब दोस्ती होने के लिए उम्र मायने नहीं रहती। आपको कंफर्टेबल जोन मिलना चाहिए। आजकल की लाइफ स्टाइल में तो एज डिफरेंस दोस्ती हर जगह देखने को मिलती है। जैसे कार्पोरेट सेक्टर हो या मीडिया हाउसेस हर जगह लोग अपने दोस्त तलाश लेते हैं, जिनके साथ घूमना-फिरना अच्छा लगाता है। एक बात और ध्यान देने वाली है कि इस दोस्ती में प्यार व विश्वास होता है। पर पार्टनर जैसा एहसास नहीं, बस एक अपनापन होता है।
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कैसे होता है फायदा
रिसर्च में भी ये बात सामने आई है कि अगर आप खुद से बड़े उम्र के लोगों से दोस्ती रखते हैं, तो ये आपके लिए फायदेमंद है। वैसे ही अगर आप खुद से छोटे लोगों से दोस्ती करते हैं तो आपको युवा होने का या ये कहें कि उस उम्र में होने का एहसास जवां रहता है। वैज्ञानिकों का कहना है कि अगर आप 30-40 या उससे अधिक उम्र में आने पर उदासीन हो जाते हैं या जीवन में नीरसता आ जाती है, तो परेशान न हों, आपको खुद से कम उम्र के लोगों के सर्किल में शामिल होना चाहिए। जिनके साथ आपकी ट्यूनिंग अच्छी बनती हो, तो आप ना केवल उस उम्र का एहसास करेंगे, बल्कि जीवन में नयापन भी भरेगा और आप फिर से जीना चाहेंगे।
वैसे ही अगर कम उम्र में मैच्योरिटी लानी है तो खुद से बड़े लोगों से दोस्ती करें। इससे आपको बहुत कुछ सीखने के साथ अच्छे-बुरे की पहचान भी होगी और आप जीवन में सही निर्णय लेने के लायक बनेंगे।
क्या कहता है मनोविज्ञान
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सम्मान के साथ प्यार और फिर लंबा रिश्ता: झारखंड से नेशनल यूथ नेटवर्क के फाउंडर के सीईओ आलोक तिवारी का भी कहना है कि उम्र के अंतर की दोस्ती समान्यतया मन और विचारों के मेल की दोस्ती होती है। जो धीरे-धीरे प्रगाढ़ होती है। ऐसी दोस्ती अगर होती है तो वह लॉन्ग टॉर्म चलती है क्योंकि इसमें अंहकार और घमंड की जगह समर्पण, सम्मान और प्यार की भावना होती है। जो बड़े उम्र और तजुर्बों से छोटों की गलतियों या नदानियों को संभालने का काम करती है। ऐसी दोस्ती ज्यादातर ऑफिस या कार्यक्षेत्र के दौरान साथ काम करने से होती है। दोनों का अलग बैकग्राउंड स्पर्धा की भावना को कम करता है। ऐसी दोस्ती गुरू-शिष्य में भी होती है। गुरु की शिक्षा और शिष्य के जीवन का उद्देश्य भी अक्सर इसी तरह की दोस्ती को जन्म देती है।
आगे की स्लाइड में जानिए क्या कहना है हिमांशु का दोस्ती में एज गैप के बारे में
उम्र नहीं भावनाएं रखती हैं मायने : बुद्धेश्वर में रहने वाले हिमांशु का कहना है कि उनके बेस्ट फ्रेंड अनीत यादव हैं। दोनों लोगों के बीच करीब 6-7 साल का फर्क है। पर जब दोनों एक-दूसरे से बात करते हैं, तो सामने वाले भी कन्फ्यूज हो जाते हैं। हिमांशु बताते हैं कि अभी वह ग्रेजुएशन कर रहे हैं। जबकि अनीत एक प्राइवेट कम्पनी में जॉब करते हैं। जब भी हिमांशु को कोई बात परेशान करती है, तो वह अनीत से ही सजेशन लेते हैं। घूमने-फिरने के दौरान दोनों मस्ती भी करते हैं। हिमांशु का कहना है कि वह एक अच्छे दोस्त ही नहीं बल्कि गाइड भी हैं।
आगे की स्लाइड में जानिए क्या कहना है शालिनी का ऐसी दोस्ती के बारे में
भाई कम दोस्त ज्यादा बेहतर हैं बड़े भाई : पॉलिटेक्निक कर रही शालिनी की उनके मौसेरे भाई से बहुत पटती है। शालिनी का कहना है कि वह अपने बड़े भाई अनुज से कोई भी बात बिना डर के शेयर कर लेती हैं। उनकी मानें तो अनुज भाई तो हैं ही, साथ ही एक अच्छे दोस्त और गाइड भी हैं। जब भी शालिनी दो बातों को लेकर कंफ्यूज होती हैं, तो अनुज उन्हें सही रास्ता भी बताते हैं।
शालिनी का कहना है कि अपने से बड़ी उम्र के लोगों से दोस्ती से न केवल खुद में समझदारी आती है बल्कि करियर को भी सही दिशा मिलती है।