ध्यान से देखिए इस तीन महीने के मासूम 'खजांची' को, जो जितवा सकता है अखिलेश को UP चुनाव

उत्तर प्रदेश में चुनावी बयार चल रही है पार्टियां अपनी-अपनी सरकार बनाने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगा रही हैं। विपक्षी पार्टियां एक दूसरे की खामियों को जनता के सामने उजागर कर रही हैं, तो वहीं अपनी-अपनी पार्टी के द्वारा कराए गए कामों का गुणगान कर रहे हैं।

Update:2017-02-21 15:23 IST

कानपुर: उत्तर प्रदेश में चुनावी बयार चल रही है पार्टियां अपनी-अपनी सरकार बनाने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगा रही हैं। विपक्षी पार्टियां एक दूसरे की खामियों को जनता के सामने उजागर कर रही हैं, तो वहीं अपनी-अपनी पार्टी के द्वारा कराए गए कामों का गुणगान कर रहे हैं। समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव अपनी हर जनसभा में बीजेपी सरकार पर तंज कसते हैं। उत्तर प्रदेश में हो रही चुनावी सभाओं में अखिलेश यादव नोटबंदी से लोगों को हुई समस्या को जरूर उठाते हैं और फिर अपने द्वारा की हुई मदद का जिक्र एक बार जरूर करते हैं। उनकी हर जनसभा में उनके मुंह पर एक बार 'खजांची' का नाम जरूर आता है।

वहीं कई लोग ऐसे भी हैं, जो 'खजांची' के बारे में नहीं जानते हैं। पर आपको बता दें कि 'खजांची' वह इंसान है, जो अखिलेश यादव के लिए अच्छी वोट बैंक बन सकता है।

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'खजांची' मात्र तीन महीने का वह मासूम है, जो कि नोटबंदी के समय बैंक की लाइन में ही पैदा हो गया था। यह वही मासूम है, जिसने जन्म लेते ही अपने गरीब मां को एक झटके में लखपति बना दिया। 'खजांची' का जन्म 8 नवंबर को कानपुर देहात के झींझक कस्बे की पंजाब नेशनल बैंक की लाइन में हुआ था।

हुआ दरअसल कुछ यूं कि जब नोटबंदी के टाइम सर्वेशा देवी बैंक पैसे निकालने गई थी, तब वह प्रेग्नेंट थी बैंक की लाइन में ही लगे-लगे अचानक उन्हें प्रसव पीड़ा शुरू हुई और वहीं बच्चे का जन्म हो गया। वहां मौजूद लोगों ने इस नवजात का नाम 'खजांची' रख दिया। इसके बाद जब अखिलेश यादव को बच्चे के बारे में पता चला, तो उन्होंने उसके बारे में जानकारी करवाई। इसपर उन्हें पता चला कि उस मासूम की फैमिली बहुत गरीब है और वह कानपुर देहात के सरदारपुरवा में रहती है। दुःख की बात तो यह थी कि मासूम के पिता की पहले ही मौत हो चुकी थी।

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तीन महीने के मासूम 'खजांची जहां रहता है, वहां करीब साढ़े चार सौ घर हैं व सभी का पेशा भीख मांगना और सांप पकड़ना है। उसके बारे में जानकर अखिलेश यादव ने उसे 2 लाख रुपए की मदद मुहैया करवाई। लेकिन उसकी मां सर्वेशा देवी अभी भी उसी झोपड़ी में रहती हैं और पांच बच्चों की मां 'खजांची' सहित भीख मांगकर ही गुजारा करती हैं।

इस मासूम की मदद के बारे में अखिलेश यादव जनसभाओं में एक बार जरूर जिक्र करते हैं। वहीं उनके इस काम के लिए 'खजांची' की मां ने भी उन्हें खूब दुआएं दी। अखिलेश यादव के इस काम की सराहना हर किसी ने की। अखिलेश यादव ने नोटबंदी के समय कई 'खजांची' के अलावा अन्य कई और लोगों की भी मदद की।

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