INDIA के हो सकते थे आइंसटीन, 76 साल पहले BHU को मिला था मौका

Update:2016-02-12 12:41 IST

वाराणसी: 76 साल पहले किस्मत ने हिंदुस्तान के दरवाजे पर दस्तक दी थी। कुछ देर तक रुक कर उसने इंतजार भी किया, लेकिन दरवाजा खुलने में जरा देर हो गई और किस्मत में अपना रास्ता बदल दिया। आप सोच रहे होंगे कि आखिर इतने साल पहले हिंदुस्तान किस चीज से महरुम रह गया। क्यों वक्त का पन्ना पलटते-पलटते रह गया, तो इसकी वजह भी वक्त ही है। आपको जानकर हैरानी होगी कि महान साइंटिस्ट अल्बर्ट आइंस्टीन बीएचयू में पढ़ाना चाहते थे, लेकिन जरा सी देरी की वजह से ये जीनियस भारत में अपने से और कई जीनियस पैदा नहीं कर सका।

महान साइंटिस्ट ने लिखी थी महामना को चिट्ठी

अल्बर्ट आइंस्टीन ने साल 1940 में महामना मदन मोहन मालवीय के नाम एक चिट्ठी लिखी थी। इसमें उन्होंने इस विद्या के इस मंदिर को अपनी सेवाएं देने की इच्छा जाहिर की थी, लेकिन किस्मत को शायद कुछ और ही मंजूर था। उस समय महामना और बीएचयू के वाइस चांसलर दोनों ही किसी काम के सिलसिले में वाराणसी से बाहर गए हुए थे। लौटने के कई दिनों बाद जब मालवीय जी इस चिठ्ठी के बारे में मालूम पड़ा तो उन्होंने आइंस्टीन को बीएचयू आकार पढ़ाने का न्योता भेजा, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी। आइंस्टीन अमेरिका में सेटल होने का फैसला ले चुके थे। उन्होंने बनारस आने में अपनी असमर्थतता जाहिर की। बीएचयू के एक्स-स्टूडेंट अजय पांडेय कहते हैं, ''खुद सोचिए, अगर ये महान साइंटिस्ट बीएचयू में पढ़ा रहा होता तो संभव है कि बनारस और भारत की संस्कृति में रमकर अमेरिका के बजाय भारत में बस गया होता। देश के इस नुकसान का केवल अंदाजा लगाया जा सकता है, इसको मापा नाही जा सकता।''

मालवीय विजन डॉक्यूमेंट में है इसका जिक्र

अल्बर्ट आइंस्टीन के महामना को लिखे इस पत्र का जिक्र मालवीय विजन डॉक्यूमेंट में किया गया है।

Malaviya tried hard during 1935–1936 to persuade the timeless legend in science and society, Albert Einstein to come over to India and BHU for a suitable period, on his own terms in perhaps some joint scheme and cooperation with Sir CP Ramaswami Aiyer, Vice Chancellor of the Travancore uni versity (presently Kerala university)Sometime in 1940, Einstein probably wrote to Malaviya, expressing his desire to serve this great university।Unfortunately, both Malaviya and Radhakrishnan were away from town and his letter met with the usual bureaucratic procedure। By the time, Malaviya warmly invited him, Einstein was on his way to settling in America

इन शब्दों का मजमून ये है कि महामना बीएचयू को दुनिया भर में एक सर्वश्रेष्ठ एजुकेशनल इंस्टीट्यूट के तौर पर पहचान दिलाना चाहते थे और इसके लिए उन्होंने उस वक्त के महान वैज्ञानिकों को अपनी सुविधानुसार बनारस आकर बीएचयू में पढ़ाने के लिए अनुरोध भी किया था। शायद इसीलिए कहा जाता है कि वक्त कभी किसी के लिए नहीं ठहरता और किस्मत कभी भी पलट जाती है।

 

Tags:    

Similar News