STUDY: धरती को कृत्रिम तरीके से ठंडा करने का मतलब प्राकृतिक आपदा को दावत
'नेचर कम्युनिकेशंस' पत्रिका में प्रकाशित शोध के अनुसार, जियोइंजीनियरिंग के उपायों का विनाशकारी प्रभाव हो सकता है। इस तरह के उपायों से तूफान या लंबे समय
लंदन: ग्लोबल वार्मिंग के प्रभावों का मुकाबला करने के प्रस्तावों में ज्वालामुखी विस्फोट करने की नकल करने से दुनिया के विभिन्न भागों में प्राकृतिक आपदा को दावत मिल सकती है।
जियोइंजीनियरिंग को जलवायु परिवर्तन से संभावित रूप से निपटने के एक तरीके के तौर पर प्रस्तुत किया गया है। जियोइंजीनियरिंग के जरिए ग्लोबल वार्मिंग में मनचाहे तरीके से हेरफेर कर वातावरण में कृत्रिम तौर पर एयरोसाल को प्रवेश कराते हैं।
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'नेचर कम्युनिकेशंस' पत्रिका में प्रकाशित शोध के अनुसार, जियोइंजीनियरिंग के उपायों का विनाशकारी प्रभाव हो सकता है। इस तरह के उपायों से तूफान या लंबे समय तक सूखे की स्थिति क्षेत्र में पैदा हो सकती है।
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शोध में कहा गया है कि एक गोलार्ध में जियोइंजीनियरिंग को लक्षित करने से दूसरे गोलार्ध में गंभीर हानिकारक प्रभाव पड़ सकते हैं।
ब्रिटेन के एक्सेटर विश्वविद्यालय में शोध के प्रमुख एंथोनी जोंस ने कहा, "हमारे नीतीजे इस बात की पुष्टि करते हैं कि क्षेत्रीय सौर जियोइंजीनियरिंग एक उच्च जोखिम भरी रणनीति है, जिससे लगातार एक क्षेत्र को फायदा पहुंचा सकती है व दूसरे क्षेत्र को नुकसान कर सकती है।"
-आईएएनएस