गुलबर्ग सोसायटी पर बनाई थी राहुल ढोलकिया ने अंग्रेजी फिल्म परजानिया

Update: 2016-06-02 07:16 GMT

अहमदाबाद: गुजरात में 2002 में हुए दंगे में अहमदाबाद की गुलबर्ग सोसायटी में मारे गए 69 लोगों की मौत के बारे में एसआईटी अदालत ने शुक्रवार को फैसला सुना दिया। गुलबर्गा सोसायटी में दंगाइयों के घर जलाने और लोगों को नाम पूछ कर मारने को लेकर 2005 में परजानिया नाम से फिल्म भी बन चुकी है । अंग्रेजी में बनी इस फिल्म में नसीरउद्दीन शाह और सारिका ने काम किया था। परजानिया का मतलब धरती का स्वर्ग और नर्क होता है ।

गुलबर्ग सोसायटी में सिर्फ एक पारसी परिवार रहता था, जबकि शेष मुस्लिम थे। फिल्म के अनुसार दंगाईयों ने उस पारसी परिवार की हत्या तो नहीं की, लेकिन लूटपाट और अन्य लोगों की हत्या में उस परिवार का बेटा परजान गायब हो गया जो अभी तक नहीं मिला। बाद में उसे भी अन्य लोगों की तरह मरा हुआ मान लिया गया।

विवादों के बाद ये फिल्म 26 जनवरी 2007 को रिलीज हुई। हालांकि इससे पहले इसे गोवा में हुए 36वें इंटरनेशनल फिल्म महोत्सव में दिखाया गया था । परजानिया के लिए सारिका को बेस्ट एक्ट्रेस का और निर्देशक राहुल ढोलकिया को बेस्ट डायरेक्टर का अवॉर्ड दिया गया। इस फिल्म को 2008 में रामनाथ गोयनका अवार्ड भी दिया गया।

गुलबर्ग की घटना 28 फरवरी 2002 को ,गोधरा में साबरमती एक्सपेस में आग लगाने के ठीक दूसरे दिन हुई थी। इसमें अन्य लोगों के अलावा कांग्रेस के पूर्व सांसद एहसान जाफरी भी मारे गए थे। ये कहानी रूपा मोदी की है जो गुलबर्ग सोसायटी में रहती थी।फिल्म का एक सीन बड़ा ही मार्मिक है जब दंगाई लूटपाट ओर आगजनी कर रह हैं तो रूपा मोदी बनी सारिका उनलोगों से गिड़गिड़ा कर कह रही है कि वो मुसलमान नहीं, बल्कि पारसी है। दंगाई उसका घर भी नहीं छोड़ते और ये कह कर आग लगा देते हैं कि लो अब अपने फायर गॉड के साथ रहो । गौरतलब है कि पारसी आग की पूजा करते हैं ।

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