लखनऊ के चिड़ियाघर में हुआ बर्थडे बैश: चारों बेबी कब्स के नाम कटे चार डिजाइनर केक

Update: 2016-09-01 12:32 GMT

लखनऊ: किसी ने बहुत खूब कहा है कि वक़्त गुज़रते देर नहीं लगती। नवाबी शहर लखनऊ के चिड़ियाघर में शेर के शावकों का जन्म लेना, मानो कल की ही बात हो। देखते-देखते कब इन नन्हें बेबी-कब्स ने चलना सीख लिया, पता ही नहीं चला। 1 सितम्बर 2015 को लखनऊ के चिड़ियाघर में खुशियों का माहौल था। हो भी क्यों ना? आखिर 30 साल बाद वहां शेर के शावकों की किलकारियां गूंजी थी। आज वे शावक एक साल के हो गए, जिसके चलते लखनऊ के नन्हें नवाबों ने इन नन्हें शावकों का पहला जन्मदिन गुरुवार को बड़ी धूम-धाम से मनाया। इस जश्न के मौके पर वहां चिड़ियाघर के डायरेक्टर अनुपम गुप्ता के साथ-साथ बाकी कर्मचारी भी मौजूद रहे।

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लखनऊ के नवाब वाजिद अली शाह चिड़ियाघर में 1 सितंबर की तारीख को ही साल 2015 में शेरनी वसुंधरा ने इन बेबी कब्स को जन्म दिया था। जब यह बच्चे आए, तो उनके पापा शेर पृथ्वी भी बाड़े में जमकर ख़ुशी से दहाड़ लगाते दिखाई देते थे। बता दें कि शेर पृथ्वी और शेरनी वसुंधरा को फरवरी 2015 में बिलासपुर के चिड़ियाघर से लखनऊ के चिड़ियाघर में लाए थे। चिड़ियाघर के डॉक्टर्स का कहना है कि अभी पृथ्वी और वसुंधरा को छह महीने और अलग रखा जाएगा और फिर दोबारा इनकी ब्रीडिंग कराई जाएगी।

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क्यूट शावकों के इस पहले जन्मदिन पर छोटे-छोटे बच्चों ने केक काटकर शावकों को हैप्पी बर्थडे बोला। केक भी ऐसा-वैसा नहीं था, बड़ा ही डिजाइनर था। वह केक शावक के फेस जैसा था, जिसपर क्रीम से उसका येलो शेप बना हुआ था। बच्चे भी बेबी कब्स का केक काटकर काफी खुश नजर आए चारों शावकों के नाम के चार केक काटे गए।

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चिड़ियाघर के डायरेक्टर अनुपम गुप्ता का कहना है कि शेरनी वसुंधरा काफी केयरिंग मां है। वह अपने चारों शावकों का बखूबी बराबर ध्यान रखती है। वह उनके खाने-पीने में कभी कोई लापरवाही नहीं बरतती है और अक्सर ही बच्चों के साथ खेलती नजर आती है।

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एक साल होने के बाद अभी तक इन चारों शावकों के नाम नहीं रखे गए हैं। चिड़ियाघर के डायरेक्टर अनुपम गुप्ता का कहना है कि इस बार इन शावकों के नाम जनता डिसाइड करेगी। जनता ही इनका नामकरण करेगी। सभी से इन चारों के नाम के लिए सलाह-मशविरा किया जाएगा।

 

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