सावधान! अपने जिगर के टुकड़े को ऐसे ही कर देंगे इनके हवाले या रखेंगे इन बातों का ख्याल
लखनऊ: क्या खूब लिखा है। हंसते-खेलते बच्चे को काम की खातिर मां छोड़ आती है क्रेच में, मन को ढांढस बंधा कर जाती ऑफिस, मां की राह ताकता बच्चा पलता है क्रेच में, कभी प्यार तो कभी फटकार उसे मिलता है क्रेच में, वहां उसके साथ हुए व्यवहार से अनजान मां डाल आती है क्रेच में, कुछ दिनों पहले तमिलनाडू और मुंबई के एक क्रेच से खबर आई थी कि वहां छोटे –छोटे बच्चों के साथ बदसलूक किया जाता है और इसका प्रूव सीसीटीवी फुटेज से भी मिलता है। एक प्ले स्कूल में 10 महीने की छोटी बच्ची को बुरी तरह से पीटने की घटना सीसीटीवी कैमरे में कैद हुई थी। पीड़ित बच्ची अस्पताल में भर्ती है। उसे मारने का आरोप प्ले स्कूल में काम करने वाली बाई पर है। इस खबर के वायरल होने के बाद प्ले स्कूल और क्रेच में भेजने वाले पैरेंट्स थोड़ा एक्टिव हुआ है। अपने बच्चों काम की वजह से डे केयर में पैरेंट्स डाल देते है और बेफिक्र हो जाते है पर शायद भूल जाते है कि उनके पीछे बच्चों के साथ कैसा व्यवहार होता है ये देखना जरूरी नहीं समझते है।
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क्रैडिबिलिटीका रखें ध्यान
पर न्यूकिलियर फैमिली में रहने वाले जॉब करने पैरेंट्स के पास बच्चों को डे केयर या क्रेच में डालने के अलावा कोई ऑप्शन नहीं होता। लेकिन क्या आप जानते हैं बच्चों को क्रेच में डालने के बाद पैरेंट्स को बेपरवाह नहीं होना चाहिए।
बच्चों का मन कोमल होता है। इसलिए क्रेच में रखने से पहले अच्छी तरह से उस जगह की जांच-पड़ताल कर लें। उस क्रेच की क्रैडिबिलिटी है या नहीं। उसके बारे में आस-पास से भी जानकारी इक्कटठा करें।
जिस क्रेच में रखने जा रहे हैं वहां क्या सिस्टम है। कैमरे है या नहीं? वहां का एन्वॉयन्मेंट कैसा है? मेल और फीमेल स्टाफ कितने है। इन छोटी-छोटी चीजों के बारे में इनक्वायरी जरूर करें।
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ऐसे करें जांच जब रखने वहां अपने लाल
रोजाना बच्चा जब घर आएं तो चैक करें उसके बदन पर कोई निशान तो नहीं है या फिर शरीर में कोई सूजन तो नहीं है।
बच्चे के बदलते बिहेवियर को ध्यान रखें। अगर आपका बच्चा बहुत एक्टिव है और अचानक अब गुमसुम रहने लगा है तो मतलब कुछ गड़बड़ है।
बच्चे से बातचीत करें और जानने की कोशिश करें कि क्रेच में या स्कूल में उसे कोई तकलीफ तो नहीं है।
बच्चे से रोजाना बात करें और उसने दिनभर क्रेच में क्या किया ये जानें।
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टेकनोलॉजी का करें इस्तेमाल
अगर आपका बच्चा 2 साल या इससे छोटा है और आपके बच्चे का व्यवहार अचानक बदल रहा है या फिर बच्चा मां-बाप से बिल्कुल अलग नहीं होना चाह रहा। या फिर क्रेच में जाते ही रोने लगे तो समझ लें कोई गड़बड़ है।
आजकल टेकनोलॉजी खूब हाईफाई हो गई है तो आप अपने एंड्रॉयड मोबाइल में ऐसी ऐप डाउनलोड करें, जिससे क्रेच के कैमरे के जरिए आप बच्चे पर नजर रख पाएं।
कई बार बच्चे इशारों से अपनी बातें कहते हैं। आप इन संकेतों को पहचानें। यदि बच्चा क्रेच के नाम से डर जाता है या फिर डे केयर के किसी व्यक्ति को देखकर एकदम छुपने लगता है या फिर मां-बाप के पास आते ही खूब रोता है, या फिर क्रेच जाने के नाम से खूब ट्रैन्ट्रम्स करता है तो भी समझ लें आपका बच्चा सुरक्षित नहीं है।
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ना हो बेपरवाह
अगर आपका बच्चा चार-पांच साल का है तो उसकी बात सुनें। उसे सपोर्ट करें। बच्चे की बातों को इग्नोर ना करें। बच्चे को कॉन्फिडेंस में लेकर बात करें। अगर बच्चा बार-बार कहता है कि दीदी मारती हैं या फिर कोई क्रेच में तंग करता है, डराता है या बच्चे को कहीं दर्द है तो बच्चों की इन बातों को बिल्कुल इग्नोर ना करें।
आप भी बच्चे से बीच-बीच में बात करते रहें। कि कैसा माहौल है क्रेच का? क्या डे डेयर पसंद आ रहा है या नहीं? बच्चे को महसूस करवाएं कि आप उसके साथ हैं और कोई उसको कुछ कहेगा तो आप उसे डाटेंगे। इससे बच्चे का कॉन्फिडेंस बढ़ेगा और बच्चा मन की बातें कहेगा। बच्चे को बताएं कि हम आपके साथ हैं। जो भी आपको तंग करता है तो हम आपके साथ हैं।
क्रेच में जाने से पहले बच्चे को समझाएं कि अगर आपको कोई तंग कर रहा है तो आप चिल्लाओं, किसी की हेल्प मांगों। चुप मत रहो। अपने प्राइवेट पार्ट को किसी को टच ना करने दें।