रिसर्च: अगर आपके बच्चो को है एक से अधिक भाषा का ज्ञान तो बनेगा वो मल्टीटास्किंग

Update: 2018-01-18 05:14 GMT

जयपुर: हर मां-बाप की चाहत होती है कि उसका बच्चा ज्यादा होशियार और मल्टीटास्किंग करने वाला हो। इसलिए पैरेंट्स अपने बच्चे को मल्टीटास्किंग बनाना चाहते हैं। इसके लिए जरूरी है कि पैरेंट्स अपने बच्चों को एक से ज्यादा भाषाएं सिखाइए। एक रिसर्च से पता चला है कि जो बच्चे एक से ज्यादा भाषा जानते हैं वो मल्टीटास्किंग यानि एक समय पर कई जिम्मेदारियां निभाने में सक्षम होते हैं।

'चाइल्ड डेवलप्मेंट' नाम की मैग्जीन में इस रिसर्च के बारे में कहा गया है कि बड़ी तादाद में बच्चों में ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर (एएसडी) होता है। इस परेशानी से ग्रस्त बच्चों के लिए अच्छा है कि उन्हें कम से कम एक अतिरिक्त भाषा सिखाई जाए। इस तरह की दिक्कत से ग्रस्त बच्चे सामाजिक मेलजोल करने में कमजोर होते हैं यानि किसी से आसानी से बातचीत नहीं करते। इसके साथ ही उनका व्यवहार और उनकी इच्छाएं बदलते रहते हैं।

वैज्ञानिकों का कहना है कि ऐसे बच्चों को प्रोफेशनल जिंदगी को बेहतर बनाने का एक तरीका है कि उन्हें घर में बोली जाने वाली भाषा के अलावा एक अतिरिक्त भाषा भी सिखाएं। इस शोध से जुड़ी एक वैज्ञानिक ने कहा कि अक्सर मां-बांप को ये बताया कि दूसरी भाषा सीखने से उनके बच्चों की सामाजिक मेलजोल की दिक्कत और बढ़ जाती है, लेकिन ये गलत है।

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इस अध्ययन के लिए छह से नौ साल की उम्र के बच्चों के दो ग्रुप बनाए गए। ये सभी बच्चे एएसडी से ग्रस्त थे। लेकिन एक ग्रुप में मौजूद 20 बच्चे ऐसे थे जिन्हें जो बाइलिंगुअल यानि दो भाषाएं जानते थे, वहीं दूसरे ग्रुप के 20 बच्चे सिर्फ एक भाषा जानते थे।

इसके बाद दोनों ग्रुप के बच्चों को पहले कंप्यूटर स्क्रीन पर नीले खरगोश और लाल नाव की आकृतियों में फर्क करने को कहा गया। इसके बाद उन्हें इन दोनों चीजों को बनावट के आधार पर फर्क करने को कहा गया। दोनों कार्यों के बाद देखा गया कि एएसडी से ग्रस्त उन बच्चों ने दो अलग-अलग किस्म के कार्यों को ज्यादा अच्छे से किया, जिन्हें दो भाषाएं आती थीं।

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