जयपुर:दिन की शुरुआत एक कटोरी दलिया से करना दिल को हेल्दी रखने का बेहतरीन नुस्खा है। ब्रिटेन के न्यू कैसल यूनिवर्सिटी के रिसर्चर ने मानव सेहत पर दलिया के नियमित सेवन के सकारात्मक प्रभाव आंकने के बाद ये रिजल्ट दिया है। उनके अनुसार दलिया ‘बीटा ग्लूकन’ सहित अन्य घुलनशील फाइबर का बेहतरीन स्रोत है। ये फाइबर आंत में पहुंचकर गाढ़े जेल का रूप अख्तियार करता हैं, जिससे पेट लंबे समय तक भरा हुआ महसूस होता है और मोटापे की चिंता नहीं रहती। इतना ही नहीं, ‘बीटा ग्लूकन’ पाचन क्रिया को सुचारु बनाने वाले एनजाइम के उत्पादन को भी बढ़ाता है। यह आंत को खाने में मौजूद कोलेस्ट्रॉल सोखने से रोकता है।
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पहले हुए रिसर्च में भी पाया गया है कि ‘बीटा ग्लूकन’ की 3 ग्राम नियिमित खुराक लेने पर दिल की सेहत के लिए घातक लो-डेंसिटी कोलेस्ट्रॉल का स्तर 7 फीसदी तक घट जाता है। रोज सुबह 70 ग्राम दलिया खाकर शरीर में 3 ग्राम ‘बीटा ग्लूकन’ की आपूर्ति सुनिश्चित की जा सकती है।
रिसर्चर जॉर्ज ग्रिमबल की मानें तो ‘बीटा ग्लूकन’ ब्यूट्रिक एसिड सहित अन्य अम्ल के निर्माण में भी सहायक है। ये अम्ल आंत में मौजूद कोशिकाओं के डीएनए की मरम्मत कर कैंसर का खतरा घटाते हैं। रोग-प्रतिरोधक तंत्र को मजबूत बनाने के अलावा आंत में ‘गुड बैक्टीरिया’ का स्तर बढ़ाने में भी ‘बीटा ग्लूकन’ को खासा असरदार पाया गया है। ग्रिमबल ने बताया कि दलिया में मैनगनीज, कॉपर, आयरन और विटामिन-बी जैसे पोषक तत्व भी मौजूद होते हैं। इससे यह अनीमिया से बचाव में तो मददगार साबित होता ही है, साथ ही आंखों की रोशनी भी दुरुस्त रखता है। उन्होंने दलिया को कम फैट वाले दूध में पकाने और शक्कर की मात्रा बेहद कम रखने की सलाह दी है। मीठे के लिए शहद का इस्तेमाल करना ज्यादा बेहतर रहेगा।
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भूख काबू में रखकर मोटापे की शिकायत भी दूर करती है। प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने और कैंसर से बचाने में भी मददगार। एक शोध में दलिया का ग्लाइकैमिक इंडेक्स (जीआई) कम बताया गया था। इसका अर्थ है कि दलिया खून में कैलोरी का प्रवाह धीमा करती है। इससे अग्नाशय से इंसुलिन का नियंत्रित स्त्राव होता है, जो शरीर को इंसुलिन के प्रति संवेदनशील बनाए रखने और टाइप-2 डायबिटीज का खतरा घटाने में अहम भूमिका निभाता है।