सहारनपुर: विश्व प्रसिद्ध इस्लामिक शिक्षण संस्था दारुल उलूम देवबंद ने सोमवार को जारी फतवे में कहा कि तीन तलाक देने के बाद औरत शोहर पर हराम हो जाती है। औरत का हक हो जाता है कि वह तलाक देने वाले व्यक्ति के अलावा जिस मर्द से चाहे दूसरा निकाह कर ले। अगर कुछ लोग बैठकर बाकायदा तय करते हुए हलाला के नाम पर दूसरे मर्द से निकाह, तलाक और फिर पहले शौहर से निकाह कराते हैं तो यह तरीका शरीयत में नापसंदीदा और लानत का काम है।
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मुफ्तियों की खंडपीठ ने जारी किया फतवा
कस्बा देवबंद के मोहल्ला अब्दुल हक निवासी मोहम्मद उस्मान द्वार लिखित पूछे गए सवाल के जवाब में दारुल उलूम देवबंद के मुफ्तियों की खंडपीठ ने जारी किये फतवे में कहा है कि औरत पर तीन तलाक वाके हो जाए तो उसे निकाहे सानी करने का पूरा इख्तिया हो जाता है और उस पर किसी भी तरह का दबाव डालना जायज नहीं है। औरत खुदमुखतार है वह अपने पहले शौहर के अलावा जिसे चाहे अपने निकाह सानी के लिए चुने। पहले शौहर से दोबारा निकाह करने के लिए दूसरे शौहर से जबरदस्ती तलाक कराना कतअन जायज नहीं है। हां अगर दूसरा शौहर खुद ही किसी वजह से बाद में उसको तलाक दे दे तो और इद्दत के बाद फिर औरत को नए निकाह का हक हो जाएगा। अब अगर चाहे तो औरत अपनी मर्जी से पहले शौहर से नया निकाह कर सकती है। लेकिन यदि कुछ लोग मिल बैठकर और तय करते हुए दूसरा निकाह, फिर तलाक और फिर पहले शौहर से निकाह कराते हैं तो यह मकरूह, शरीयत में नापसंद और लानत का काम है। अलबत्ता इतना जरूर है कि यदि दूसरा निकाह करने वाले व्यक्ति की खुद यह नियत हो कि मैं बाद में इसे तलाक दे दूंगा ताकि यह अपने पहले शौहर से दौबारा निकाह कर इज्जत और खुशियों के साथ अपनी जिंदगी गुजारे तो इस हद तक गुंजाइश है।
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