ताज पर था जिन्न का साया, बनने में लगे थे 22 साल

इतिहासकार राजकिशोर राजे का कहना है की इतिहास में अहमद बुखारी और लाल बुखारी का जिक्र मिलता है, बाकि के दो भाइयों का नहीं। लोगों की मान्यता है इस कहानी में इसके बारे में कुछ कहा नहीं जा सकता है। भारतीय पुरातत्व विभाग के अधीक्षण अभियंता भुवन विक्रम ने बताया की उनके पास इन बुखारी भाइयों की कोई ठोस जानकारी नहीं है...

Update: 2016-02-10 11:48 GMT

आगरा: ताजमहल 4 सौ सालो से अपनी खुबसूरती से दुनिया को आकर्षित कर रहा है। मोहब्बत की मिशाल इस ताजमहल को बनने में बहुत समय लगे। ऐसा कहा जाता है कि इस पर भूत का साया था जो इसे बनने नहीं दे रहे थे, उस वक्त जिन्न (भूत) इसकी नींव को ध्वस्त कर देते थे। इससे परेशान हो मुगल सम्राट शाहजहां ने इसका तोड़ निकालने के लिए पीर फकीर बुलवाए। इसका हल निकालने के लिए अरब के बुखारा से पीर हजरत अहमद बुखारी को बुलाया। बादशाह के बुलावे पर पीर अपने भाइयों के साथ आगरा आए।

बुखारी भाइयों का रहस्य: ताजमहल को बनने में 22 साल लगे, लेकिन इतना समय लगने के पीछे भी एक रहस्य है। शाहजहां ने जब ताजमहल की शुरुआत की तो उस जगह जिन्न का साया था जो ताज की नींव को गिरा देते थे। मुमताज की याद में ताज को बनाना शाहजहां के लिए हर कीमत पर जरूरी था। तब अरब के बुखारा से चार पीर बुखारी बंधुओं को बुलवाया गया। उन्होंने आगरा में ताजमहल के नींव पर कुरान और कलमों की पाठ करवाई थी। इसके बाद शाहजहां के हाथों नींव रखवाकर ताजमहल को बनवाने का काम शुरू करवाया था। इन चारों पीर भाइयों के मजार ताजमहल के चारों तरफ बने हैं। ताज के चार कोनों पर बुखारी भाइयों की मजारे है जो बुरी आत्माओं से इमारत को बचाती है। ताजमहल पर 400 सालों से न कभी बिजली गिरी, और ना ही भूकम्प से कुछ क्षति हुई।ऐसा कहा जाता है कि ताज की इस इमारत के पीछे बुखारी भाइयों की रहमत है। शाहजहां ने अपने जीते जी चारो भाइयों की मजारे बनवाई थी। हर मजार से ताजमहल दिखता है।

इतिहासकारों का मत: इतिहासकार राजकिशोर राजे का कहना है की इतिहास में अहमद बुखारी और लाल बुखारी का जिक्र मिलता है, बाकि के दो भाइयों का नहीं। लोगों की मान्यता है इस कहानी में इसके बारे में कुछ कहा नहीं जा सकता है। भारतीय पुरातत्व विभाग के अधीक्षण अभियंता भुवन विक्रम ने बताया की उनके पास इन बुखारी भाइयों की कोई ठोस जानकारी नहीं है।

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