सहारनपुरः भगवान श्रीराम के परम सेवक हनुमान जी की 22 अप्रैल को जयंती है। इस जयंती पर उनकी अराधना करने के लिए श्रद्धालु न केवल यूपी बल्कि, हरियाणा, पंजाब, उत्तराखंड और यहां तक की मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र से भी सहानपुर में मौजूद श्री बालाजी धाम में आते हैं। यहां कदम रखते ही भूत-प्रेत आदि संकटग्रस्त व्यक्ति झूमने लगते हैं।
राजस्थान के मेहंदीपुर में श्री बालाजी महाराज का मूल स्वरुप है। यहां पर उन्हीं की शक्ति का चमत्कार देखने को मिलता है। सहारनपुर के बेहट रोड स्थित श्री बालाजी धाम की स्थापना वैसे तो ज्यादा पुरानी नहीं है। करीब आठ साल पहले जब इस धान की स्थापना की गई थी तो उद्देश्य केवल जन कल्याण का ही रहा है। यहां पर श्री बालाजी महाराज, भगवान श्रीराम के साथ साथ अपनी सहयोगी शक्ति श्री काल भैरव और श्री प्रेतराज सरकार के साथ विराजमान है। तीनों शक्तियां अपने भक्त का परम कल्याण कर रही हैं।
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शीश झुकाने से ही दूर हो जाती है समस्या
इस धाम की खास बात यह है कि यहां पर कदम रखते ही प्रेत बाधा एवं अन्य संकटों से पीड़ित व्यक्ति झूमने लगता है। भूत-प्रेत बाधाओं से ग्रस्त व्यक्ति को यहां पर कुछ दिनों तक नियमित आने से मुक्ति मिल जाती है। अन्य प्रकार की परेशानियों से ग्रस्त लोगों के संकट का समाधान यहां पर शीश झुकाने मात्र से दूर हो जाती है। बस जरुरत होती है बाबा के चरणों में श्रद्धापूर्वक शीश झुकाने की। श्री बालाजी महाराज यहां पर आने वाले सभी भक्तों की मनोकामना को पल भर में पूरा कर देते हैं।
क्या है श्री बालाजी धाम का उद्देश्य?
श्री बाला जी धाम के संस्थापक गुरू श्री अतुल जोशी जी कहते हैं कि धाम स्थापना के पीछे जहां आम जन को आध्यात्म और धर्म से जोड़ना है, वहीं श्री बाला जी सेवा समिति का उद्देश्य आम जन के बीच पहुंच कर उनकी तकलीफों को देखना और उनका निदान करने का प्रयास करना है। जिस वक्त धाम की स्थापना की गई थी, उसी समय गुरु श्री अतुल जोशी जी महाराज ने एक मिशन तय किया था, कि समिति के माध्यम से आम जन की सेवा की जाए। मानव सेवा को ईश्वर सेवा मान कर समिति द्वारा कार्य किया जा रहा है। गुरु जी और समिति का मिशन है कि हर बच्चे को शिक्षा, भूखे को रोटी मिलनी चाहिए और हर बीमार को उपचार मिले।
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मां से मिले थे संस्कार
श्री बाला जी धाम के संस्थापक गुरु श्री अतुल जोशी जी महाराज का जन्म 29 अगस्त 1971 को सहारनपुर शहर के पंड़ित स्वर्गीय श्री अयोध्या प्रसाद जोशी के यहां हुआ था। जन्म के बाद से ही गुरु जी का रुझान धर्म और ज्योतिष में रहा। मां विद्यावती जोशी से मिले संस्कार की बदौलत गुरु जी आज न केवल भारत बल्कि विदेशों में भी धर्म की पताका फहरा रहे हैं। गुरु जी की प्रारंभिक शिक्षा सहारनपुर में ही हुई। इसके बाद वे रुड़की (उत्तराखंड)चले गए। उन्होंने इलेक्ट्रिक इंजीनियरिंग में आईआईटी रुड़की से एएमआईई की डिग्री हासिल की।
साल 2000 में हुई बाला जी की कृपा
उन्होंने विभिन्न ज्योतिष संस्थानों से ज्योतिष रत्न, ज्योतिष भूषण, ज्योतिष प्रभाकर और ज्योतिषाचार्य की डिग्री हासिल की। 1993 में उनका जुड़ाव घाटा मेहंदीपुर (दौसा, राजस्थान) से हुआ। 2000 में गुरुजी पर बाला जी महाराज की कृपा हुई और शक्ति का आगमन हुआ। मेरठ के स्व. वासुदेव स्वामी के संपर्क में आने के कारण गुरु जी श्री बाला जी महाराज की ओर प्रेरित हुए और श्री बाला जी महाराज के सेवा तथा पूजा अचर्ना प्रारंभ की। इसके बाद श्री अतुल जोशी को विश्वस्तरीय कई गुरुजनों, साधु संतों का सानिध्य प्राप्त होना प्रारंभ हुआ। महामंडलेश्वर गीता मनीषी स्वामी ज्ञानानंद महाराज से गुरु दीक्षा लेने के बाद गुरुजी जन सेवा में लग गए।
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