नई दिल्ली: एक अध्ययन के अनुसार, अस्थमा की स्टैंडर्ड दवाइयां लेने के अलावा विटामिन डी की अतिरिक्त खुराक लेने से इस रोग के जोखिम को आधा किया जा सकता है। विटामिन डी का सप्लीमेंट लेने वाले लोगों में अस्थमा के एक दौरे के बाद इसका खतरा 50 फीसदी तक कम पाया गया। विटामिन डी शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करके ऊपरी श्वसन संक्रमण को नियंत्रित करता है, जिससे गले की सूजन कम हो जाती है।
भारत में अस्थमा से लगभग 1.5 से दो करोड़ लोग प्रभावित हैं। अस्थमा फेफड़ों की एक गंभीर बीमारी है, जो सांस लेने की नली को संकरा कर देती है, जिससे सांस लेने में तकलीफ, सीने में जकड़न और खांसी आती है।
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इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) के अध्यक्ष डॉ. के.के. अग्रवाल ने कहा, "अस्थमा को समझने के लिए यह महत्वपूर्ण है कि पहले श्वसन नली के काम को समझ लिया जाए। यह वो नली होती है, जिसके जरिए आपके फेफड़ों में हवा जाती है और बाहर आती है। अस्थमा के लोगों में, इसी वायुमार्ग में सूजन आ जाती है, जिससे उनका गला बहुत अधिक संवेदनशील हो जाता है। इस वजह से, कुछ पदार्थो के प्रति वायुमार्ग कसके प्रतिक्रिया करता है।"
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डॉ. अग्रवाल ने कहा कि ऐसा होने पर आसपास की मांसपेशियों को मजबूती मिलती है। नतीजतन, वायुमार्ग संकरा हो जाता है, जिससे फेफड़ों में बहने वाली हवा कम हो जाती है। इस प्रकार, वायुमार्ग की कोशिकाएं सामान्य से अधिक बलगम बनाने लगती हैं। ये सभी अस्थमा के लक्षण हो सकते हैं। वायुमार्ग में सूजन हो सकती है।
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उन्होंने कहा कि इस बीमारी के कुछ सबसे आम लक्षण हैं- रात में, व्यायाम के दौरान या हंसते समय सांस लेने में कठिनाई, छाती में जकड़न, सांस की कमी और घरघराहट (विशेषकर सांस छोड़ते समय)। यदि उपचार न किया जाए तो अस्थमा के लक्षण खतरनाक हो सकते हैं।
डॉ. अग्रवाल ने कहा, "ग्रामीण और शहरी दोनों ही क्षेत्रों में सांस की नली में संवेदनशीलता बढ़ रही है, क्योंकि लोग कई तरह के ट्रिगर्स वाले संपर्क में अधिक रहते हैं। अस्थमा के मरीज को निरंतर चिकित्सा देखभाल की आवश्यकता होती है और मध्यम से गंभीर अस्थमा वाले रोगियों को लंबे समय तक दवाइयां लेनी पड़ सकती हैं। इनमें सूजन कम करने वाली दवाएं प्रमुख हैं। लक्षणों और हमलों को रोकने के लिए दवाएं हर दिन ली जानी चाहिए। तकलीफ से आराम दिलाने के लिए, शॉर्ट-एक्टिंग बीटा 2-एगोनिस्ट जैसी इन्हेलर दवा ली जा सकती है।"
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अस्थमा को काबू में रखने के लिए कुछ सुझाव :
* चिकित्सा सलाह का ध्यानपूर्वक पालन करें। अस्थमा पर नियमित रूप से निगरानी रखने की आवश्यकता है और निर्धारित दवाएं लेकर लक्षणों को काबू में रखने में मदद मिल सकती है।
* इंफ्लूएंजा और न्यूमोनिया के टीके लगवाने से अस्थमा के दौरे से बचा जा सकता है।
* उन ट्रिगर्स को पहचानें जो अस्थमा को तेज करते हैं। ये एलर्जी पैदा करने वाले धूलकण और सूक्ष्म जीव तक कुछ भी हो सकते हैं।
* सांस लेने की गति और अस्थमा के संभावित हमले को पहचानें। इससे आपको समय पर दवा लेने और सावधानी बरतने में सहूलियत होगी।
-आईएएनएस