मंदिर से अनाउंसमेंट के बाद हुई थी अखलाक की हत्‍या, जानिए पूरा मामला ?

Update: 2016-05-31 12:32 GMT

लखनऊ: दादरी में अखलाक की हत्या मामले में नोएडा पुलिस ने मीट सैंपल की फॉरेंसिक रिपोर्ट मंगलवार को पेश की। रिपोर्ट के मुताबिक अखलाक के घर मिले मीट के सैंपल के गोमांस होने की पुष्टि हुई है। इस रिपोर्ट के आने के बाद राजनीतिक गलियारे में हंगामा मचना तय है। हालांकि उस वक़्त प्रसाशन की ओर से कहा गया था कि अखलाक के घर से 'मीट' मिला था ना की 'बीफ'।

क्या था मामला ?

-बिसाहड़ में प्रतिबंधित पशु की हत्या कर उसका मांस रखने के आरोप में आक्रोशित भीड़ ने अखलाक और उसके बेटे को बुरी तरह पीटा था।

-इस घटना में अखलाक की मौके पर ही मौत हो गई थी।

-घटना के एक दिन बाद ही सियासी पारा चढ़ा और केंद्रीय मंत्री के अलावा तमान दलों का बिसाहड़ा अखाड़ा बनता गया।

-पुलिस ने 19 आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट फाइनल कर कोर्ट में दाखिल की थी।

क्यों हुई थी अखलाक की हत्या?

-बकरीद के एक दिन पहले बिसहड़ा गांव में एक बछड़ा चोरी हो गया था।

-28 सितंबर की रात अखलाक को एक प्लास्टिक बैग लिए घर से निकलते देखा गया।

-अखलाक ने इसे कचरे में डाल दिया। वहां मौजूद एक बच्चे ने यह बात लोगों को बता दी।

-कथित रूप से इसका एलान मंदिर के लाउडस्पीकर से किया गया।

-इसके बाद कुछ लोग अखलाक के घर पहुंचे और उससे मारपीट की। मारपीट में अखलाक की मौत हो गई।

डीएम ने जताई थी नाराजगी

धारा 144 लागू होने के बावजूद गांव में पंचायत होने पर डीएम एनपी सिंह ने कड़ी नाराजगी जताई थी। इस मामले में डीएम ने एडीएम और एसडीएम से जवाब मांगा था। इस संबंध में पुलिस अधिकारियों से भी जवाब मांगा गया था। डीएम ने अधिकारियों को नोटिस जारी कर पूछा था कि जब बिना प्रशासन की अनुमति के बिसाहड़ा गांव में पंचायत नहीं हो सकती, तो पुलिस और प्रशासनिक अफसरों के मौजूद रहते पंचायत क्यों और कैसे हुई। डीएम ने धारा 144 का उल्लंघन होने पर एडीएम, एसपी, एसडीएम, सीओ और संबंधित थानाध्यक्ष को कारण बताओ नोटिस जारी किया था।

अखिलेश सरकार ने CBI जांच से किया था इंकार

दादरी के बीफ कांड में घटना की जांच कर रही यूपी पुलिस ने मामले की सीबीआई जांच कराने से साफ इनकार कर दिया है। यूपी सरकार ने हाईकोर्ट में दाखिल हलफनामे में कहा था कि 'पुलिस घटना की निष्पक्ष जांच कर रही है। आरोपी पुलिस की जांच को भटकाने और ट्रायल लेट करने के लिए मामले को राजनीतिक रंग देना चाहते हैं।'

मामले की सुनवाई कर रहे जस्टिस अजय लांबा और न्यायमूति राघवेंद्र की खंडपीठ ने याची को सरकार के जवाब का प्रतिउत्तर दाखिल करने का मौका दिया था।

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