...तो क्या अब चखने को नहीं मिलेगा इलाहाबादी अमरूद?

Update: 2016-01-20 13:40 GMT

इलाहाबाद: अगर हम संगम नगरी की बात करें और उसमें इलाहाबादी अमरूद का जिक्र न हो ऐसा हो ही नहीं सकता। दुनिया भर में अपनी मिठास और स्वाद के लिए फेमस अमरूद के अस्तित्व पर खतरा मंडरा रहा है। अमरूद पर ऐसा रोग लगा है, जिसके चलते किसानों के एक तिहाई बागान अचानक सूखते जा रहे हैं। परेशान करने वाली बात ये है कि इनका संक्रमण लगातार बढ़ रहा है। कृषि वैज्ञानिक भी उकठा रोग के इस संक्रमण का कोई मुकम्मल इलाज किसानों तक नहीं पहुचा पा रहे हैं।

इलाहबाद के बाकराबाद के किसान सुभाष पटेल के मुताबिक, उनके पास 50 बीघे का अमरूद का बागान है। इससे हर साल वो लाखों का मुनाफ़ा कमाते थे। सुभाष ने इस बार अपने 30 फीसदी अमरूद के बागान कटवा दिए हैं। सुभाष कहते हैं कि उनके अमरूद के बागान की एक तिहाई फसल उकठा रोग ने बर्बाद कर दी है।

इस रोग से उनके हरे-भरे अमरूद के पेड़ सूख गए हैं। सुभाष की ही तरह सलमान भी अपना सउदी का कारोबार छोड़कर इलाहाबादी अमरुद की खेती कर रहे थे, लेकिन हालात देखकर अब वो आगे इसकी खेती नहीं करना चाहते। वहीं, जिला उद्यान अधिकारी नरेश उत्तम का कहना है कि उकठा रोग अमरूद उत्पादक किसानों के लिए एक बड़ी समस्या बन गया है।

क्या है उकठा रोग?

इलाहाबाद के जिला उद्यान अधिकारी नरेश उत्तम के मुताबिक़, उकठा रोग से अमरूद की जड़ों की जाइलम में एक तरह की फंफूदी लग जाती है। ये आगे चलकर पानी की आपूर्ति करने वाली पेड़ की टहनियों का रास्ता रोक देती हैं। इसी वजह से बागान सूख जाते हैं।

प्रशासन की लापरवाही से लाइलाज हो रहा रोग

ये रोग साल 1935 में इलाहाबाद के अकबकरपुर गांव से प्रकाश में आया था, लेकिन आज तक इसका मुकम्मल इलाज नहीं निकल सका है। प्रशासन द्वारा किसानों को इसे लेकर जागरूक न किए जाने से भी ये रोग लाइलाज होता जा रहा है।

कितना हो चुका है नुकसान?

30 से 40 फीसदी बागान इस रोग की वजह से सूख गए हैं। वहीं, यूपी में हर साल 5 से 15 फीसदी अमरूद के बागान इससे प्रभावित होकर सूखते जा रहे हैं।

अमरूद का है बड़ा कारोबार

देश में 12 लाख 5 हजार 323 एकड़ में अमरूद की बागवानी की जाती है। इसके उत्पादन में उत्तर प्रदेश देश में बिहार के बाद दूसरे स्थान पर आता है। यहां 14.8 हजार एकड़ में इसकी पैदावार होती है। उत्तर प्रदेश में इलाहाबाद के अलावा फर्रुखाबाद और अलीगढ़ में ही अमरूद की पैदावार होती है, लेकिन इलाहाबाद का सुरखा अमरूद केवल इलाहाबाद के कछारी इलाकों में ही पैदा होता है।

 

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