जयपुर:पीरियड अर्थात मासिक धर्म की क्रिया महिलाओं में होने वाली सामान्य प्रक्रिया हैं। आज के समय में तो सभी इससे वाकिफ हैं और जन चेतना के चलते सैनेटरी नैपकीन का इस्तेमाल करने लगे हैं। लेकिन पहले के समय में ये सुविधाएँ नहीं थी, जिस वजह से समाज में महिलाओं की तकलीफों को देखते हुए कुछ रस्में बनाई गई। आज हम आपको उन्हीं के बारे में बताने जा रहे हैं।
कर्नाटक कर्नाटक में पहले पीरियड के दौरान घर और आस-पास की महिलाएं इकट्ठी होकर खुशी मनाती हैं। लड़की की आरती करती हैं, लड़की को तिल और गुड़ से बना चिगली उंडे नाम की डिश खाने को दी जाती है। ऐसा माना जाता है कि चिगली उंडे खाने से खून के बहाव में कोई रूकावट नहीं आती।
तमिलनाडु यहां पर पहले पीरियड को खुशी की तरह मनाया जाता है। बरसों से निभाई जाने वाली 'मंजल निरट्टू विज्हा' नाम की परंपरा का लोग आज भी पालन कर रहे हैं। इस दौरान लड़की को सिल्क की साड़ी पहनाई जाती है और यह रस्म विवाह की तरह मनाई जाती है।
असम यहां पर 'तुलोनी बिया' नाम की परंपरा निभाई जाती है। इस दौरान लड़की को पांच दिन अलग कमरे में रखा जाता है, जहां पर पुरूषों को जाने की मनाही होती है। इसके साथ ही दो जोड़ी छाली को लाल कपड़े में बांधकर पड़ोसी रखा जाता है और सात सुहागिन औरतें लड़की को नहलाती हैं।