लखनऊ: हम सदियों से आषाढ़ शुक्ल पूर्णिमा के दिन गुरु पूर्णिमा मनाते आ रहे हैं। इस बार गुरु पूर्णिमा 27 जुलाई को है। ये पूर्णिमा अपने देश का टीचर्स डे है। इस दिन शिष्य गुरु का पूजन करते हैं और उन्हें गिफ्ट देते हैं। सबसे खास बात ये है कि हमारे देश में गुरु को देवता माना जाता है। इस गुरु पूर्णिमा हम आपको बताते हैं कि इसे क्यों मनाया जाता है और महर्षि वेदव्यास से इसका कनेक्शन क्या है।
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- पहले ये जान लीजिए महर्षि वेदव्यास का जन्म आषाढ़ पूर्णिमा के दिन 3000 ई. पूर्व में हुआ बताया जाता है।
- पौराणिक किवदंती है कि महर्षि पराशर भ्रमण पर थे। तभी उनकी नजर एक युवती पर पड़ी इस युवती का नाम सत्यवती था।
- मछुआरे की पुत्री सत्यवती अत्यंत सुंदर थी।
- सत्यवती को देख पराशर ऋषि का मन डोल उठा। ऋषि ने सत्यवती से संभोग का निवेदन किया।
- सत्यवती ने उत्तर दिया कि ये तो अनैतिक है। मैं ऐसे किस तरह आपके साथ अनैतिक संबंध बना लूं। मैं इस तरह के संबंध से होने वाली संतान को जन्म नहीं दे सकती।
- पराशर इसके बाद भी विनती करते रहे। इसपर सत्यवती ने तीन शर्त रखी।
- सत्यवती की पहली शर्त थी कि उन्हें संभोग करते कोई ना देखे।
- पारशर ने इसके लिए एक कृत्रिम आवरण बना लिया।
- दूसरी शर्त थी की कौमार्यता कभी भंग ना हो। उनकी संतान परम ज्ञानी हो।
- पराशर ने इसे भी मान लिया, उन्होंने आश्वसान दिया कि शिशु के जन्म के बाद वो अक्षत कौमार्य प्राप्त कर लेगी।
- तीसरी शर्त थी कि उसकी देह से मछली की गंध मिट जाए और पुष्प सुंगध आने लगे।
- पराशर ने तथास्तु कह सभी शर्ते मान लीं और उनमें प्रणय संबंध स्थापित हुए।
- कुछ समय बाद सत्यवती ने पुत्र को जन्म दिया, इस शिशु का नाम रखा गया कृष्णद्वैपायन।
- यही बच्चा वेदव्यास कहलाया।
- मां के आदेश पर वेदव्यास ने विचित्रवीर्य की रानियों व एक दासी संग नियोग किया। इसी नियोग की परिणीति स्वरुप पांडु, धृतराष्ट्र और विदुर का जन्म हुआ।
- वेद व्यास ने वेदों के विस्तार के साथ 18 महापुराणों व ब्रह्मसूत्र का प्रणयन किया।
- व्यास महाभारत के न सिर्फ रचयिता हैं, बल्कि साक्षी भी हैं।
- कहा जाता है कि व्यास जी कहने पर भगवान गणेश ने स्वयं महाभारत का लेखन किया अर्थात उनमें गुरु शिष्य का रिश्ता हुआ इसीलिए व्यास जी के जन्मदिन को गुरु पूर्णिमा के तौर पर मनाया जाने लगा।