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वाराणसी: बाबा विश्वनाथ की काशी कह लीजिये या भारत रत्न बिस्मिल्लाह खान का बनारस सदियों से गंगा जमुनी तहजीब के लिए जाना जाता है। जिस तरह यहां की बनारसी साड़ी और बनारसी पान पूरे दुनिया में मशहूर हैं वहीँ अब बनारसी सेवई भी पूरी दुनिया मे पहचान बनाता दिख रहा है। रमजान के मुबारक और पाक माह मे तैयार होने वाली वाराणसी की सेवई न केवल देश के कोने कोने बल्कि विदेशोंं मे भी रमजान और ईद पर लोगो का जाायका बढ़ा रही है।
हिन्दू बनाते हैं रमजान के लिए स्पेशल सेवईंं
बनारस का भदऊ चुंगी इलाका सेवई मण्डी के नाम से भी जाना जाता है। यहांं के दर्जनों घरो मे लघु उद्योग का रूप ले चूका सेवई निर्माण का काम कई पीढियों से चला आ रहा है। रमजान के शुरू होने के महीनो पहले से कई हिन्दू मेेहनतकश हाथ सेवई तैयार करने मे जुट जाते हैं। जिस तरह बनारसी साड़ी को तैयार करने मे ज्यादातर मुस्लिम बुनकर अपना हुनर दिखाते हैं , उसी तरह इस मुस्लिम पर्व पर तैयार होने वाली सेवई मे भी हिन्दू हाथो का हुनर रहता है।यह भी पढ़ें... रमजान में भी रोजा रख भगवान गणेश की मूर्तियां बनाते हैं मोहम्मद शेख
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सिर्फ बनारस में बनता है किमामी सेवई-
यूं तो सेवई की ढेरो वेराईटी हैं जो पुरे देश मे तैयार होती है, लेकिन किमामी सेवई जिसे छत्ता और बनारसी सेवई के नाम से भी जाना जाता है सिर्फ बनारस मे ही बनती है और देश के बाहर भी निर्यात होती है।
पाकिस्तान और बांग्लादेश तक जाती यहाँ की सेवई -
यहाँ तैयार होने वाली सेवई कई माईने मे भी खास है.क्योकि न केवल देश मे बल्कि बनारसी सेवई ने सरहदों की दीवारों को भी पाार कर लिया है। यहाँ की तैयार सेवई की नेपाल , पाकिस्तान,बंगलादेश और खाड़ी देशों मे रमजान माह में अधिक डिमांड हो जाती है।
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गंगा-जमुनी तहजीब की मिशाल है ये सेवई-
वर्षो से इस कारोबार में लगे कारीगरों को रमजान का न केवल पैसे बल्कि पुण्य कमाने के लिए भी बेसब्री से इंतजार रहता है। अपने हाथो से तैयार सेवई का देश और विदेशो में मुस्लिम भाइयो द्वारा अपने त्यौहार मे शामिल करने से सेवई बनाने वाले हिन्दू कारीगर काफी खुश होते है। ईद और रमजान के माह में सौहाद्र की चासनी मे पग़े सेवई की मिठास से एक बार फिर गंगा जमुनी तहजीब जिन्दा हुई है।रमजान के पाक माह में इस आपसी भाई-चारे के आगे धार्मिक कट्टरपंथ बौना सा नजर आता है। देश के कोने-कोने से इस सेवई को खरीदने के लिए आने वाले व्यापारी बताते हैं कि बनारसी सेवई की बढ़ती डिमांड उन्हें यहाँ खींच लाती है जो यहाँ है वो और कही नही है।
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