जानिए कौन थे राज नारायण,इंदिरा गांधी को हराकर बदल दी थी देश की राजनीति

Update: 2016-06-22 09:23 GMT

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25 जून को देश में लगे इमरजेंसी को 41 साल हो जाएंगे। 1975 में इंदिरा गांधी के कार्यकाल में इसकी घोषणा की गई थी। हम आपको इमरजेंसी से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी और घटनाक्रम के बारे में बताने जा रहे हैं।

लखनऊ: राज नारायण आजाद भारत की सबसे ताकतवर नेता इंदिरा गांधी को हराकर 1977 में देश के हेल्थ मिनिस्टर बने थे। इंदिरा गांधी को उन्होंने रायबरेली सीट से हराया था। रायबरेली गांधी नेहरू परिवार की परंपरागत सीट रही है। इसी सीट से 1952 और 1957 के लोकसभा चुनाव में इंदिरा गांधी के पति फिरोज गांधी चुनाव जीते थे।

इंदिरा गांधी 1967-77 तक लगातार देश की पीएम रहीं। लोकसभा के 1977 के चुनाव में कांग्रेस को हराने के बाद मोरारजी देसाई के नेतृत्व में जनता पार्टी की सरकार बनी जिसमें राज नारायण स्वास्थ्य मंत्री बनाए गए।

दरअसल, 25 जून 1975 को देश में आपातकाल लगने का कारण भी राज नारायण ही थे। इंदिरा गांधी ने 1971 के लोकसभा चुनाव में रायबरेली सीट से राज नारायण को पराजित किया था। राज नारायण ने इंदिरा गांधी पर चुनाव में सरकारी मशीनरी के गलत इस्तेमाल का आरोप लगाते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दायर की।

हाईकोर्ट ने 12 जून 1975 को इंदिरा गांधी के चुनाव को खारिज करते हुए उन्हें अयोग्य करार दिया। हाईकोर्ट ने इंदिरा गांधी के 6 साल तक चुनाव लड़ने पर रोक लगा दी। राज नारायण की ओर से मुकदमे की पैरवी आम आदमी पार्टी (आप) के संस्थापकों में से एक शांति भूषण कर रहे थे। वहीं इंदिरा गांधी की ओर से नामी वकील नानी पालकीवाला थे। जज जगमोहन से इंदिरा गांधी के चुनाव को खारिज करने का फैसला सुनाया था। राज नारायण के मुकदमे की पैरवी का ईनाम शांतिभूषण को देश का कानून मंत्री बना कर दिया गया था।

हाईकोर्ट के इस फैसले से इंदिरा गांधी काफी नाराज हुईं। संभवत: ये ही देश में आपातकाल लगने का कारण भी बना। इंदिरा गांधी ने देश में 25 जून 1975 को आपातकाल लगा दिया। आपातकाल लगते ही ​भ्रष्टाचार के खिलाफ 1974 में बिहार से आंदोलन शुरू करने वाले जयप्रकाश नारायण समेत विपक्ष के बड़े नेताओं को जेल में डाल दिया गया।

राज नारायण देश में समाजवादी आंदोलन में राम मनोहर लोहिया और जयप्रकाश नारायण के साथी थे। लोहिया उन्हें शेर दिल इंसान कहते थे। आजादी के आंदालन में ब्रिटिश सरकार ने राज नारायण को जिंदा या मुर्दा पेश करने पर 5000 रुपए का इनाम रखा था। राज नारायण ऐसे नेता रहे जो आजादी के पहले और बाद में कुल 80 बार जेल गए। उन्होंने अपने जीवन के कुल 69 साल में 17 साल जेल में गुजारे।

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तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और राज नारायण

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सुब्रमण्यम स्वामी, जयप्रकाश नारायण, मोरारजी देसाई और नानाजी देशमुख के साथ राज नारायण

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